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Kaal Bhairav Jayanti 2025:- काल भैरव जयंती

काल भैरव जयंती को भैरव अष्टमी भी कहा जाता है क्योंकि यह शुभ दिन मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के उग्र और न्यायप्रिय स्वरूप भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी से जुड़े कुछ नियम भी हैं जिनका आपको पालन करना चाहिए जैसे- इस दिन संयम, साधना और अच्छे कर्म करने से लाभ मिलता है। वहीं कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए। आज हम आपको ऐसे कार्यों के बारे में बताएंगे जिन्हें काल भैरव जयंती के दिन करना शुभ नहीं माना जाता है और इन्हें करने से आपका भाग्य रूठ सकता है। 

Kaal Bhairav Jayanti 2025:- काल भैरव जयंती तिथि

काल भैरव जयंती पापों का नाश करने वाली और शुभता लाने वाली मानी जाती है। वर्ष 2024 में काल भैरव जयंती 12 नवंबर को शाम 6:07 बजे से शुरू होगी। भगवान काल भैरव की पूजा निशा काल यानी रात्रि में की जाती है, इसलिए काल भैरव जयंती 22 नवंबर को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 23 नवंबर को शाम 7:56 बजे तक रहेगी। इसलिए 12 और 13 नवंबर दोनों ही दिन कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं उन कार्यों के बारे में।

Kaal Bhairav Jayanti 2025:- भगवान काल भैरव की पूजा विधि

इस दिन सुबह सबसे पहले स्नान करें। भगवान शिव (Lord Shiva) के उग्र अवतार यानी भैरव बाबा का मन ही मन ध्यान करें। भगवान सूर्य देव को जल चढ़ाएं। पूजा कक्ष को साफ करें। व्रत का संकल्प लें। भगवान काल भैरव की एक प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें चंदन का तिलक लगाएं। फूल-माला अर्पित करें। मीठी रोटी और हलवे का भोग लगाएं। कालभैरव अष्टकम और मंत्रों का पाठ करें। काल भैरव जी की कथा का पाठ अवश्य करें। आरती से पूजा को पूरी करें। अंत में शंखनाद करें। भगवान कालभैरव का आशीर्वाद लें। शाम के समय भी विधिवत काल भैरव जी की पूजा करें।

मंदिर जाएं और चौमुखी दीपक जलाएं। जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं और क्षमता अनुसार धन का दान करें। तामसिक चीजों से परहेज करें। कुत्तों को मीठी रोटी खिलाएं। ऐसा करने से भैरव बाबा की कृपा प्राप्त होगी।

Kaal Bhairav Jayanti 2025:- काल भैरव जी के सिद्ध मंत्र

ॐ कालभैरवाय नम:।

ॐ भयहरणं च भैरव।

ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्।

ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।

ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।

Kaal Bhairav Jayanti 2025:- काल भैरव जी के पौराणिक कथा

 एक प्रचलित कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि ,  भगवान शंकर ने इसी अष्टमी के दिन  ब्रह्मा के अहंकार को नष्ट किया था । उनके ही रक्त से भैरवनाथ का जन्म माना जाता है। इसलिए इस दिन को भैरव अष्टमी व्रत के रूप में मनाया जाता है।

कहा जाता है कि,  जब दुनिया की शुरुआत हुई थी तो एक बार सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर की वेशभूषा और उनके गणों के रूप को  देखकर शिव जी को कुछ तिरस्कार पूर्ण शब्द कह दिये थे । स्वयं तो शिव जी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया किंतु उसी समय उनके शरीर से क्रोध से काँपता  हुआ और एक विशाल छड़ी लिए हुए भयंकर शरीर प्रकट हुआ । क्रोधित होकर वह ब्रह्म को करने के लिए आगे आया । ब्रह्मा ने जब यह देखा तो वह  भयभीत हो गए । शंकर जी से क्षमा याचना करने पर , शंकर जी की मध्यस्थता  के बाद ही उनका वह अवतरित शरीर  शांत हो सका ।

 रुद्र से उत्पन्न इस शरीर को महा भैरव का नाम मिला । बाद में शिव जी ने उन्हें  अपनी पुरी काशी का महापौर नियुक्त किया ।

 कहते हैं कि भैरव जी की पत्नी ,  देवी पार्वती का ही अवतार हैं , जिनका नाम भैरवी है । जब भगवान शिव ने अपने अंश से भैरव को प्रकट किया तो उन्होंने माता पार्वती से भी एक ऐसी शक्ति उत्पन्न करने को कहा जो भैरव की पत्नी बन सके । तब माता पार्वती ने अपने अंश से देवी भैरवी को प्रकट किया जो शिव के अवतार भैरव की पत्नी  हैं ।

 भैरवनाथ की पूजा विशेष कर रात में ही की जाती है । भैरव अष्टमी काल की याद दिलाती है इसलिए कई लोग मृत्यु के भय से मुक्ति पाने के लिए भैरव नाथ जी की उपासना करते हैं।

Kaal Bhairav Jayanti 2025:- भगवान काल भैरव का महत्व

काल भैरव का अवतरण हमें सिखाता है कि अहंकार और अभिमान कितने खतरनाक हो सकते हैं. यह हमें यह भी बताता है कि भगवान शिव न केवल दयालु हैं, बल्कि जब जरूरत होती है तो वे क्रोधित भी हो सकते हैं.काल भैरव का रूप हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है. काल भैरव तंत्र-मंत्र के देवता माने जाते हैं, जिनकी पूजा से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं जैसे कि रोगों से मुक्ति, भय का निवारण और शत्रुओं का नाश होता है.

Kaal Bhairav Jayanti 2025:- कालभैरव जयंती पर अर्पित करें भैरव बाबा को ये चीजें

काले तिल के बीज – काले तिल को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। यह बुरी शक्तियों से सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं। माना जाता है कि इनका दान करने से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और शांति मिलती है।

सरसों के तेल का दीपक जलाएं – सरसों के तेल से दीपक जलाना या इसका दान करना जीवन से अंधकार और अज्ञानता को दूर करने का प्रतीक माना जाता है।

काले वस्त्र चढ़ाएं – इस दिन भगवान काल भैरव को वस्त्र अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है। यह समर्पण का प्रतीक है और यह दुर्भाग्य को कम करने में मदद करता है।

कुत्तों को भोजन खिलाएं – कुत्तों को काल भैरव का वाहन माना जाता है। कहा जाता है कि कुत्तों को दूध, रोटी या मिठाई खिलाने से भय और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इससे भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं।

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