जाने ओणम की सही तिथि,शुभ मुहूर्त,ओणम की कथा,ओणम का इतिहास और महत्व,ओणम उत्सव-परम्पराएं!

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Onam 2024:- जाने ओणम की सही तिथि,शुभ मुहूर्त,ओणम की कथा,ओणम का इतिहास और महत्व,ओणम उत्सव-परम्पराएं!

Onam 2024:- ओणम 2024 कब है?

ओणम दक्षिण भारतीय राज्य केरल में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह दस दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो राजा महाबली की घर वापसी का प्रतीक है, जो एक प्रसिद्ध शासक थे, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने प्राचीन काल में केरल पर शासन किया था। यह त्यौहार केरल के लोगों के लिए बहुत सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है और इसे बहुत उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।

ओणम की तिथि और शुभ मुहूर्त:-

सितंबर 14, 2024 को 20:33:24 से थिरुवोणम नक्षत्रं आरम्भ

सितंबर 15, 2024 को 18:50:02 पर थिरुवोणम नक्षत्रं समाप

Onam 2024:- ओणम पूजा विधि!!

  • ओणम के पर्व में लोग सुबह जल्दी उठते हैं और नहा धोकर नए कपड़े पहनते हैं। फिर त्रिक्काकरा अप्पन या विष्णु भगवान के वामन अवतार की पूजा करते हैं।
  • घर की महिलाएं पूर्व दिशा में पुक्कलम और रंगोली बनाती हैं। यह पर्व दस दिनों तक चलता है, जिसमें हर रोज भगवान विष्णु के वामन अवतार और राजा बली की पूजा करते हैं।
  • ओणम पूजा के लिए पूजा स्थान को फूलों से सजाया जाता है साथ ही, पूजा स्थान में फूलों की रंगोली बनाते हैं। इस रंगोली में दिनों दिन गोला बढ़ते जाता है जैसे जैसे पर्व आगे बढ़ता है।
  • पूजा की तैयारी में एक खास जगह को तैयार किया जाता है, जिसे मलयाली में पुक्कलम के नाम से जाना जाता है। फूलों की रंगोली के लिए विभिन्न रंग के फूलों का उपयोग किया जाता है।
  • पूजा के बाद विशेष तरह के मंत्रों का जाप और प्रार्थनाएं की जाती है। इस पूजा में परिवार के सभी लोग एक साथ शामिल होते हैं।
  • ओणम पूजा के साध्य होता जिसमें सभी को प्रसाद और भोजन बांटा जाता है।

Onam 2024:- ओणम की कथा,राजा महाबलि की कहानी

ओणम केरल का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है जो मलयाली कैलेंडर के चिंगम महीने में आता है। ओणम को लेकर केरल के लोगों में इतना लगाव है कि वो कहते हैं अगर ओणम के लिये पैसे ना हों और घर का सामान बेचना पड़े तो भी कोई गुरेज नहीं है। ओणम त्योहार केरल के सबसे प्रिय राजा महाबलि के पाताल लोग से धरती लोक पर आने के दौरान मनाया जाता है। महबलि सिर्फ साल में एक ही बार अपनी प्रजा से मिल पाते हैं।

केरल में महाबलि राजा का राज था। राजा को लोग बहुत पसंद करते थे। लोग उन्हें भगवान मानने लगे, तो ये बाद स्वर्ग में बैठे देवताओं को ठीक नहीं लगी।एक षड्‌यंत्र रचा गया ।  इन्द्र ने विनती की तो भगवाने विष्णु ने वामन अवतार लिया और छोटे ब्राह्मण का वेष बनाकर राजा महाबलि के पास गए। ब्राह्मण ने तीन कदम ज़मीन राजा से मांगी। राजा दानी था तो कहा कि आप जहां चाहे ये ज़मीन ले सकते हैं।  इतना कहते ही भगवान विष्णु ने विशाल रूप ले लिया और एक कदम में पूरी पृथ्वी, द्सूरे कदम में स्वर्ग नाप लिया, लेकिन तीसरे कदम के लिये जगह ही नहीं बची। यह देखते ही राजा महाबलि ने तीसरे कदम के लिये अपना सिर आगे कर दिया। अब विष्णु ने बलि से सब कुछ ले लिया था और उसे कहा कि वो पाताल लोक चले जाएं और वहां रहें। पाताल जाने से पहले विष्णु ने उनकी एक इच्छा पूरी करने की बात कही। राजा ने कहा कि मुझे साल में एक दिन अपनी प्रजा से मिलने दिया जाए उस दिन के बाद राजा जब भी आते हैं तो पूरी प्रजा खुशियां मनाकर राजा को बताती है कि वो खुश हैं।   गाना -बजाना, नृत्य, नौका दौड़, मंदिरों में पूजा, हाथी दौड़ सब कुछ होता है। ओणम के दिन केरल को देखना अपने आप में अलग होता है।

Onam 2024:- केरल में ओणम का इतिहास और महत्व!!

भारतीय राज्य केरल में मनाया जाने वाला ओणम का त्योहार महान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है क्योंकि यह राजा महाबली की घर वापसी का जश्न मनाता है। पौराणिक उत्पत्ति के अनुसार, राजा महाबली एक परोपकारी शासक थे, जिनके न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन के कारण उनकी प्रजा उनसे प्यार करती थी। हालाँकि, उनकी सफलता से देवताओं को ईर्ष्या हुई जिन्होंने उन्हें उनके सिंहासन से उखाड़ फेंकने की साजिश रची। इस विश्वासघात के बावजूद, राजा महाबली ने अपनी विनम्रता और उदारता से देवताओं का दिल जीत लिया और उन्हें फसल के मौसम के दौरान हर साल एक बार अपने लोगों से मिलने का वरदान दिया गया।

ओणम की सांस्कृतिक विरासत कृषि और प्रकृति की उदारता के उत्सव में निहित है। ऐसा माना जाता है कि राजा महाबली के शासनकाल में केरल में समृद्धि आई और इसलिए लोग अपने घरों को केरल के मूल निवासी विभिन्न फूलों से बने फूलों के कालीन (पूकलम) से सजाकर ओणम मनाते हैं। इस उत्सव में अन्य अनुष्ठानों के अलावा नाव दौड़ (वल्लमकली), मार्शल आर्ट प्रदर्शन (कलारीपयट्टू), महिलाओं के नृत्य (थुंबी थुल्लल) जैसे पारंपरिक खेल भी शामिल हैं।

ओणम एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाता है और साथ ही हमें प्रकृति के साथ हमारे संबंध की भी याद दिलाता है। राजा महाबली से जुड़ी पौराणिक उत्पत्ति दयालुता, विनम्रता और निष्पक्षता जैसे मूल्यों पर प्रकाश डालती है जो आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करती है। ओणम के दौरान रंगारंग उत्सव जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाते हैं, जो भारत की विविधता को उजागर करते हुए इसके मूल में एकता को बढ़ावा देते हैं।

Onam 2024:- ओणम उत्सव और परंपराएँ!!

ओणम के फसल उत्सव के दौरान मनाए जाने वाले उत्सवों में कई तरह की परंपराएं और उत्सव शामिल होते हैं। इस उत्सव का एक उल्लेखनीय पहलू जटिल फूलों की व्यवस्था का निर्माण है जिसे पुकलम के नाम से जाना जाता है। ये खूबसूरत डिज़ाइन विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों से बनाए गए हैं, और पूरे केरल में घरों के अंदर और सार्वजनिक स्थानों पर पाए जा सकते हैं। एक अन्य लोकप्रिय परंपरा तिरुवथिरा काली है, जो एक पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन है जो आमतौर पर महिलाओं द्वारा किया जाता है।

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