तीन शुभ योग में मनेगी कामिका एकादशी, जानें इसके लाभ और अन्य खास बातें !!

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Kamika Ekadashi Vrat 2022: सावन का महीना 14 जुलाई 2022 से शुरू हो चुका है जोकि 12 अगस्त तक रहेगा। सावन भगवान शिवजी का प्रिय माह होता है। सावन महीने में पड़ने वाले सभी पूजा-व्रत का भी खास महत्व होता है। श्रावण या सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। कामिका एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस बार सावन कामिका एकादशी का व्रत 24 जुलाई 2022 को रखा जाएगा। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इसलिए कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।

कैसे करें कामदा एकादशी पर पूजा ?

सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर पूजा की तैयारियां शुरू कर दें। लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर विष्णु जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद भगवान का अभिषेक करें। इसके लिए एक लौटे में जल, तिल, अक्षत और रोली डाल लें। प्रसाद में फलों के अलावा आप पंचामृत और आटे का चूरण जरूर बना लें। फिर भगवान को फूल चढ़ाएं, धूप जलाएं और देसी घी का दीपक भी जलाएं। इसके बाद एकादशी का पाठ करें। कुछ लोग एकादशी पर रात्रि जागरण भी करते हैं। पूजा खत्म होने के बाद विष्णु जी की आरती भी करें।

कामिका एकादशी व्रत 2022 शुभ योग 

कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2022) के दिन अर्थात 24 जुलाई को प्रात:काल से वृद्धि योग शुरू होगा जो कि दोपहर बाद 02 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से ध्रुव योग लग जाएगा. इसी दिन द्विपुष्कर योग भी लग रहा है. द्विपुष्कर योग 24 जुलाई को रात 10 बजे से 25 जुलाई सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक है. इसके अलावा कामिका एकादशी को रोहिणी नक्षत्र रात 10 बजे तक है और उसके बाद से मृगशिरा नक्षत्र शुरू होगा. चूंकि सुबह से ही वृद्धि योग शुरू हो जायेगा. ऐसे में लोग प्रातः काल से ही भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.

कामिका एकादशी 2022 व्रत पारण समय

कामिका एकादशी व्रत का पारण (Kamika Ekadashi 2022 Vrat Paran Time) 25 जुलाई को प्रात: 05 बजकर 38 मिनट से 08 बजकर 22 मिनट तक कर सकेंगे. द्वादशी तिथि का समापन 25 जुलाई को शाम 04 बजकर 15 मिनट पर होगा.

कामिका एकादशी व्रत के लाभ

कामिका एकादशी व्रत करने से सभी तीर्थों में स्नान के समान ही पुण्य फल की प्राप्ति होती है. इससे पापों का नाश होता है और ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिलती है. भगवान विष्णु की कृपा से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

कामिका एकादशी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने और पूजन करने से न सिर्फ भगवान विष्णु बल्कि पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। साथ ही इस व्रत को करने से सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसे व्यक्ति जिन्हे किसी बात का भय हो उन्हें कामिका एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए। इससे उनके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कामिका एकादशी पूजा विधि

एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने। पूजाघर में दीप प्रज्वलित कर व्रत का संकल्प लें। एक चौकी में पीला कपड़ा बिछाकर इसपर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें। भगवान को फल, फूल, पंचामृत चढ़ाएं और सात्विक चीजों का भोग लगाएं। पूजा में तुलसी दल जरूर चढ़ाएं। क्योंकि इसके बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके बाद कामिका एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आखिर में आरती करें।

कामिका एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में वीर छत्रिय रहता था जोकि नेक दिल का व्यक्ति था। लेकिन स्वभाव में बहुत क्रोधित था। इसी कारण आए दिन उसकी किसी ने किसी के साथ हाथापाई हो जाती थी। क्रोधित स्वभाव के कारण ही एक दिन क्षत्रिय की लड़ाई एक ब्राह्मण से हो गई। क्षत्रिय अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं कर सका और उसने हाथापाई के दौरान एक ब्राह्मण की हत्या कर दी। इस कारण क्षत्रिय पर ब्राह्मण हत्या का दोष लगा।

क्षत्रिय को अपनी गलती का अहसास हुआ और इसका प्रायश्चित करने के लिए उसने ब्राह्मण के दाह संस्कार में शामिल होना चाहा। लेकिन पंडितों ने उसे ब्राह्मण की क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने क्षत्रिय से कहा कि तुम ब्राह्मण की हत्या के दोषी हो। इस कारण उसे धार्मिक और सामाजिक कार्यों से भी बहिष्कार कर दिया गया।

इन सभी कारणों से परेशान होकर क्षत्रिय ने ब्राह्मणों से पूछा कि कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मैं इस दोष से मुक्त हो सकूं। तब ब्राह्मणों ने क्षत्रिय को कामिका एकादशी व्रत के बारे में बताया। पहलवान ने सावन माह की कामिका एकादशी का व्रत रखा और विधि विधान से इसका पालन किया। एक दिन क्षत्रिय को नींद में भगवान श्री हरि विष्णु के दर्शन हुए। भगवान विष्णु ने क्षत्रिय से कहा कि तुम्हें पापों से मुक्ति मिल गई है। इस घटना के बाद से ही कामिका एकादशी का व्रत रखा जाने लगा।

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