गायत्री जयंती 2024 कब है? क्या ऐ शुभ मुहूर्त गायत्री पूजा का महत्व, गायत्री विवाह, मां गायत्री की महिमा आदि से जुड़ी सारी जानकारी!

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Gayatri Jayanti 2024:- गायत्री जयंती 2024 कब है? क्या ऐ शुभ मुहूर्त गायत्री पूजा का महत्व, गायत्री विवाह, मां गायत्री की महिमा आदि से जुड़ी सारी जानकारी!

Gayatri Jayanti 2024:- गायत्री जयंती को लेकर तथ्य!!

गायत्री जयंती श्रावण पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन संस्कृत भाषा के महत्व को दर्शता है, इसलिए लोग इस दिन को ‘संस्कृत दिवस’ के रूप में मनाते हैं। वैदिक भाषा को बढ़ावा देने के लिए लोग विभिन्न गतिविधियों में भाग लेते हैं या संस्कृत नाटकों का आयोजन करते हैं। गायत्री जयंती के इस शुभ दिन को गंगा अवतार या गंगा दशहरा भी कहा जाता है।

Gayatri Jayanti 2024:- गायत्री जयंती 2024 की तिथि और समय!!

गायत्री जयंती 2024             सोमवार, 17 जून 2024

एकादशी तिथि प्रारम्भ         17 जून 2024 को प्रातः 04:43 बजे

एकादशी तिथि समाप्त        18 जून 2024 को प्रातः 06:24 बजे

Gayatri Jayanti 2024:- कौन हैं गायत्री माता !

चारों वेद ,शास्त्र और श्रुतियां सभी गायत्री से ही पैदा हुए माने जाते हैं। वेदों की उत्पत्ति के कारण इन्हें वेदमाता कहा जाता हैं,ब्रह्मा,विष्णु,और महेश तीनों देवताओं की आराध्य भी इन्हें कहा ही माना जाता हैं इसलिए इन्हें देवमाता भी कहा जाता हैं। समस्त ज्ञान की देवी भी गायत्री हैं इस कारण गायत्री को ज्ञान-गंगा भी कहा जाता हैं।इन्हें भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी भी माना जाता हैं।माँ पार्वती,सरस्वती,लक्ष्मी की अवतार भी गायत्री को कहा जाता हैं ।

Gayatri Jayanti 2024:- कैसे हुआ गायत्री का विवाह!

कहा जाता हैं कि एक बार भगवान ब्रह्मा यज्ञ मे शामिल होने जा रहे थे।मान्यता हैं कि यदि धार्मिक कार्यो मे पत्नी साथ हो तो उसका फल अवश्य मिलता हैं लेकिन उस समय किसी कारणवश ब्रह्मा जी के साथ उनकी पत्नी सावित्री मौजूद नहीं थी इस कारणवश उन्होंने यज्ञ मे शामिल होने के लिए वहाँ मौजूद देवी गायत्री से विवाह कर लिया।

Gayatri Jayanti 2024:- कैसे हुआ गायत्री का अवतरण!

माना जाता हैं कि सृष्टि के आदि मे ब्रह्मा जी पर गायत्री मत्रं प्रकट हुआ । माँ गायत्री की कृपा से ब्रह्मा जी ने गायत्री मत्रं की व्याख्या अपने चारो मुखों से चार वेदो के रुप मे कि ।आरम्भ मे गायत्री सिर्फ देवताओं तक सिमित थी लेकिन जिस प्रकार भगीरथ ने कड़े तप से गंगा मैया को स्वर्ग से धरती पर उतार लाए उसी तरह विश्रवामित्र ने भी कठोर साधना कर माँ गायत्री की महिमा अर्थात गायत्री मत्रं को सर्वसाधारण तक पहुचाया।

Gayatri Jayanti 2024:- कब मनायी जाती हैं गायत्री जयंती

गायत्री जयंती के तिथि को लेकर भिन्न-भिन्न मत सामने आते हैं।कुछ स्थानों पर गंगा दशहरा औरगायत्री जयंती की तिथि एक सामान बताई जाती हैं तो कुछ इसे गंगा दशहरा से अगले दिन यानि ज्येष्ठ मास की एकादशी को मनाते को मनाते हैं। वहीं श्रावण पूर्णिमा को भी गायत्री जयंती केउत्सव को मानाया जाता हैं। श्रावण पूणिमा के दिन गायत्री जयंती कोअधिक स्थानों पर स्वीकार किया जाता हैं, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी -एकादशी को मान्यतानुसार मनाई जाती हैं।

Gayatri Jayanti 2024:- गायत्री माता की महिमा

गायत्री की महिमा मे प्राचीन भारत के ऋषि-मुनियों से लेकर आधुनिक भारत के विचारको तक अनेक बातें कहीं हैं,वेद ,शास्त्र और पुराण तो गायत्री माँ की महिमा गाते ही हैं। अर्थववेद मे माँ गायत्री को आयु,प्राण,शक्ति,कीर्ति,धन और ब्रह्मतेज प्रदान करने वाली देवी कहा गया हैं।

महाभारत के रचायिता वेद व्यास कहते हैं गायत्री के महिमा मे कहते हैं जैसे फूलों मे शहद , दूध मे घी सार रूप मे होता हैं वैसे ही समस्त वेदो का हार गायत्री हो यदि गायत्री को सिद्ध कर लिया जाये तो यह कामधेनु (इच्छा पूरी करने वाली दैवीय गाय)के समान हैं।जैसे गंगा शरीर के पापों को धोकर तन मन को निर्मल करती हैं उसी प्रकार गायत्री रूपी ब्रह्म गंगा से आत्मा पवित्र हो जाती हैं।

गायत्री को सर्वसाधारण तक पहुचाने वाले विश्रवामित्र कहते हैं कि ब्रह्मा जी ने तीनो वेदो का सार तीन चरण वाला गायत्री मत्रं निकाला हैं।गायत्री से बढ़ कर पवित्र करने वाला मत्रं और कोई नहीं हैं।जो मनुष्य नियमित रूप से गायत्री का जप करता हैं वह पापों से वैसे ही मुक्त हो जाता हैं जैसे केचुली से छुटने पर सापँ होता हैं।

गायत्री वह शक्ति केंद्र हैं जिसके अंतर्गत विश्र्व के सभी दैविक ,दैहिक,भौतिक छोटे बड़े शक्ति तत्व अपनी-अपनी क्षमता और सीमा के अनुसार संसार के विभिन्न कार्यो का सम्पादन करते हैं।इन्हीं का नाम देवता हैं।ये ईश्र्वरीय सन्ता के अंतर्गत उसी के अंश रुपी इकाइयां हैं जो सृष्टि संचालन के विशाल कार्यक्रम मे अपना कार्य भाग करते रहते हैं।जिस प्रकार एक शासन-तत्रं केअंतर्गत अनेकों अधिकारी अपनी-अपनी जिम्मेदारी निबाहते हुए सरकार का कार्य सचांलन करते हैं,जिस प्रकार एक मशीन के अनेकों पुर्जे अपने-अपने स्थान पर अपने-अपने क्रिया कलापों कोजारी रखते हुए उस मशीन की प्रक्रिया सफल बनाते हैं ,उसी प्रकार यह देव तत्व भी सृष्टि व्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की विधि व्यवस्था का सम्पादन करते हैं।

शारदा तिलक ने गायत्री के स्वरूप का परिभाषित करते हुए कहा गया है-गायत्री पंचमुखा हैं ,ये कमल पर विराजमान होकर रत्न -हार-आभूषण धारण करतीं हैं। इनके दस हाथ हैं,जिनमें शंख ,कमलयुग्म ,वरद ,अभय, अंकुश ,उज्जवलपात्र और रुद्राक्ष कि माला आदि हैं। पृथ्वी पर जो मेरु नामक शिखर हैं ,उसकी चोटी पर इनका निवास स्थान हैं।

Gayatri Jayanti 2024:- दिव्य गायत्री मंत्र!

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।।

Gayatri Jayanti 2024:- देवी गायत्री की कथा!

शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र की उत्पत्ति ब्रह्मांड के निर्माण के समय सबसे पहले भगवान ब्रह्मा के मुख से हुई थी। भगवान ब्रह्मा अपने चार मुखों से गायत्री मंत्र की व्याख्या चार वेदों के रूप में की। ऐसा माना जाता है कि ऋषि विश्वामित्र ने मां गायत्री को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की और उसके बाद गायत्री मंत्र अस्तित्व में आया।

कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी यज्ञ में बैठने वाले थे, तो उन्होंने अपनी पत्नी सावित्री को बुलाया, लेकिन उन्होंने आने में काफी देर कर दी। यज्ञ का मुहूर्त निकला जा रहा था, इसलिए ब्रह्मा जी ने वहां मौजूद देवी गायत्री से विवाह कर लिया। देवी गायत्री उनकी पत्नी सावित्री की जगह यज्ञ में उनके पास बैठने के लिए सहमत हो गई। इसीलिए कहा जाता है कि देवी गायत्री में भगवान ब्रह्मा के गुण हैं। उपासक माता गायत्री की उपासना पूरी लगन और विश्वास के साथ करते हैं, और उन्हें देवताओं की माता के रूप में मानते हैं।

Gayatri Jayanti 2024:- देवी गायत्री की पूजा का महत्व!!

गायत्री जयंती का पर्व हिंदूओं में काफी महत्वपूर्ण है। देवी गायत्री को लेकर भक्तों में काफी विश्वास और श्रद्धा है। कहा जाता है कि जब विश्वामित्र ने देवी गायत्री को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। तब उन्होंने कहा कि जब भी कोई देवी गायत्री के मंत्रों का जाप करेगा, उसकी समस्या के समाधान के लिए देवी गायत्री उसकी सहायता करेगी। उसके बाद, लोगों ने देवी से आशीर्वाद लेने के लिए गायत्री मंत्र का जाप करना शुरू कर दिया। वर्तमान में भी देवी गायत्री की पूजा का अत्यधिक महत्व है। लोगों का मानना है कि इस दिन  देवी गायत्री स्वयं पृथ्वी पर आई थी। श्रावण पूर्णिमा पर लोग जीवन की बाधाओं और कष्टों को दूर करने के लिए देवी की पूजा करते हैं।

Gayatri Jayanti 2024:- गायत्री मंत्र जाप के लाभ!!

जो व्यक्ति गायत्री मंत्र का जाप श्रद्धा और अत्यधिक भक्ति से करता है, उसे देवा गायत्री से आशीर्वाद प्राप्त होता है। देवी गायत्री के मंत्र जाप से निम्न लाभ होता है।

मन शांत और एकाग्र रहता है। सकारात्मक मानसिकता विकसित होती है।

चिंता, दुख या भ्रम होते हैं।

कार्य और शित्रा में मनोवांछित सफलता मिलती है।

शिव गायत्री मंत्र का जाप करने से पितृदोष, कालसर्प दोष, राहु-केतु और शनि की पीड़ा से मुक्ति मिल सकती है।

संतान को बुद्धि और जीवन में सफलता मिलती है।

गायत्री मंत्र का लगातार जाप करने से भक्तों को अपने पापों से मुक्ति मिल सकती है।

गायत्री जयंती के दिन क्या करें

इस दिन उपासक सूरज निकलने से पहले उठकर पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। नहाते के पानी में गंगाजल मिला लेगें, तो यह अच्छा रहेगा।

इस दिन मां गायत्री का उपवास रखें, और मां गायत्री की पूजा करें।

घर के मंदिर में गायत्री माता की मूर्ति या चित्र लगाएं।

गायत्री मंत्र, गायत्री आरती या गायत्री चालीसा का पाठ करें।

गायत्री मंत्र का जाप कर हवन का आयोजन करें।

गरीबों को अनाज या कपड़े का दान करें।

अपने माता-पिता, गुरुओं या बड़ों का आशीर्वाद लें।

Gayatri Jayanti 2024:- निष्कर्ष!

मां गायत्री की जयंती को लेकर भक्तों में काफी उत्साह रहता है। उपासक देवी गायत्री का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा या यज्ञ का आयोजन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि आप मां गायत्री को याद कर उनका जाप करते हैं, तो देवी आपकी सारी मनोकामनाओं की पूर्ती करती है। आशा करते हैं कि यह यह ब्लॉग पढ़ने के बाद आप गायत्री जयंती के महत्व को समझ गए हों। देवी गायत्री आपको ज्ञान और ज्ञान प्रदान करें।

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