Simha Sankranti 2025:- सिंह संक्रांति 2025 के बारे में
संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना। भारत में, यह त्योहार बहुत लोकप्रिय है और देश के विभिन्न हिस्सों में खुशी और आनंद के साथ मनाया जाता है।
संक्रांति एक राशि से दूसरी राशि में सौर संक्रमण में आती है और सिंह संक्रांति हर साल होने वाली बारह संक्रांति में से एक है। सिंह संक्रांति के दौरान, सूर्य कारक राशि (कर्क) से सिंह राशि (सिंह) तक पारगमन में है। दक्षिण भारत में, इसे सिंह संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है और यह दिन उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में अधिक महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाता है। इस दिन से मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगा का महीना, तमिल महीने के अनुसार अवनि का महीना और बंगाली कैलेंडर के अनुसार भाद्र का महीना शुरू होता है।
हिमाचल प्रदेश के कुमाऊं क्षेत्र के पुरुष और महिलाएं, दक्षिण भारत के अपवाद के साथ, सिंह संक्रांति को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। संक्रमण पुण्य स्नान इस दिन का एक महत्वपूर्ण रिवाज है जो केवल पवित्र जल में किया जाता है। चंद राजवंश के दौरान, आम लोग शाही परिवार के सदस्यों को फल और फूल चढ़ाते थे, जिसे ओलाग का अधिकार कहा जाता था।
Simha Sankranti 2025:- साल 2025 में कब है सिंह संक्रांति?
सिंह संक्रान्ति | समय |
सिंह संक्रान्ति 2025 | 17 अगस्त 2025, रविवार |
सिंह संक्रान्ति पुण्य काल | 06:17 ए एम से 12:44 पी एम |
अवधि | 06 घण्टे 27 मिनट्स |
सिंह संक्रान्ति महा पुण्य काल | 06:17 ए एम से 08:26 ए एम |
अवधि | 02 घण्टे 09 मिनट्स |
सिंह संक्रान्ति का क्षण | 02:00 ए एम |
Simha Sankranti 2025:- सिंह संक्रांति की पूजा विधि और महत्व
इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्न देने की परंपरा है। ऐसे में इस दिन जरूर सूर्यदेव का ध्यान करें और फिर जल चढ़ाएं। ज्योतिष के अनुसार, लाल रंग के कपड़े पहनकर सूर्य को जल चढ़ान शुभ होता है।
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल फूल, लाल चंदन, गेहूं के कुछ दाने डालें। इसके बाद ‘ऊं आदित्याय नम:’ मंत्र का जाप करते हुए जल की धारा बनाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद धूप, दीप लगाकर तीन बार अपने ही स्थान पर परिक्रमा लगाएं। मान्यता है ऐसा करने से बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है।
सूर्य देव को जल चढ़ाने और पूजा के बाद भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की आराधना करें। ज्योतिष के अनुसार, सिंह संक्रांति के दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल करना श्रेष्ठ फलदायी माना गया है।
Simha Sankranti 2025:- सिंह संक्रांति पर ऐसे चढ़ाएं सूर्य देव को जल
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- गंगाजल न हो तो स्नान के पानी में तुलसी की मंजरी भी डाल सकते हैं।
- साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें और फिर उसमें रोली, अक्षत, गुड़ और लाल फूल मिलाएं।
- नंगे पैर सूर्य देव को भाव के साथ अर्घ्य चढ़ाएं।
- वहीं, खड़े होकर सूर्य देव के नामों का जाप करें।
- इसके साथ ही 11 बार सूर्य नमोस्तु श्लोक का जाप करें।
- सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय ”ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:” आदि वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- तामसिक चीजों से परहेज करें और पैरों में अर्घ्य का पानी न पड़ने दें।
Simha Sankranti 2025:- संक्रांति पर दान-पुण्य जरूर करें
संक्रांति पर नदी में स्नान करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। इसी वजह से आज भी गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी लोग पहुंचते हैं। नदी में स्नान के बाद नदी किनारे पर ही दान-पुण्य जरूर करना चााहिए। जरूरतमंद लोगों को अनाज, खाना, धन, कपड़े और जूते-चप्पल का दान करें। गाय को घास खिलाएं। किसी गोशाला में भी दान करें। सूर्य के गुड़, लाल-पीले कपड़े, माणिक जैसी चीजें दान करें।
Simha Sankranti 2025:- सूर्य देवता को प्रसन्न करने के उपाय
- सिंह संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद सूर्य देवता की उपासना करना शुभ होता है। इससे व्यक्ति को अपने पापों से छुटकारा मिलता है।
- भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद प्रात: काल उन्हें अर्घ्य भी दें। अर्घ्य देने के लिए एक तांबे के लोटे में पानी, सिंदूर और एक लाल फूल मिलाएं। इस दौरान सूर्य मंत्र का तीन बार उच्चारण करें। सिंह संक्रांति के दिन सूर्य देवता की आराधना करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, जिससे व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
- संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा करने के साथ-साथ भगवान विष्णु और नरसिंह देवता की भी आराधना करनी चाहिए। इससे आपको भय से मुक्ति मिलेगी।
- सिंह संक्रांति के दिन पानी में घी डालकर नहाना शुभ होता है। इसके अलावा इस दिन घी का सेवन करना भी अच्छा माना जाता है। इससे कुंडली में राहु और केतु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।
- संक्रांति के खास दिन जरूरतमंद लोगों को दान करना शुभ होता है। इस दिन आप अनाज और वस्त्रों का जान कर सकते हैं।