हिंदू धर्म में रुद्राक्ष काफी अहमियत रखता है। मान्यताएं हैं कि शिव के नेत्रों से रुद्राक्ष का उद्भव हुआ और यह हमारी हर तरह की समस्या को हरने की क्षमता रखता है। रुद्राक्ष, दो शब्दों रुद्र और अक्ष से मिलकर बना है। कहते हैं कि रुद्राक्ष सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखता है, इसे धारण करने मात्र से ही तमाम समस्याओं का समाधान हो जाता है।
कहां से आता है रुद्राक्ष?
रुद्राक्ष के पेड़ दरअसल भारत, नेपाल, इंडोनेशिया, बर्मा आदि के पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से पाए जा सकते हैं। इसकी पत्तियां हरी होती हैं और फल भूरे रंग और खट्टे स्वाद वाले होते हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष शिव के नेत्रों से पैदा हुआ फलदायिनी वृक्ष है, जो कई मायनों में लाभदायक सिद्ध होता है। रुद्राक्ष हर किसी की मनोकामना पूरी कर सकता है।
रुद्राक्ष कब करें धारण?
रुद्राक्ष धारण करने के पहले उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए। रुद्राक्ष को आप सावन के दिनों में, सोमवार, सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण, संक्रांति, अमावस्या, पूर्णिमा और महाशिवरात्रि को धारण करना बहुत शुभ माना जाता है।
रुद्राक्ष पहनना हो तो इन नियमों का पालन करें
जो लोग रुद्राक्ष पहनते हैं, उन्हें मांसाहार से बचना चाहिए। घर-परिवार में गंदगी न रखें। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। कभी भी भगवान का या भगवान के प्रसाद का अनादर न करें। घर-परिवार में और समाज में सभी बड़े लोगों सम्मान करें। माता-पिता की सेवा करें। नशा से दूर रहें। विचारों में सकारात्मकता रखें। अगर रुद्राक्ष पहनते हैं और इन बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो रुद्राक्ष से शुभ फल नहीं मिल पाते हैं।
कैसे रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए
कुछ रुद्राक्षों को कीड़े खराब कर देते हैं, कुछ टूट जाते हैं, खंडित हो जाते हैं, कभी-कभी रुद्राक्ष में गलत छेद भी हो जाते हैं, ऐसे रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए।
ऐसा रुद्राक्ष पहनें जो पूरा गोल हो, जिसमें दाने अच्छी तरह उभरे हुए दिखाई देते हों, जिस रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से बना डोरा पिरोने के लिए छेद हो, वह सबसे अच्छा रहता है, ऐसे रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने से पहले शिवलिंग के साथ ही रुद्राक्ष का भी अभिषेक और पूजन करना चाहिए। रुद्राक्ष पहनने के बाद पवित्रता का ध्यान गंभीरता से रखें।
आभा और ऊर्जा का संरक्षक है रुद्राक्ष, जानिए इसके फायदों के बारे में
ब्रह्मांड में हर एक भौतिक वस्तु की अपनी एक आभा (Aura) होती है। कई बार आपने गौर किया होगा कि किसी व्यक्ति से मिलने के बाद हमें काफी अच्छा महसूस होता है। हम जब भी किसी सिद्ध पुरुष के निकट जाते हैं। उस दौरान हमारा मन काफी शांत हो जाता है। यह उस सिद्ध व्यक्ति की आभा का ही कमाल है कि उस व्यक्ति के निकट जाते ही हमें दिव्य अनुभूति होती है।
मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष हमारी इसी आभा को साफ करने का काम करता है। आपने कभी गौर किया है कि जब हम किसी नई जगह पर जाते हैं। वहां हमें नींद नहीं आती। वहीं दूसरी ओर अपने घर पर जहां हम लंबे समय से रहते आ रहे हैं। वहां हमारी नींद या बाकी दूसरी क्रियाएं काफी आसानी से हो जाती हैं। आखिर ऐसा होता क्यों है?
इसके पीछे का विज्ञान यह है कि आप जहां पर रुकते हैं। वहां आपका शरीर अपनी ऊर्जा की फ्रिक्वेंसी छोड़ता है। ऐसे में जिस जगह पर आप रहते हैं, सोते हैं वहां आपकी ऊर्जा का एक प्रवाह बन जाता है। इस कारण उस स्थान पर रहने, सोने या दूसरी क्रियाओं को करने में काफी सहजता महसूस होती है। अगर आप उस जगह पर न भी हों। इस स्थिति में भी फॉरेन्सिक वैज्ञानिक थर्मल इमेजिंग के जरिए बता देंगे कि कुछ समय पहले आप वहां पर थे।
वहीं जब हम किसी नई जगह पर जाते हैं। वहां पर ऊर्जा का दूसरा प्रवाह होता है। ऐसे में व्यक्ति जब नई ऊर्जा के संपर्क में आता है। ऐसे में उसकी ऊर्जा (आभा) को नुकसान पहुंचता है। इसका सबसे बड़ा कारण बाहरी शक्तियों के प्रभाव में हमारी ऊर्जा का कमजोर पड़ना है। इसी वजह से साधु संत, जो नियमित सफर करते हैं। वो रुद्राक्ष को धारण करते हैं। मान्यता कहती है कि रुद्राक्ष एक कोकून की भांति व्यक्ति की ऊर्जा और आभा को बाहरी शक्तियों से संरक्षण प्रदान करता है। इससे शरीर को निश्चित स्थिरता मिलती है।
कई बार लोग काला जादू या टोने टोटके की सहायता से नकारात्मक ऊर्जा के जरिए किसी दूसरे व्यक्ति को क्षति पहुंचाने की कोशिश करते हैं। अथर्ववेद में तंत्र और रहस्यमयी विद्याओं का वर्णन है। ऐसे में रुद्राक्ष इस तरह की नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए व्यक्ति को कवच प्रदान करता है। सद्गुरु जग्गी वासुदेव अपने एक इंटरव्यू में कहते हैं कि – रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति का रक्तचाप संतुलित हो जाता है। इससे व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य सुधरने लगता है।
औषधीय गुणों से भरपूर होता है रुद्राक्ष
रुद्राक्ष अपनी दिव्यता के साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है। इसकी माला को धारण करने से भूतबाधा व नकारात्मक विचार दूर होते हैं। इसकी माला गले में धारण करने से रक्त का दबाव अर्थात उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है। रुद्राक्ष से निकलने वाले तेल से दाद, एक्जिमा और मुंहासों से राहत मिलती है, ब्रोंकियल अस्थमा में भी आराम मिलता है।
दिल की बीमारी से बचाता है रुद्राक्ष
दिल की बीमारी व घबराहट में रुद्राक्ष एक प्रशांतक औषधि का काम करता है। इसके पत्तों में गुण पाए जाते हैं। इसलिए इसके पत्तों का लेप घाव के उपचार में किया जाता रहा है। आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों की चर्चा हुई है। इसके पत्तों से सिरदर्द, माइग्रेन, एपिलेप्सी तथा मानसिक रोगों का उपचार किया जाता है। फल के छिलके का उपयोग सर्दी, फ्लू और बुखार में किया जाता है। साथ ही इसके पत्तों व छिलकों का उपयोग रक्त के शोधन में भी किया जाता है। आयुर्वेद के ग्रंथों के अनुसार- रुद्राक्ष शरीर को सशक्त करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, नैसर्गिक उपचारात्मक शक्तियों को जाग्रत करता है और समग्र स्वास्थ्य में योगदान देता है।