#शिवआराधना धरती पर शिवलिंग को शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है तभी तो शिवलिंग के दर्शन को स्वयं महादेव का दर्शन माना जाता है और इसी मान्यता के चलते भक्त शिवलिंग को मंदिरों में और घरों में स्थापित कर उसकी पूजा अर्चना करते हैं.
यू को भोले भंडारी एक छोटी सी पूजा से हो जाते हैं प्रसन्न लेकिन शिव आराधना की सबसे महत्वपूर्ण पूजा विधि रूद्राभिषेक को माना जाता है. रूद्राभिषेक … क्योंकि मान्यता है कि जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और उसी से हुई है रूद्रभिषेक की उत्पत्ति.
रूद्र यानी भगवान शिव और अभिषेक का अर्थ होता है स्नान करना. शुद्ध जल या फिर गंगाजल से महादेव के अभिषेक की विधि सदियों पुरानी है क्योंकि मान्यता है कि भोलभंडारी भाव के भूखे हैं. वह जल के स्पर्श मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं. वो पूजा विधि जिससे भक्तों को उनका वरदान ही नहीं मिलता बल्कि हर दर्द हर तकलीफ से छुटकारा भी मिल जाता है.
साधारण रूप से भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से महादेव के अभिषेक की विधि प्रचिलत है.
तो कैसे महादेव का अभिषेक कर आप उनका आशीर्वाद पाएं उससे पहले ये जानना बहुत जरूरी है कि किस सामग्री से किया गया अभिषेक आपकी गया है फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप हो, गायत्री मंत्र हो या फिर भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र.
1) जल से अभिषेक कौन सी मनोकामनाओं को पूरा कर सकता है साथ ही रूद्राभिषेक को करने का सही विधि-विधान क्या हो क्योंकि मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना
– हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करेत हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
– शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
2) दूध से अभिषेक
– शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: मंत्र का जाप करें।
– शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
3) फलों का रस
– अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
– शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
4) सरसों के तेल से अभिषेक
– ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए ॐ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
– शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
5) चने की दाल
– किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर चने की दाल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करेत हुए -ॐ शं शम्भवाय नम: मंत्र का जाप करें।
– शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
6) काले तिल से अभिषेक
– तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर काले तिल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए -ॐ क्षौं ह्रौं हुं शिवाय नम: का जाप करें।
– शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
7) शहद मिश्रित गंगा जल
– संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए -ॐ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा’ का जाप करें
– शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
8 ) घी व शहद
– रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय स्वाहा” का जाप करें।
– शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
9 ) कुमकुम केसर हल्दी
– आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें। – ‘ॐ उमायै नम:’ का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– पंचाक्षरी मंत्र पढ़ते हुए पात्र में फूलों की कुछ पंखुडियां दाल दें-‘ॐ नम: शिवाय’ ।
– फिर शिवलिंग पर पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक का मंत्र-ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं नीलकंठाय स्वाहा’
– शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।