Makar Sankranti 2026:- मकर संक्रांति 2026 तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति का पर्व 2026 में बुधवार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन पुण्यकाल मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 49 मिनट से शाम 05 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। महापुण्य काल मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 49 मिनट से 03 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इस दिन स्नान-दान के लिए पुण्यकाल और महापुण्यकाल मुहूर्त बहुत ही अच्छा माना जाता है। वहीं, 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत भी होगी।
Makar Sankranti 2026:- मकर संक्रांति से शुरू होंगी शादियां
2026 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी, बुधवार को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल और महा पुण्यकाल को स्नान-दान के लिए सर्वोत्तम माना जाता है. साल 2026 में मकर संक्रांति का पुण्यकाल मुहूर्त 14 जनवरी की दोपहर 02 बजकर 49 मिनट से शाम 05 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. महापुण्य काल मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 49 मिनट से 03 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. साथ ही 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन से शुभ-मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी होगी.
Makar Sankranti 2026:- मकर संक्रांति के और कौन से नाम हैं
मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल कहा जाता है। गुजरात में उत्तरायण कहते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे खिचड़ी पर्व कहा जाता है। पंजाब में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। असम में इसे माघ बिहू कहते हैं।
Makar Sankranti 2026:- मकर संक्रांति पर क्या किया जाता है
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ के लड्डू, गजक और रेवड़ी बांटी जाती हैं। इस मौके पर लोग दान-पुण्य करते हैं। मकर संक्रांति पर खासकर तिल, गुड़, कंबल और कपड़े दान किए जाते हैं। इस दिन पवित्र नदियों, खासतौर पर गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन पतंग भी उड़ाई जाती है।
Makar Sankranti 2026:- मकर संक्रांति पूजा विधि
- सूर्योदय से पूर्व स्नान करके शुद्ध हों।
- पूर्व दिशा की ओर सूर्य देव की मूर्ति या प्रतीकस्थापन करें।
- महापुण्य काल में तिल, जल और फल अर्पित करें।
- ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- ‘तिलगुल घ्या, गोड गोड बोला’ बोलकर तिलगुड़ मिठाई बांटें।
- स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना के साथ पूजा समाप्त करें।
Makar Sankranti 2026:- मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से भी मकर संक्रांति का अत्यधिक महत्व है। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। जैसाकि शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि के स्वामी है इसलिए मकर संक्रांति का पर्व पिता-पुत्र के मिलन से भी सम्बंधित है। मकर संक्रांति के दिन तीर्थ स्थानों पर पवित्र स्नान करने का काफी महत्व होता है।
शास्त्रों में दक्षिणायन को नकारात्मकता और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। श्रीभगवद् गीता के अध्याय 8 में भगवान कृष्ण ने कहा हैं कि उत्तरायण के छह माह के दौरान देह त्यागने से ब्रह्म गति प्राप्त होती हैं जबकि दक्षिणायन के छह महीने में देह त्यागने वाले मनुष्य को संसार में पुनः जन्म-मृत्यु के चक्र की प्राप्ति होती हैं।
Makar Sankranti 2026:- मकर संक्रांति के उपाय
- शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति को सभी जातकों को चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष सूर्योदय से पूर्व अवश्य ही अपनी शय्या का त्याग कर के स्नान अवश्य ही करना चाहिए ।देवी पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता है। वह रोगी और निर्धन बना रहता है।
- विशेषकर मकर संक्रांति Makar Sankranti पर तिल-स्नान को अत्यंत पुण्यदायक बतलाया गया है। शास्त्रो के अनुसार इस दिन तिल – स्नान करने वाला मनुष्य सात जन्म तक आरोग्य को प्राप्त करता है, जातक रूपवान होता है उसे किसी भी रोग का भय नहीं होता है ।आरोग्य की कामना करने वालें मनुष्य को चाहिए कि इस तिल का उबटन बना कर उसे पूरे शरीर पर लगाए फिर स्नान करे इससे पूरे वर्ष स्वास्थय लाभ मिलता है।
- मकर सक्रांति के दिन स्नान के बाद भगवान सूर्यदेव की अवश्य ही पूजा करनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार यदि इस दिन प्रभु सूर्यदेव को प्रसन्न करने पर विशेष फल मिलता है और भगवान सूर्यदेव को प्रसन्न करने के उपाय करने से व्यक्ति के किस्मत के दरवाजे निसंदेह ही खुल जाते हैं।





