Kartik Purnima 2024:- कार्तिक पूर्णिमा के बारे में!!
कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन हिंदू, जैन और सिखों द्वारा मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा या त्रिपुरी पूर्णिमा और देव-दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा उत्सव रोशनी के त्योहार-दिवाली के उत्सव के बाद मनाया जाता है ।Kartik Purnima 2024:- कार्तिक पूर्णिमा 2024 तिथि और समय!!
कार्तिक पूर्णिमा 2024 15 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर 2024 को सुबह 06:19 बजे शुरू होगी
पूर्णिमा तिथि 16 नवंबर 2024 को सुबह 02:58 बजे समाप्त होगी
Kartik Purnima 2024:- कार्तिक पूर्णिमा महत्व!!
- कार्तिक पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा उत्सव एक शुभ दिन है और विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में महत्वपूर्ण है। यह हिंदू, सिख और जैनियों द्वारा मनाया जाता है।
- राधा कृष्ण का महत्व
यह दिन राधा और कृष्ण की पूजा के लिए पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन राधा कृष्ण ने अपनी गोपियों के साथ रासलीला की थी। कार्तिक पूर्णिमा को जगन्नाथ मंदिर, पुरी और अन्य राधा कृष्ण मंदिरों में भव्य स्तर पर मनाया जाता है।
- शिव का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का दूसरा नाम त्रिपुरारी पूर्णिमा है जो भगवान शिव का एक उपनाम है। त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने देवताओं को हराकर अंतरिक्ष में “त्रिपुरा” नामक तीन नगर बसाए थे। शिव ने एक ही तीर से राक्षस को मार डाला और सभी शहरों को नष्ट कर दिया। देवताओं ने इस दिन को रोशनी के त्योहार के रूप में मनाया, यही कारण है कि इसे “देव-दिवाली” भी कहा जाता है।
- तुलसी और विष्णु का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के अवतारों में से एक मत्स्य का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन तुलसी, जिन्हें वृंदा भी कहा जाता है, का भी उत्सव मनाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
- कार्तिकेय का महत्व
दक्षिणी भारत में इस दिन को शिव के पुत्र और युद्ध के देवता भगवान कार्तिकेय की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को भी याद करते हैं।
- गुरु नानक का महत्व
सिख धर्म में गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा के उत्सव और अनुष्ठान
कार्तिक पूर्णिमा पूरे देश में उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के कुछ प्रसिद्ध अनुष्ठान और उत्सव हैं:
- लोग तीर्थ स्थानों पर पवित्र स्नान करते हैं।
- सुखी और शांतिपूर्ण जीवन के लिए भगवान विष्णु की पूजा में फूल, दीपक और अगरबत्ती का उपयोग किया जाता है।
- कार्तिक पूर्णिमा पर भक्त सत्यनारायण व्रत नामक व्रत भी रखते हैं।
- लोग मंदिरों और अपने घरों में भगवान शिव का ‘रुद्राभिषेक’ भी करते हैं।
- इस दिन तुलसी विवाह भी एक प्रसिद्ध परंपरा है, जहां लोग वृंदा (तुलसी) और भगवान विष्णु का विवाह करते हैं।
Kartika Purnima 2024:- कार्तिक पूर्णिमा 2024 व्रत!!
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। इस दिन लोग भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। उपासक पूजा के दौरान फूलों और फलों का उपयोग करते हैं और कार्तिक पूर्णिमा व्रत से संबंधित कथा सुनते हैं। लोग शांति और खुशी के लिए ‘रुद्राभिषेक’ करते हैं और सत्यनारायण कथा और कार्तिक पूर्णिमा की कथा सुनते हैं।
Kartik Purnima 2024:- कार्तिक पूर्णिमा के दिन ऐसे करें पूजा!!
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। अगर आप किसी नदी में स्नान करने में असमर्थ है, तो आप शुद्ध जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इसके बाद भगवान लक्ष्मी नारायण की आराधना करते हुए पूजा करें। जहां भगवान विष्णु की मूर्ति या फिर उनके चित्र के सामने घी का दीपक लगाएं, और विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही भगवान सत्यनारायण की कथी सुनना भी आपके लिए लाभकारी होगा। कथा के समापन के पश्चात भगवान को खीर का भोग लगाकर प्रसाद19 नवंबर वितरण करें। इसके बाद शाम के समय भगवान लक्ष्मी नारायण यानी विष्णु की पूजा कर, तुलसी जी की भी आरती उतारें। शाम के समय घर के बाहर और अंदर भी दीपक लगाना चाहिए। साथ ही अगर आप किसी जरूरतमंद को भोजन कराते हैं, तो वह सोने पर सुहागा होगा।
Kartika Purnima 2024:- कार्तिक पूर्णिमा मंत्र
कार्तिक पूर्णिमा के मंत्र अत्यंत फलदायी होते हैं और मंत्रों के जाप से मनचाहा धन और सुख प्राप्त किया जा सकता है। मूल मंत्र हैं:
- तुलसी मंत्र :
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, अधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
- विष्णु मंत्र:
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगीभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
- शिव मंत्र:
ॐ त्रयंबकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि-वर्धनम्
उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥