कन्या संक्रांति पर इन राशियों के लिए शुभ नहीं है सूर्य का राशि परिवर्तन !!!

Kanya sankranti

हिन्दू धर्म में कन्या संक्रांति का विशेष महत्व है। इस साल 17 सितंबर शुक्रवार को है। हिन्दू धर्म में संक्रांति पर्व का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्य देव की आराधना करने का विधान है। कन्या संक्रांति तिथि स्नान, दान आदि धार्मिक कार्यों के लिए बेहद लाभदायक मानी गई है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन पूजा करना फायदेमंद माना गया है। कन्या संक्रांति पर विश्वकर्मा पूजन भी किया जाता है जिस वजह से इस तिथि का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। ज्योतिष विज्ञान में सूर्य जब एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। कन्या संक्रांति के दिन कुछ विशेष उपाय करने से जातकों का समाज में मान-सम्मान बढ़ता है, कार्यक्षेत्र में उच्च पद प्राप्त होता है और कुंडली में सरकारी नौकरी के योग बनते हैं। कन्या संक्रांति के दिन आप ये उपाय कर सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।


ग्रहों के राजा सूर्य देव जिस दिन राशि परिवर्तन करते हैं, उस दिन को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सितंबर के महीने में सूर्य संक्रांति 17 तारीख को है। इस दिन सूर्य देव अपनी स्वराशि सिंह से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे। जहां पहले से ही मंगल ग्रह मौजूद हैं। सूर्य के कन्या राशि मे गोचर का किन राशियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, इसके बार में आज हम आपको जानकारी देंगे। साथ हम आपको बताएंगे कि आपको क्या उपाय करने चाहिए।

मेष राशि: राजनीति से दूर रहें
सूर्य आपकी राशि से षष्ठम भाव में गोचर करेंगे। वैदिक ज्योतिष में छठे भाव को बहुत शुभ नहीं माना जाता। इस भाव में सूर्य के गोचर करने से आपके विरोधी सक्रिय हो सकते हैं और आप के खिलाफ साजिशें कर सकते हैं इसलिए इस दौरान सावधानी से आपको रहना चाहिए। कार्यक्षेत्र में होने वाली राजनीति से आपको बचकर रहने की सलाह दी जाती है। उपाय के तौर पर आपको सूर्य देव को जल का अर्घ्य सुबह के समय देना चाहिए।

मिथुन राशि: स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें
सूर्य देव का गोचर आपकी राशि से चौथे भाव में होगा। इस दौरान आपको पारिवारिक जीवन में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अपनी माता के स्वास्थ्य का आपको विशेष ध्यान रखना होगा। वाहन आदि चलाते समय भी सावधानी बरतें और ऐसी स्थिति में वाहन बिल्कुल ना चलाएं, जब आप किसी बात को लेकर टेंशन में हो। उपाय के तौर पर मिथुन राशि के लोगों को इस दौरान अपने पिता या पिता तुल्य लोगों का आशीर्वाद लेकर घर से बाहर निकलना चाहिए।

तुला राशि: जल्दबाजी में कोई फैसला न लें
आपकी राशि से द्वादश भाव में सूर्य देव के गोचर करने से अनचाहे खर्चों में वृद्धि हो सकती है। इस समय आपको सोच समझकर धन का व्यय करना चाहिए। जल्दबाजी में आकर कोई भी बड़ा फैसला इस दौरान न लें अन्यथा मुसीबत में फंस सकते हैं। हालांकि इस राशि की उन जातकों को लाभ मिलने की आशंका है, जो विदेशों से जुड़ा व्यापार करते हैं। उपाय के तौर पर तुला राशि के लोगों को इस समय केसरिया रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।

मकर राशि: ऐसा खाना खाने से बचें
शनि की स्वामित्व वाली मकर राशि के जातकों के अष्टम भाव में सूर्य देव को गोचर करेंगे। इस गोचर के दौरान आपको स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं, आपको तला भुना भोजन और बाहर के खाने से इस दौरान बचना चाहिए नहीं तो आपको पेट से संबंधित रोग हो सकते हैं। सूर्य के बुरे प्रभावों से बचने के लिए इस दौरान मकर राशि के लोगों को ओम सूर्याय नमः मंत्र का जप प्रतिदिन प्रातः काल के समय करना चाहिए।

मीन राशि: अपने शब्दों का ध्यान रखें
देवताओं के गुरु बृहस्पति देव की मीन राशि को विरोधियों के कारण कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी के साथ भी बहुत अच्छे संबंध नहीं रहेंगे, टकराव की आशंका बनी रहेगी। बुजुर्गों से बातचीत करते समय अपने शब्दों का ध्यान रखे अन्यथा गलतफहमी की वजह से रिश्ता खराब हो सकता है। करियर से संबंधित इस समय कोई भी बड़ा फैसला लेने से बचें। गोचर काल में कार्यक्षेत्र में अधिकारियों का सहयोग नहीं मिलेगा इसलिए किसी भी राजनीति से दूर रहें। उपाय के तौर पर सूर्य देव को जल दें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।

कन्या संक्रांति का महत्व
कन्या संक्रांति तिथि स्नान, दान आदि धार्मिक कार्यों के लिए बेहद लाभदायक मानी गई है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन पूजा करना फायदेमंद माना गया है। कन्या संक्रांति पर विश्वकर्मा पूजन भी किया जाता है जिस वजह से इस तिथि का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। उड़ीसा और बंगाल जैसे क्षेत्रों में इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने इस ब्रह्मांड को रचा था। उन्होंने देवों के महल और शास्त्रों का भी निर्माण किया था। कहा जाता है यह दुनिया उन्हीं की रचना है।

इस विधि से करें सूर्यदेव की पूजा:

  • सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें ॐ घृणि सूर्याय नम: कहते हुए जल अर्पित करें।
  • सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें। सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
  • सूर्य की साधना में मंत्रों का जप करने पर मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है। सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • सूर्य के आशीर्वाद से आपके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है। जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता दिलाने वाले सूर्य मंत्र इस प्रकार हैं –
  1. ॐ घृणि सूर्याय नमः।।
  2. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पतेए अनुकंपयेमां भक्त्याए गृहाणार्घय दिवाकररू।।
  3. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।

सूर्य देव की असीम कृपा पाने के लिए करेंगे उपाय : –
आप लोग हर रविवार को सूर्य देव को जल चढ़ाए व कन्या संक्रांति के दिन कुछ दान भी दे । किसी भी तरह की बुराई और गलत आचरण से आप लोग खासतौर से बचें और पिता जी की सेवा करें । इन कार्य को पूर्ण करने से आप लोगों को सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होगा व समाज में आपका मान – सम्मान में वृद्धि होगी ।

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