हनुमान जी से जुड़ी खास बातें:-
शिव के अंशावतार- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार राम भक्त हनुमान को भगवान शिव के 11वें अंशावतार के रूप में जाना जाता है. यह अवतार अंजनी पुत्र ने भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार भगवान राम की सहायता करने के मकसद से पृथ्वी पर लिया था
हनुमद रामायण– भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी वाल्मीकि की रामायण से भी पहले हनुमद रामायण की रचना की थी. यह उस समय की बात है जब भगवान राम रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे और अपना राज-पाठ संभाला. उस समय हनुमान जी हिमालय चले गए और उन्होंने भगवान शिव की तपस्या के दौरान शिला पर अपने नाखून से उस रामायण को लिखा
पूरे शरीर पर लगाया सिंदूर- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक बार हनुमान जी ने माता सीता को मांग में सिंदूर लगाते देख कर उनसे इसका कारण पूछा. तो माता सीता ने कहा मंग में सिंदूर लगाने से प्रभु राम की उम्र बढ़ेगी. तब हनुमान जी ने भगवान राम की लंबी उम्र के लिए अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर लगाया था.
पंचमुखी अवतार- भगवान राम और भाई लक्ष्मण की रक्षा करने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार लिया था. रावण से युद्ध के दौरान मायावी अहिरावण ने भगवान राम और लक्ष्मण को तंत्र विद्या से मूर्छित कर दिया था. तब विभीषण ने बताया था कि अहिरावण की मायावी शक्तियों को कमजोर करने के लिए उसके द्वारा 5 दिशाओं में जलाए गए 5 दियों को एक साथ बुझाने पर उसकी शक्ति कमजोर होने लगेगी. तब हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार लिया और पांचों दियों को एकसाथ बुझा कर प्रभु राम और लक्ष्मण की जान बचाई
सूर्य नमस्कार का अविष्कार- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हनुमान जी ने अपने गुरु सूर्य से सभी वेदों का ज्ञान प्राप्त करने के बाद जब उन्हें गुरु दक्षिणा देनी चाही तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया. जिसके बाद बजरंगबली ने अपनी यौगिक क्रियाओं द्वारा वंदना की जिसे हम सभी सूर्य नमस्कार के नाम से जानते हैं.
हनुमान जी का पुत्र है मकरध्वज- जब अहिरावण से भगवान राम और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी पाताल लोक पहुंचे तो वानर जैसा दिखने वाले जीव से परिचय लिया तो उसने हनुमान जी को अपना पिता बताया. यह सुनकर हनुमान जी को क्रोध आ गया. उन्होंने कहा असंभव मैं ब्रह्मचारी हूं तुम मेरे पुत्र कैसे हो सकते हो. तब हनुमान जी के बेटे मकरध्वज ने बताया कि समुद्र पार करते समय आपके पसीने की बूंद एक मकर के मुंह में गिर गई थी जिससे वह गर्भवती हो गई थी. उशी से मेरा जन्म हुआ है
बजरंग बली के सबसे प्रसिद्ध और इच्छापूर्ति मंदिर
- हनुमान मंदिर, इलाहबाद (उत्तर प्रदेश)
इलाहबाद किले से सटा यह मंदिर लेटे हुए भगवान हनुमान की प्रतिमा वाला प्राचीन मंदिर है। इसमें हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। मूर्ति 20 फीट लम्बी है। जब बारीश में बाढ़ आती है तो मंदिर जलमग्न हो जाता है, तब मूर्ति को कहीं ओर ले जाकर सुरक्षित रखा जाता है।
- हनुमानगढ़ी, अयोध्या
अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है। हनुमानगढ़ी मंदिर प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर बना है। मंदिर के चारों ओर निवास साधु-संत रहते हैं। हनुमानगढ़ी के दक्षिण में सुग्रीव टीला व अंगद टीला नामक जगह हैं। मंदिर की स्थापना 300 साल पहले स्वामी अभयारामदासजी ने की थी।
- सालासर हनुमान मंदिर, सालासर(राजस्थान)
यह मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में है। गांव का नाम सालासर है, इसलिए सालासर बालाजी के नाम यह प्रसिद्ध है। यह प्रतिमा दाड़ी व मूंछ वाली है। यह एक किसान को खेत में मिली थी, जिसे सालासर में सोने के सिंहासन पर स्थापित किया गया है।
- हनुमान धारा, चित्रकूट
उत्तर प्रदेश में सीतापुर के पास यह हनुमान मंदिर है। यह पर्वतमाला के मध्य में है। हनुमान की मूर्ति के ठीक ऊपर दो कुंड हैं, जो हमेशा भरे रहते हैं। उनमें से पानी बहता रहता है। इस धारा का जल मूर्ति के ऊपर से बहता है। इसीलिए, इसे हनुमान धारा कहते हैं।
- श्री संकटमोचन मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में है। इस मंदिर के चारों ओर एक छोटा सा वन है। मंदिर के प्रांगण में भगवान हनुमान की दिव्य प्रतिमा है। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदासजी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई स्वयंभू मूर्ति है।
- भेट-द्वारका, गुजरात
भेज-द्वारका से चार मील की दूरी पर मकरध्वज के साथ में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी परंतु अब दोनों मूर्तियां एक सी ऊंची हो गई हैं। मकरध्वज को हनुमानजी का पुत्र बताया गया है, जिसका जन्म हनुमानजी के पसीने द्वारा एक मछली से हुआ था।
- बालाजी हनुमान मंदिर, मेहंदीपुर (राजस्थान)
राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर है। यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई-बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना है। यहां चट्टान में हनुमान की आकृति स्वयं उभर आई थी। इसे ही श्री हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है।
- डुल्या मारुति, पूना (महाराष्ट्र)
पूना के गणेशपेठ में बना यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। श्रीडुल्या मारुति का मंदिर संभवत: 350 वर्ष पुराना है। मूल रूप से डुल्या मारुति की मूर्ति एक काले पत्थर पर अंकित की गई है। इस मूर्ति की स्थापना श्रीसमर्थ रामदास स्वामी ने की थी।
- श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर (गुजरात)
अहमदाबाद-भावनगर के पास स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर 12 मील दूर है। महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इस मूर्ति की प्रतिष्ठा की थी। जनश्रुति है कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में भगवान हनुमान का आवेश हुआ और यह हिलने लगी। यह मंदिर स्वामीनारायण सम्प्रदाय का एकमात्र हनुमान मंदिर है।
- हंपी, कर्नाटक
बेल्लारी जिले के हंपी शहर में एक हनुमान मंदिर है। इन्हें यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है। यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है। संभवतः यहीं किसी समय वानरों का विशाल साम्राज्य स्थापित था। आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं।
- हनुमान जी की उल्टी प्रतिमा वाला मंदिर
हनुमान जी की उल्टी प्रतिमा वाले मंदिर से जुड़े रहस्य के बारे में जानेंगे। हनुमान जी का एक खास मंदिर है जिसमें रहस्य है और यह हमारे देश का बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जिन्हें भगवान श्री राम के भक्त के रूप में पूजा जाता है। उन्हें संकट मोचन के नाम से जाना जाता है क्योंकि वह लोगों की परेशानियों में मदद करते हैं। भारत में हनुमान जी को समर्पित कई मंदिर हैं जहां लोग उनकी पूजा करने जाते हैं।
चमत्कारी प्रतिमा
मध्य प्रदेश के इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर सांवेर गांव में एक खास मंदिर स्थित है। इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति उल्टी है यानी सिर के बल खड़े हैं। देश भर से लोग इस मंदिर में उलटी मूर्ति देखने के साथ-साथ श्री राम, सीता माता, लक्ष्मण और शिव-पार्वती जैसे अन्य देवताओं की पूजा करने आते हैं। मंदिर में मंगलवार और शनिवार को बहुत भीड़ हो जाती है जब बहुत से भक्त आते हैं।
दर्शन से दूर होते हैं संकट
यदि आप 3 से 5 मंगलवार इस विशेष मंदिर में जाकर हनुमान भगवान को एक विशेष कपड़ा चढ़ाते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। मध्य प्रदेश के गांव में स्थित यह मंदिर में उल्टे हनुमान जी की मूर्ति को बहुत खास माना जाता है।
उल्टे हनुमान जी की प्रतिमा के पीछे का रहस्य
मंदिर में हनुमान जी की उल्टी मूर्ति के पीछे एक विशेष कहानी है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने एक बार श्री राम और लक्ष्मण का अपहरण कर लिया और उन्हें पाताल लोक ले गया। हनुमान जी, जो एक शक्तिशाली वानर देवता हैं, उन्हें बचाने के लिए वहां गए। उन्होंने रावण से युद्ध किया और उसे परास्त किया और श्री राम और लक्ष्मण को सुरक्षित वापस ले आये। लोगों का मानना है कि यह मंदिर वह स्थान है जहां हनुमान जी ने पाताल लोक में प्रवेश किया था। इसीलिए उनकी मूर्ति का सिर नीचे की ओर है, क्योंकि पाताल में जाते समय हनुमान ने अपना सिर नीचे की ओर कर लिया था।
हनुमान जी को प्रसन्न करने के खास उपाय
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीया जाएं. लेकिन मंगलवार के दिन शाम को हनुमान मंदिर में चमेली के तेल का दीया जलाने से बजरंगबली जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. और भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं. चमेली के तेल का दीपक जलाने से शत्रुओं का नाश होता है.
- बता दें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर मंगलवार की शाम को हनुमान मंदिर में ध्वज अर्पित किया जाए, तो धन से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान होता है. ध्वज चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि वे तिकोना होना चाहिए. उस पर भगवान राम का नाम लिखा होना चाहिए.
- शास्त्रों के अनुसार तुलसी को पूजनीय माना गया है. वहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा तुलसी का प्रयोग बहुत ही शुभ माना गया है. मनोकामना पूर्ती के लिए मंगलवार की शाम हनुमान मंदिर में हनुमान जी को तुलसीदल यानि तुलसी के पत्तों की बनी हुई माला अर्पित करें.
- इसके अलावा, मंगलवार की शाम हनुमान जी को बूंदी या लड्डूओं का भोग लगाएं. इसके साथ ही मंदिर में भोग लगाने के बाद उसे प्रसाद को सभी में बांट दें. कहते हैं कि इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और ग्रहों की स्थिति में सुधार होता है.