Diwali 2024:- दिवाली 2024 कब है? क्या है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि दिवाली से जुड़ी सारी जानकारी!!

diwali 2024

दिवाली पर्व क्या है| What Is Diwali

हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और गणेश जी के साथ-साथ कुबेर की भी पूजा की जाती है दीपावली हिंदुओं का मुख्यतह त्यौहार है यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश अन्नयाय पर न्याय और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार है इस त्यौहार को विजय का प्रतीक भी माना जाता है

दिवाली पर्व 2024 कब है | Diwali Kab Hai 2024

दिवाली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है,इस साल दिवाली या दीपावली 12 या 13 नवंबर में है

लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 2024 कब है | Diwali 2024 Kab Hai

Date | तारीख      01 November 2024

Day | दिन             Friday | शुक्रवार

दिवाली का शुभ मुहूर्त         शाम 6.15 से

दिवाली कैलेंडर 2024 | Diwali Festival Calender 2024

धनतेरस | Dhanteras        मंगलवार, 29 अक्टूबर2024

नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली)          गुरुवार, 31 अक्टूबर,2024

दिवाली | Diwali Or Deepawali      शुक्रवार, 1 नवंबर,2024

गोवर्धन पूजा | Govardhan               शनिवार, 2 नवंबर 2024

भाई दूज | Bhai Duaj         रविवार, 3 नवंबर 2024

अमावस्या तिथि कब से कब तक है? | When And How Long Is Amavasya Tithi?

इस साल अमावस्या तिथि प्रारम्भ 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी और 1 नवंबर 2024 को दोपहर 6 बजकर 15 मिनट पर खत्म हो जाएगी।

दीवाली का हिन्दू धर्म में महत्व | Importance Of Diwali

दीपावली का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है, इसलिए दीपावली का त्यौहार सभी हिंदुस्तानी बड़े ही हर्षल्लास के साथ मनाते है इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है दिवाली के दिन अगर आप सच्चे हृदय से माता लक्ष्मी जी की पूजा आराधना करते हैं तो माता लक्ष्मी की कृपा से आपके घर में लक्ष्मी जी की कृपा सदैव बनी रहती है इस पर्व को मनाने का अलग ही महत्व है ऐसा माना जाता है जब श्रीराम ने 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या नगरी वापस आये अयोध्या वासियों ने अपने घरों की सफाई की और और दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था

वहीं दूसरी कथा के अनुसर भगवान श्री कृष्ण ने राछस नरकासुर का वध करके अपनी प्रजा को मुक्त कराया था तब द्वारका की प्रजा ने दीपक जलाकर उनका धन्यवाद किया था इसके अलावा इस पर्व को मनाने का एक और महत्व है इसमें तीसरी परंपरा के अनुसर सतयुग में जब समुद्र मंथन हुआ था उस समय समुद्र मंथन में से देवी धन्वन्तरि और माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं इस वजह से भी लोग दीया जलाकर दिवाली का पर्व मनाते हैं

 

लक्ष्मी पूजन का महत्व | Importance Of Lakshmi Worship

लक्ष्मी पूजन दीपावली का अद्भुत दिन है जब माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और इसका एक खास महत्व है कि मारवाड़ी समुदाय में इस दिन को नए साल के रूप में मनाया जाता है कार्तिक अमावस्या के दिन अयोध्या वासियों ने 14 साल के वनवास में भगवान श्री राम और माता सीता का दीप जलाकर स्वागत किया था और धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप ऐसा भी मन जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विवाह हुआ था लक्ष्मी पूजन पंच देवताओं का संयुक्त सम्मान जिसमें माता लक्ष्मी भगवान गणेश माता सरस्वती महाकाली और भगवान कुबेर संमिलित हैं दीपावली की पूजा का उत्सव तब शुरू होता है जब घर के सभी परिवार के सदस्य और पुजारी घर की पूजा स्थल पर एकत्रित होकर पूजा आराधना करते हैं

दीवाली का पर्व क्यों मनाया जाता है? | Why Is The Festival Of Diwali Celebrated?

दीपावली का पर्व भारत के साथ-साथ विदेशो में भी मनाया जाने वाला एक खास पर्व है इस पर्व को मनाने के लिए कुछ मुख्य करण हैं

  • ऐसा कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं ऐसा मन जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाती हैं
  • दिवाली मनाने का दूसरा करण है कि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था जब भगवान रावण का वध कर वापस लौट रहे थे तो उपयोग समय अयोध्या नगरी में दीपक जलाये गये थे और आईएसआई दिन से दिवाली का यह पर्व मनाया जाने लगा
  • दीपावली मनाने का एक वैज्ञानिक कारण भी है क्योंकि दीपक की रोशनी पर्यावरण के लिए बहुत ही अच्छा है और पर्यावरण स्वच्छ होता है इस दिवाली से पहले मनाया जाता है
  • इस दिन को धन की देवी और ऐश्वर्या लक्ष्मी के सम्मान में भी मनाया जाता है, इस दिन को धन की देवी लक्ष्मी के सम्मान में भी मनाया जाता है।जबकी पर्व की शुरुआत भगवान राम के जीवन से होती है
  • इस पर्व को मनाने का एक मुख्य कारण यह भी है कि यह पर्व हमें इस बात की सीट देता है कि हमारा जीवन इन दीपकों की तरह रोशन रहे और याह त्यौहार बुरी पर अच्छी की जीत का प्रतीक भी मन जाता है

दिवाली में रंगोली का महत्व | Importance Of Rangoli In Diwali

रंगोली का अर्थ होता है “रंग की पद्धति” और यह भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। दिवाली के अवसर पर घरों के बाहर या द्वार के पास रंगोली बनाना एक प्राचीन परंपरा है जो वर्णनात्मक और रूचिकर होती है। यह रंगोली गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के साथ साथ रचनात्मक एवं सुंदर भी होती है।

रंगोली बनाने की प्रक्रिया में रंगीन पाउडर, चावल के आटे, रंगीन चादर, फूल, पत्तियाँ, और छोटे धागों का उपयोग होता है। इसके लिए आधारभूत ज्ञान की आवश्यकता होती है, जिसमें रंगों के संयोजन की समझ शामिल होती है। रंगोली बनाने की विशेष कला होती है, जो महिलाएं और लड़कियाँ खासकर दिवाली के अवसर पर अपनाती हैं। इसके रंगीन और गीतकारी डिज़ाइन घर की सुंदरता को बढ़ाते हैं और उसे आकर्षक बनाते हैं।

रंगोली के बनाने के दौरान महिलाएं और लड़कियाँ विभिन्न प्राचीन धार्मिक चिन्ह, पैटर्न्स और ज्योतिषीय चिन्हों का उपयोग करती हैं, जिन्हें उनके सृजनात्मक दृष्टिकोण से डिज़ाइन किया जाता है। इसके अलावा, रंगोली का उपयोग अच्छे और शुभ संकेतों के रूप में भी होता है।

दिवाली के दिन रंगोली बनाने का उद्देश्य न केवल घर को सुंदर बनाना होता है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक महत्व भी रखता है। रंगोली के माध्यम से लोग अपने घर में सकारात्मक या पॉजिटिव ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और धन और सौभाग्य की बढ़ती होने की कामना करते हैं।

दीपावली का पर्व कैसे मनाया जाता है? | How Is The Festival Of Diwali Celebrated?

दिवाली का पर्व हिंदुओं का प्रसिद्ध त्यौहार है इस पर्व को मनाने के लिए हर साल घर में कई प्रकार की तैयारियां महीने भर पहले से शुरू कर दी जाती हैं जैसे।

साफ सफाई: जैसा कि हम सभी जानते हैं की दीपावली हिंदुओं का एक खास पर्व है और इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसी वजह से इस पर्व के आने से पहले ही साफ सफाई शुरू हो जाती है तकरीबन एक दो महीने पहले ही सभी घरों में साफ सफाई का कार्य आरंभ हो जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जिस घर में स्वच्छता रहती है माता लक्ष्मी जिस घर में वास करती हैं जिस घर में गंदगी रहती है उस घर में माता लक्ष्मी कभी वास नहीं करती यही कारण है कि इस पर्व को आने से एक महीने पहले ही घर में साफ सफाई का कार्य आरंभ हो जाता है और सभी चाहते हैं की माता लक्ष्मी हम सभी के घर मेंबस बाँस करें इसलिए प्रत्येक घरों में साफ सफाई का कार्य दिवाली से पहले आरंभ हो जाता है।

साज सजावट: दीपावली पर साज सजावट भी की जाती है इसी कारण दीपावली के महीने भर पहले से ही मार्केट में सजावट के सामानों की दुकान लगाना शुरू हो जाती हैं कई प्रकार के सजावट के समान मार्केट में मिलना शुरू हो जाते हैं जिससे कि हम अपने घरों को सजा सकें सजावट के सामान जैसे।

झालर लगाना: दीपावली का पर्व रोशनी का पर्व है इसलिए घर को सुंदर बनाने के लिए और घर मैं रोशनी को बढ़ाने के लिए झालर लगाते हैं मार्केट में कई प्रकार की सुंदर-सुंदर झालर मिलती हैं जिनको हम खरीद कर अपने घरों में मंदिरों में लगाकर रोशनी से भर देते हैं और घर को सुंदरऔर रोशन कर देते हैं।

दीपक जलाना: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दीप जलाना हमारी परंपरा है क्योंकि जब भगवान श्री राम माता सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ वनवास से अयोध्या लौटे थे तो इस खुशी में अयोध्या वासियों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था और खुशी जाहिर की थी तभी से दीपक जलाने की परंपरा प्रारंभ हो गई इसी वजह से हम प्रत्येक दिवाली को दीपक जलाकर इस परंपरा को निभाते हैं और अपने घर को रोशन करते हैं और ऐसा भी माना जाता है की दिवाली के दिन घर में दीपक जलाना शुभ माना जाता है इसी वजह से हम बहुत सारे दीपक अपने घर में प्रज्वलित करते है।

एक दूसरे को गिफ्ट देना: इस पर्व को खुशी और एक दूसरे में प्रेम बनाए रखने के लिए हम इस पर्व पर एक दूसरे को उपहार देकर भी खुशी जाहिर करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह पर्व प्रेम और खुशियों का पर्व है इस वजह से हम अपने बड़ों को छोटों को सबको उपहार भेंट करते हैं ऐसा करने से एक दूसरे के मन में प्रेम और खुशी हमेशा बनी रहती है।

मिठाई बांटना: इस पर्व को मनाने का और रिश्तो में मिठास लाने के लिए हम एक दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं एक दूसरे को मिठाई खिलाकर इस खुशी को मानते हैं ऐसा माना जाता है की रिश्तो में मिठास बनाए रखने के लिए एक दूसरे का मुंह मीठा करना बहुत जरूरी होता है और यह त्योहार खुशी और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

पूजा अर्चना: दीपावली के दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मीऔर गणेश जी की पूजा की जाती है सभी कार्यों से फ्री होने के बाद रात्रि समय में हम भगवान और माता दोनों की पूजा अर्चना करते हैं दीपावली की पूजा शुभ मुहूर्त के आधार पर ही की जाती है।

दिवाली की पूजा विधि | Diwali Puja Vidhi

  • दिवाली का त्यौहार हिंदुओं के लिए एक खास त्यौहार माना जाता है इस दिन प्रदोष काल के समय पूजा की जाती है और हमारे हिंदू धर्म में लक्ष्मी पूजन का बहुत महत्व माना जाता है दीपावली की पूजा शुरू करने से पहले उसकी तैयारी कर लेनी चाहिए सबसे पहले जिस स्थान पर हमें पूजा करनी है उस स्थान पर एक चौकी लगा लें उसे चौकी के ऊपर एक लाल कपड़ा बिछा लें।
  • उसके ऊपर अगर आपके घर में माता लक्ष्मी और उनके पूरे परिवार की फोटो है तो चौकी पर सजा लें और अगर आपके पास फोटो नहीं है तो बाजार में वॉलपेपर आते हैं वह दीवार पर लगा ले उसके बाद हम चौकी को फूलों से सजाएंगे उसके ऊपर हम बाजार से जो लक्ष्मी गणेश की मिट्टी की मूर्ति लेकर आए हैं उसे स्थापित करेंगे क्योंकि दीपावली के दिन गणेश लक्ष्मी की मिट्टी की मूर्ति लाना बहुत ही शुभ माना जाता है और इनमें सबके साथ एक विष्णु जी की भी मूर्ति अवश्य रखें।
  • क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब लक्ष्मी मैया की पूजा की जाती है तो उनके साथ विष्णु जी की भी पूजा की जाती है इसके अलावा जो भी आपके इष्ट देव हैं आप उनकी भी तस्वीर को चौकी पर स्थापित कर सकते हैं उसके बाद शुद्धिकरण के लिए सभी मूर्तियों पर जल छिड़क कर पूजा प्रारंभ करेंगे और दीपक जलाएंगे उसके बाद जो भी पैसे गहनें या जो भी कुछ आपने दिवाली पर खरीदी हुई वस्तु को भी चौकी पर रख ले क्योंकि इस दिन धन की और सोने चांदी की वस्तुओं की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है उसके बाद हम सभी देवी देवताओं को कलावा समर्पित करेंगे उसके बाद रोली चंदन का सभी देवी देवताओं को तिलक करेंगे और जो भी हमने सोने चांदी रुपया पैसा जो भी कुछ रखा है।
  • उसका पूजन करेंगे उसके बाद भगवान के सामने अक्षत समर्पण करेंगे फिर सभी देवी देवताओं को फूल समर्पित करेंगे और जैसा कि हम सभी जानते हैं कि माता लक्ष्मी को लाल फूल अति प्रिय हैं तो माता लक्ष्मी के सामने लाल फूल ही समर्पित करेंगे उसके बाद घर के सभी सदस्य मिलकार माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करेंगे और उनका पूजन बंधन करेंगे उसके बाद खिलखिलौने बतासे और मिठाई से सभी देवी देवता देवताओं को भोग लगाएंगे उसके बाद एक दूसरे को प्रसाद वितरण करेंगे और एक दूसरे को उपहार भेंट करके इस दीपावली के शुभ अवसर खुशी से मनाएंगे।
  • पूजा करें: अब लक्ष्मी-गणेश की पूजा करें, मन्त्रों के साथ। आप लक्ष्मी गायत्री मंत्र और गणेश मंत्र का जाप कर सकते हैं।

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