Basant Panchami 2024:- 2024 की बसंत पंचमी कब है ? बसंत पंचमी पर करने वाले चमत्कारी उपाय ?

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Basant Panchami 2024 Details:- हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का पर्व विद्या की देवी मां सरस्‍वती की पूजा का पर्व है. इसे प्रकृति की पूजा का भी पर्व कहा जाता है. वैसे तो मकर संक्रांति के दिन से ही दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं लेकिन बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक बसंत पंचमी को माना जाता है. बसंत पंचमी माघ महीने के शुक्‍ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने और देवी सरस्‍वती की विधि-विधान से पूजा करने की परंपरा है. विद्यार्थियों के लिए बसंत पंचमी का दिन बेहद खास होता है.

बसंत के पर्व का विस्तार अधिक है क्योंकि इससे और भी बहुत से सकारात्मक तत्व जुड़े हैं। मां सरस्वती वाणी एवं ज्ञान की देवी हैं। ज्ञान को संसार में सभी चीजों से श्रेष्ठ कहा गया है, इस आधार पर देवी सरस्वती सभी से श्रेष्ठ हैं। कहा जाता है कि जहां सरस्वती का वास होता है वहां लक्ष्मी एवं काली माता भी विराजमान रहती हैं। इसका प्रमाण है माता वैष्णो का दरबार जहां मा सरस्वती,मा लक्ष्मी,मा काली ये तीनों महाशक्तियां साथ में निवास करती हैं। जिस प्रकार माता दुर्गा की पूजा का नवरात्रि में महत्व है उसी प्रकार बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन का महत्व है। सरस्वती पूजा के दिन यानी माघ शुक्ल पंचमी के दिन सभी शिक्षण संस्थानों में शिक्षक एवं छात्रगण सरस्वती माता की पूजा एवं अर्चना करते हैं। सरस्वती माता कला की भी देवी मानी जाती हैं अत: कला क्षेत्र से जुड़े लोग भी माता सरस्वती की विधिवत पूजा करते हैं। छात्रगण सरस्वती माता के साथ-साथ पुस्तक, कापी एवं कलम की पूजा करते हैं। संगीतकार वाद्ययंत्रों की, चित्रकार अपनी तूलिका की पूजा करते हैं।

वसन्त पंचमी उत्तर भारत का प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार हिन्दूओं का है, कुछ हिन्दू इस त्योहार को सरस्वती पूजा के नाम से जानते है। वसंत पंचमी को बसंत पंचमी भी कहा जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है, जो वसंत के आगमन की प्रांरभिक तैयारियों को चिह्नित करता है। जो भारत में अलग अलग क्षेत्रों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। यह त्योहार माघ के महीने की शुक्ल पंचमी के दिन, प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।

देवी सरस्वती को विद्य की देवी कहा जाता है। इस दिन सरस्वती की पूजा की जाती है, क्योंकि प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। वसंत पंचमी त्योहार, देवी सरस्वती को समर्पित त्योहार है, जो ज्ञान, भाषा, संगीत और सभी कलाओं की देवी हैं। इस त्योहार पर महिलायें पीले रंग की कपड़े पहनती है, और पीले रंग के व्यंजन बनाती है। भारत में पूरे साल को छः मौसमों में बांटा जाता है जिसमें से वसंत सबका प्रिय मौसम होता है। इस महीने में, खेत सरसों के पीले रंग के फूलों से भर जाता है।

वसंत पंचमी को होली के त्योहार की तैयारी का प्रतीक भी माना जाता है, जो कि इसके 40 दिन बाद आती है। वसंत पंचमी में विष्णु और काम देव की पूजा भी की जाती है। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है। पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से वसंत पंचमी का उल्लेख मिलता है। माँ सरस्वती की पूजा करने से अज्ञान भी ज्ञान की दीप जलाता हैं।

इस दिन लोग अपने घरों में पील रंग के व्यंजन बनाते है, कुछ पीले रंग के चावल बनाते है तो कुछ केसर का उपयोग करते है।

सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-

प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।

अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है।

 

Basant Panchami 2024:- बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त 2024

बसंत पंचमी की तिथि बुधवार, 14 फरवरी 2024 को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर दिन 12 बजकर 34 मिनट तक है। बसंत पंचमी 14 जनवरी को ही मनायी जाएगी।

पंचमी तिथि शुरू होगी:      14 फरवरी 2024 को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से

पंचमी तिथि समाप्त होगी:  14 फरवरी 2024 को 12 बजकर 34 मिनट तक

 

Basant Panchami 2024:- बसंत पंचमी की पूजा विधि

सुबह स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें. चाहें तो दिन भर का व्रत रखें या पूजा करने तक व्रत रख सकते हैं. पूजा के स्थान की सफाई करके चौक लगाएं और इस चौक पर माता की चौकी रखें. उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं. माता सरस्वती की प्रतिमा रखें. उन्हें पीला चंदन, पीले पुष्प, पीले रंग के मीठे चावल, पीली बूंदी या लड्डू, पीले वस्त्र, हल्दी लगे पीले अक्षत अर्पित करें. धूप दीप जलाएं. इसके बाद बसंत पंचमी की कथा पढ़ें या सुनें. माता सरस्वती के मंत्रों का जाप करें. इसके बाद माता सरस्वती की आरती करें.

 

Basant Panchami 2024:- बसंत पंचमी का महत्व

ऐसा माना जाता है कि इसी दिन वेदों की देवी प्रकट हुई थीं इसलिए इस दिन शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरूआत करने के लिए ये दिन शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिक्षण से जुड़े छात्र छात्राएं इस दिन यदि मां सरस्वती का पूजन करते हैं तो उन्हें लाभ मिलता है। एक और धार्मिक मान्यता है कि इस दिन कामदेव की पूजा भी की जाती है और इस दिन पति-पत्नी द्वारा भगवान कामदेव और देवी रति की पूजा करने से सुखी-वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है।

 

Basant Panchami 2024:- बसंत पंचमी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, तो महसूस किया कि जीवों की सृजन के बाद भी चारों ओर मौन व्याप्त है. इसके बाद उन्होंंने विष्णुजी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे पृथ्वी पर एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुईं. अत्यंत तेजवान इस शक्ति स्वरूप के एक हाथ में पुस्तक, दूसरे में पुष्प, वीणा, कमंडल और माला वगैरह थी. जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, चारों ओर ज्ञान और उत्सव का वातावरण उत्पन्न हो गया. वेदमंत्र गूंजने लगे. जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी. तब से इस दिन को माता सरस्वती के जन्म दिन तौर पर मनाया जाने लगा.

 

बसंत पंचमी को मां सरस्वती की पूजा क्यों करते हैं?

भारत में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती की पूजा के दिन रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति मनुष्य के जीवन में आई थी। पुराणों में लिखा है सृष्टि को वाणी देने के लिए ब्रह्मा जी ने कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का। इस जल से हाथ में वीणा धारण किए जो शक्ति प्रकट हुई वह मां सरस्वती कहलाई। उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनो लोकों में ऊर्जा का संचार हुआ और सबको शब्दों की वाणी मिल गई। वह दिन बसंत पंचमी का दिन था इसलिए बसंत पंचमी को सरस्वती देवी का दिन भी माना जाता है।

बसंत पंचमी 2024 के चमत्कारी उपाय (Basant Panchami 2024 Ke Upay)

 

  1. यदि आपके बच्चे की वाणी स्पष्ट नहीं है तो बसंत पंचमी के दिन उसकी जीभ पर चांदी की सलाई से ओम की आकृति बनाएं। इससे वाणी दोष से मुक्ति मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां सरस्वती के वीणा के मधुर ध्वनि से सृष्टि के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी की प्राप्ति हुई।
  2. अगर आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है तो बसंत पंचमी के दिन अपने बच्चे के हाथ से पीले रंग का फूल और हरे रंग का फल मां सरस्वती को अर्पित करवाएं।
  3. बसंत पंचमी के दिन सरस्वती मां की पूजा करते समय केसर और पीले चंदन का उपयोग जरूर करें। मां सरस्वती को ये चीजें अर्पित करने से बुद्धि का विकास होता है।

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