कब है साल 2024 की तीसरी सोमवती अमावस्या? जाने सोमवती अमावस्या की पौराणिक कथा,शुभ मुहूर्त,पूजन विधि,विशेष उपाय!!

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हिन्दू धर्म में अमावस्या का महत्व

हिंदू धर्म में हर अमावस्या का बेहद महत्व माना गया है, लेकिन सभी अमावस तिथियों में से सोमवती अमावस्या का अधिक महत्व माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की ये अमावस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या है। बता दें इस साल सोमवती अमावस्या का व्रत सोमवार, 30 मई 2022 को रखा जा रहा है। तो वहीं इस दिन इसके अलावा इस दिन शनि जयंती व वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। जिस वजह से इस बार ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली सोमवती अमावस्या तिथि अधिक खास हो गई है। सोमवती अमावस्या का व्रत रखने और पूजन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के वृक्ष पर पूजा करती हैं। बता दें इस दिन भगवान शिव-पार्वती की भी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और खास योग।

सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त

नववर्ष 2024 की अंतिम और तीसरी सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर सोमवार को है. उस दिन पौष अमावस्या होगी. तीसरी सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर को प्रात: 04:01 एएम से लेकर 31 दिसंबर को प्रात: 03:56 एएम तक है.

सोमवती अमावस्या पूजा विधि

सोमवती अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इसके बाद पवित्र नदी या फिर घर में पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। अब भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके पश्चात भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें। भोलेनाथ को फल, फूल, भांग, धतूरा, बेलपत्र अर्पित करें। अब दीपक जलाकर आरती करें और शिव स्त्रोत और शिव चालीसा का सच्चे मन से पाठ करें। इसके पश्चात सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें। अब भोग लगाकर लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

सोमवती अमावस्या से जुड़ी पौराणिक कथा

हिन्दू शास्त्रों में सोमवती अमावस्या से सम्बन्धित अनेक कथाएं प्रचलित हैं। पंडितों की मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन इन कथाओं को विधिपूर्वक सुना जाता है। इस कथा के अनुसार एक गरीब ब्रह्मण परिवार था जिसमें पति, पत्नी के अलावा एक पुत्री थी। पुत्री धीरे धीरे बड़ी होने लगी। वह लड़की सुन्दर, संस्कारवान एवं गुणवान भी थी, लेकिन गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन ब्रह्मण के घर एक साधु पधारे, जो कि कन्या के सेवाभाव से बहुत प्रसन्न हुए। कन्या को लम्बी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधु ने कहा की कन्या के हथेली में विवाह योग्य रेखा नहीं है। ब्राह्मण दम्पति ने साधु से उपाय पूछा कि कन्या ऐसा क्या करे की उसके हाथ में विवाह योग बन जाए। साधु ने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गाँव में सोना नामक धोबी जाति की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है। वह स्त्री बहुत संस्कारवान तथा पति परायण है। यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिन्दूर लगा दे, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। साधू ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती जाती नहीं है। यह बात सुनकर ब्रह्मणी ने अपनी बेटी से धोबिन कि सेवा करने कि बात कही।

कन्या तडके ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ जाती। सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि तुम तो तडके ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता। बहू ने कहा कि मांजी मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम ख़ुद ही ख़त्म कर लेती हैं। मैं तो देर से उठती हूं। इस पर दोनों सास बहू निगरानी करने करने लगी कि कौन है जो तडके ही घर का सारा काम करके चला जाता है। कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक एक कन्या अंधेरे घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है। जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं। तब कन्या ने साधु द्बारा कही गई सारी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसमे अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा। सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, उसका पति चला गया। उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से बिना जल ग्रहण किए ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी। उस दिन सोमवती अमावस्या थी। ब्रह्मण के घर मिले पूए- पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से 108 बार भँवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में कम्पन होने लगा।

सुहागिनों के लिए सोमवती अमावस्या का महत्व

सोमवती अमावस्या को शिव-पार्वती के पूजन का खास दिन माना गया है। सनातन परंपरा के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखने पर सुहागिनों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

जरूर करें शिव-पार्वती पूजन

सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत करें और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए भगवान शिव व माता पार्वती का विधि-विधान के साथ पूजा करें। ध्यान रखें कि पूजा के बाद भगवान शिव की आरती अवश्य करें।ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।

सोमवती अमावस्या- क्या दान करें?

  • गरुड़ पुराण के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करके धोती, गमछा, बनियान आदि वस्त्रों का दान करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  • स्नान के बाद काले तिल का दान सोमवती अमावस्या को करना शुभ माना जाता है। यहां किसी भी वस्तु कादान हाथ की अनामिका अंगुली में कुश की पवित्री पहनने के पश्चात ही करना चाहिए। दरअसल कुश में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है, जिसके चलते इसे पवित्र माना गया है।
  • ग्रहों की शांति के तहत सोमवती अमावस्या पर सप्तधान्य का दान करना विशेष माना जाता हैं। इन सप्तधान्य में चावल, गेहूं, जौ, काला चना, सफेद तिल, मूंग दाल आदि शामिल हैं। इसमें चावल से चंद्रमा, गेहूं से सूर्य, काला चना से शनि, सफेद तिल से शुक्र, हरी मूंग से बुध और मसूर दाल से मंगल ग्रह को जोडा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से इन ग्रहों से जुड़े दोष समाप्त हो जाते हैं।
  • वहीं अपने पितरों का अशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सोमवती अमावस्या पर चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं जैसे दूध, चावल, चांदी, सफेद वस्त्र आदि का दान विशेष माना जाता है।
  • पितरों के नाराज होने से लगने वाले पितृ दोष के संबंध में मान्यता है कि इस दोष से मुक्ति के लिए भूमि का दान करना चाहिए, लेकिन यह स्थिति सामथ्र्य के अनुसार ही मुमकिन है।

करें ये खास उपाय

सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाएं कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें और माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित करें। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है, साथ ही पति की स्वास्थ संबंधी परेशानी दूर होती है।

मिलेगा गृह कलेश से छुटकारा

अगर पति पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़े की स्थिति बनी हुई है तो सोमवती अमावस्या के दिन गाय को पांच तरह के फल खिलाएं। इसके बाद श्री हरि के मंत्र का जप करते हुए 108 बार तुलसी की परिक्रमा करें। ऐसे करने से वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा मिलता है

जरूर करें ये काम

सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। सोमवती अमावस्या के दिन सुबह उठकर पीपल के पेड़ को गंगाजल से सीचें इसके बाद कच्चा सूत 108 बार पीपल की परिक्रमा कर लपेटें। मान्यताओं के अनुसार, इस उपाय को पति की दीर्घायु की कामना करते हुए करना लाभकारी रहता है।

 

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