Yamuna Chhath 2024 Details:- यमुना छठ मुख्य रूप से मथुरा-वृंदावन में मनाया जाता है। यह देवी यमुना पृथ्वी पर अवतरित होने के दिन का प्रतीक है। इसलिए इस दिन को यमुना जयंती या देवी यमुना की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। यमुना छठ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाया जाता है और चैत्र नवरात्रि के दौरान आता है। देवी यमुना, भगवान श्री कृष्ण की पत्नी होने के नाते, ये ब्रज के लोगों के लिए श्रध्दा का पात्र हैं। यही वजह है कि यमुना छठ मुख्य रूप से मथुरा और वृंदावन के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
Yamuna Chhath 2024:- यमुना छठ का महत्व
यमुना छठ एक महत्वपूर्ण त्योहार है, खासकर भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए। देवी यमुना, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण की पत्नी थीं यही कारण है कि यह त्यौहार ब्रज, मथुरा और वृंदावन में लोगों के लिए इस तरह की श्रद्धा रखता है। यमुना नदी को गंगा, ब्रह्मपुत्र, सरस्वती और गोदावरी की तरह ही हिंदू संस्कृति में एक पवित्र नदी के रूप में सम्मानित किया गया है। यही कारण है कि इस दिन देवी यमुना के वंश के रूप में और उसकी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
Yamuna Chhath 2024:- यमुन छठ का उत्सव और रीति-रिवाज
लोग सुबह जल्दी उठते हैं और सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करते हैं। इस पवित्र नदी में स्नान, आत्मा को शुद्ध करता है और सभी पापों से मुक्त करता है। इसके बाद, छठ पूजा एक विशिष्ट छठ पूजा मुहूर्त पर देवी यमुना को समर्पित की जाती है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।
कुछ लोग यमुना छठ पर सख्त उपवास भी करते हैं। भक्तों को सुबह-शाम पूजा करने और व्रत करने के बाद अगले दिन 24 घंटे के बाद उपवास तोड़ा जाता है। मिठाई तैयार की जाती है और देवी यमुना को समर्पित की जाती है और इसे सभी रिश्तेदारों, पड़ोसियों और दोस्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
Yamuna Chhath 2024:- यमुना छठ पूजा विधि:
– इस दिन यमुना नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें।
– इसके बाद यमुना नदी में फूल अर्पित करें और दीपक प्रज्वल्लित करें।
– दीपक जलाने के बाद यमुना नदी के किनारे बैठकर यमुना के मंत्रों का जाप करें।
– यमुना जी की कथा सुनें और आरती उतारें।
– आरती उतारने के बाद क्षमा याचना करें।
– इसके बाद गाय को भोजन कराएं और पैरों की मिट्टी को माथे से लगाएं।
– गुजराती समुदाय के लोग इस पर्व को विशेष तौर पर मनाते हैं।
– यहां यमुना नदी में स्नान कर उसके जल को बांध कर वापस अपने साथ ले जाते हैं। फिर घर, गांव या फिर अपने स्थान में वैदिक मंत्रों द्वारा उस कलश को खोला जाता है।
Yamuna Chhath 2024:- यमुना छठ की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार यमुना को सूर्य की पुत्री माना जाता है। यमुना शनिदेव और यमदेव की बहन भी हैं। पुराणों के अनुसार सूर्य देव की पत्नी छाया श्याम वर्ण की थी। इसी कारण से उनकी संतान यमुना और यम दोनो ही श्यामवर्ण के पैदा हुए। यमराज ने यमुना को वरदान दिया था कि जो भी लोग स्नान करेंगे उन्हें यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। माना जाता है कि कृष्णावतार के समय यमुना वहीं पर स्थित थीं।
जब भगवान श्री कृष्ण ने माता लक्ष्मी को राधा के रूप में जन्म लेने के लिए कहा तो राधा जी ने यमुना को भी साथ चलने के लिए कहा। इसी कारण से द्वापर युग में यमुना जी भी धरती पर अवतरित हुई थीं। इसलिए ब्रज में मां यमुना को माता के रूप में पूजा जाता है और यमुना छठ का पर्व यहां पर विशेष रूप से मनाया जाता है और स्नान और पूजा करके मां यमुना का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।