Vivah Panchami 2023: विवाह पंचमी पर जरूर करें इस शक्तिशाली मंत्र का जाप, अविवाहित लड़कियों को मिलेगा सुयोग्य वर

vivah panchami 2023(17 dec 2023)

Vivah Panchami 2023: विवाह पंचमी इस साल 17 नवंबर 2023 को मनाई जानी है| आइए इस बारे में सारी जानकारी विस्तार से लेते हैं| विवाह पंचमी का मुहूर्त व इस दिन क्यों शादी की है मनाही होती है इस बारे में भी जानते है|

विवाह पंचमी एक उत्सव के तौर पर मनाया जाता है, यह दिन बहुत खास है क्यूंकि इस दिन भगवान राम और सीता का विवाह हुआ था| इस उत्सव को सबसे अधिक नेपाल में मनाया जाता है, क्यूंकि सीता मैया राजा जनक की पुत्री थी, जो कि मिथिला नरेश थे और मिथिला नेपाल का हिस्सा हैं| यह उत्सव एक परम्परानुसार मनाया जाता हैं|

 

Vivah Panchami 2023, Ram Sita Vivah Date:

मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पंचमी तिथि को हर साल विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है| इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है| मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और माता सीता का इसी दिन विवाह हुआ| इस साल यह तिथि 17 नवंबर 2023 को पड़ रही है| इस पावन अवसर पर पूरे विधि विधान से श्रीराम और माता सीता की पूजा की जाती है, इससे वैवाहिक जीवन से सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं| हालांकि इस तिथि पर किसी का भी विवाह नहीं करना चाहिए, इस तिथि पर विवाह करना शुभ नहीं माना जाता है| विवाह पंचमी के दिन पूजा करने के लिए क्या शुभ मुहूर्त है और इस दिन क्यों विवाह करना निषेध है आइए जानते हैं|

 

विवाह पंचमी 2023 मुहूर्त (Vivah Panchami 2023 Muhurat)

विवाह पंचमी का उत्सव 17 दिसंबर 2023, रविवार को मनाया जाएगा|

विवाह पंचमी तिथि 16 दिसंबर 2023, शनिवार को शाम 8:00 मिनट पर शुरू हो रही है|

विवाह पंचमी तिथि 17 दिसंबर 2023, रविवार को शाम 5:33 पर खत्म हो रही है|

 

विवाह पंचमी 2023 कब मनाई जाती हैं ? (Vivah Panchami Date)

पौराणिक युग का सबसे अनूठा स्वयंबर मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पंचमी के दिन हुआ था| यह बहुत बड़ा स्वयंबर हैं जिसका वर्णन पुराणों में मिलता हैं| विवाह पंचमी इस वर्ष 2023 में 17 दिसंबर को मनाया जायेगा|

 

विवाह पंचमी महत्व (Vivah Panchami Significance)

विवाह पंचमी पर सीता-राम के मंदिरों में भव्य उत्सव का आयोजन होता है| धूमधाम से भगवान श्रीराम व माता सीता के विवाह की वर्षगांठ का उत्सव मनाया जाता है| अयोध्या में इस तिथि पर लोग हर्ष से भर जाते हैं|  रामचरितमानस की रचना इसी दिन तुलसीदास जी ने पूरी की| मान्यता है कि इस दिन पूजन अनुष्ठान से दांपत्य जीवन में प्रसन्नता फैलती है|

  • विवाह पंचमी का दिन अत्यंत ही पावन और पवित्र दिन है|
  • विवाह पंचमी के दिन ही प्रभु श्री राम जी और सीता जी का विवाह संपन्न हुआ था|
  • प्रभु श्री राम जी और माता सीता की आराधना करने का यह एक बहुत ही शुभ और उत्तम दिन है|
  • इस उपलक्ष्य में अयोध्या और जनकपुर में भव्य विवाह समारोह का आयोजन किया जाता है| जिसमे देश विदेश से श्रद्धालु पहुँचते हैं|
  • इस दिन प्रभु श्री राम और माता सीता की आराधना और स्तुति करना बहुत ही शुभ फलदायक होता है|
  • विवाह पंचमी के दिन व्रत रखना भी शुभ माना जाता है|
  • विवाह पंचमी के दिन श्री राम जी के स्त्रोतों और मन्त्रों का पाठ करना भी शुभ होता है|

 

विवाह पंचमी के दिन क्या वरदान मिल सकते हैं?

अगर आपकी शादी में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न हो रही है, तो आप इस दिन भगवाम राम और सीता का विवाह संपन्न करवाएं। जिससे आपकी शादी में आने वाली सभी अड़चनें दूर हो जाएगा। साथ ही आपको मनचाहे विवाह का वरदान भी मिलेगा। विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर भगवान श्रीराम और जनकनंदनी माता सीता की उपासना करनी चाहिए। इसके अलावा अगर आप बालकाण्ड में राम-सीता के विवाह प्रसंग का पाठ करते हैं, तो आपके पारिवारिक जीवन में सुख मिलता है। साथ ही सभी समस्याएं दूर हो जाती है। वहीं कभी-कभी कुंडली के दोष भी विवाह में विलंब का कारण बनते हैं। यदि आप भी विवाह नहीं होने या विवाह होने के बाद आपसी सामंजस्य की समस्या से परेशान हो रहे हैं, तो एक बार अपनी कुंडली विशेषज्ञ ज्योतिषियों को जरूर दिखाएं। विशेषज्ञ ज्योतिषियों से बात करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।

 

विवाह पंचमी पर क्या करें (Ram sita vivah vidhi)

विवाह पंचमी के दिन पति-पत्नी साथ मिलकर राम-सीता के विवाह का संकल्प करें और सुखी दांपत्य जीवन के लिए शुभ मुहूर्त पर श्रीराम और माता सीता के विवाह का अनुष्ठान करें| माता सीता और राम की प्रतिमा की स्थापना करें और फिर माला पहनाएं| गठबंधन करें और रामायण के बालकांड में दिए गए विवाह प्रसंग का पूरे मन से पाठ करें| कुंवारी कन्याएं अगर एक मंत्र का 108 बार जाप करें तो एक सुयोग्य वर का आशीर्वाद भगवान से प्राप्त कर सकती है| यह मंत्र है- ऊं जानकी वल्लभाय नम:|

 

कैसे मनाई जाती हैं विवाह पंचमी ? (How To Celebrate Vivah Panchami)

अघन की इस पंचमी के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम एवम सीता का विवाह हुआ था, इस उपलक्ष में सभी मंदिरों में उत्सव होते हैं| मनुष्य जाति को मानव जीवन का पाठ सिखाने के लिये ही भगवान राम ने धरती पर जन्म लिया था| पत्नी कर्तव्य का बखान सीता माता के जीवन से मिलता हैं| विवाह पंचमी के दिन कई तरह से इस कथा को सुना एवम पढ़ा जाता हैं| नाटिका रची जाती हैं|

विवाह पंचमी उत्सव खासतौर पर नेपाल एवम भारत के अयोध्या में मनाया जाता हैं| पुरे रीती रिवाज के साथ आज भी लोग इस उत्सव का आनंद लेते हैं|

 

विवाह पंचमी के दिन को शुभ नहीं माना जाता हैविवाह के लिए

विवाह पंचमी के दिन ज्योतिष के अनुसर विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है। विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था, परन्तु फिर यह दिन आम लोगों के लिए विवाह के लिए उत्तम नहीं माना जाता है। क्योंकि भगवान राम और सीता के विवाह के बाद का जीवन बहुत ही दुखों और कठनाईयों से भरा हुआ था। इसलिए यह माना जाता है कि इसदिन विवाह करने पर व्यक्ति का विवाहिक जीवन राम और सीता की तरह कष्टदायक हो सकता है।

 

विवाह पंचमी त्यौहार की कथा (Vivah Panchami Festival Katha )

राम एवम सीता भगवान विष्णु एवम लक्ष्मी माता के रूप थे, जिन्होंने पृथ्वी लोक पर राजा दशरथ के पुत्र एवम राजा जनक की पुत्री के रूप में जन्म लिया था| वैसे पुराणों के अनुसार माता सीता का जन्म धरती से हुआ था, जब राजा जनक हल जोत रहे थे, तब उन्हें एक नन्ही सी बच्ची मिली थी, जिसे उन्होंने सीता नाम दिया था, यही सीता मैया जनक पुत्री के नाम से जानी जाती हैं|

माता सीता ने एक बार मंदिर में रखे भगवान शिव के धनुष को उठा लिया था, जिसे भगवान परशुराम के अलावा किसी ने नहीं उठाया था, तब ही राजा जनक ने निर्णय लिया था, कि वे अपनी पुत्री के योग्य उसी मनुष्य को समझेंगे, जो भगवान विष्णु के इस धनुष को उठाये और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाये|

स्वयंबर का दिन तय किया गया चारों और संदेश भेज दिया गया कई बड़े बड़े महारथी इस स्वयम्बर का हिस्सा बने जिसमें महर्षि वशिष्ठ के साथ भगवान राम और लक्षमण भी दर्शक के रूप में शामिल थे| कई राजाओं ने प्रयास किया लेकिन कोई भी उस धनुष को हिला ना सका प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर की बात हैं| इस प्रदर्शन से दुखी होकर राजा जनक ने करुण शब्दों में कहा कि क्या कोई राजा मेरी पुत्री के योग्य नहीं हैं| उनकी इस मनोदशा को देख महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम से प्रतियोगिता में हिस्सा लेने कहा| गुरु की आज्ञा का पालन करते हुये भगवान राम ने शिव धनुष को उठाया और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, लेकिन वह धनुष टूट गया और इस प्रकार स्वयम्बर को जीत उन्होंने माता सीता से विवाह किया| माता  प्रसन्न मन से भगवान राम के गले में वरमाला डाली|

इस विवाह से धरती,पाताल एवम स्वर्ग लोक में खुशियों की लहर दोड़ पड़ी| कहते हैं आसमान से फूलों की बौछार की गई|पूरा ब्रह्माण्ड गूंज उठा चारों तरफ शंख नाद होने लगा|

इसी प्रकार आज भी विवाह पंचमी को सीता माता एवम भगवान राम के विवाह के रूप में हर्षो उल्लास से मनाया जाता हैं|

 

निष्कर्ष

विवाह पंचमी भगवान राम और देवी सीता के विवाह समारोह का प्रतीक है, और उनके दिव्य प्रेम को भारत के साथ-साथ देवी सीता के जन्मस्थान जनकपुर, नेपाल में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

विवाह पंचमी नवंबर-दिसंबर में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है; इसलिए इस वर्ष यह 17 दिसंबर, रविवार को मनाया जाएगा।

भगवान राम और देवी सीता का विवाह पूरे भारत में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है, क्योंकि उनका विवाह शक्ति, भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। विवाह पंचमी के इस शुभ त्योहार पर, हम आपके लिए सुख और शांति की कामना करते हैं।

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