Tula Sankranti 2022:- सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना या एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करना संक्रांति (Tula Sankranti 2022) कहलाता है। एक संक्रांति से दूसरे संक्रांति के बीच का समय सौर मास कहते हैं। प्रत्येक वर्ष 12 संक्रांति होती हैं परन्तु मेष,तुला,कर्क और मकर संक्रांति को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। आज हम आपको बताएँगे तुला संक्रांति के बारे में।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यदेव का तुला राशि में गोचर तुला संक्रांति कहलाता है। तुला संक्रांति पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। परन्तु मुख्य रूप से इस पर्व का आयोजन ओडिशा और कर्नाटक में होता है। इस दिन मुख्य रूप से माता कावेरी और सूर्य देव का पूजन किया जाता है। कर्नाटक में तुला संक्रांति को ‘तुला संक्रमण’ के नाम से भी जानते हैं।
तुला संक्रांति 2022 की तिथि–
हिंदी कैलेंडर के अनुसार तुला संक्रांति कार्तिक मास में मनाई जाती है। वर्ष 2022 में तुला संक्रांति 17 अक्टूबर दिन शनिवार को पड़ेगी।
Tula Sankranti 2022: तुला संक्रांति का समय–
इस संक्रांति का समय 17 अक्टूबर 2022 को सुबह 6 बजकर 30 मिनट है। इस समय सूर्यदेव का तुला राशि में गोचर होगा। 16 नवंबर 2022 दिन सोमवार को सुबह 6 बजकर 39 मिनट तक उपस्थित रहेंगे। तुला संक्रांति के समय सूर्य नीच राशि में होंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य की नीच राशि तुला है।
तुला संक्रांति 2022 की परंपरा
ओडिशा में तुला संक्रांति का वक्त जो होता है उस दौरान धान के पौधों में दाने आना शुरू हो जाते हैं। इसी खुशी में मां लक्ष्मी का आभार जताने के लिये एक दम ताजे धान चढ़ाए जाते हैं। कई इलाकों में गेहूं और कारा पौधे की टहनियां भी चढ़ाई जाती हैं। मां लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है कि वो उनकी फसल को सूखा, बाढ़, कीट और बीमारियों से बचाके रखें और हर साल उन्हें लहलहाती हुई ज्यादा फसल दें।
Tula Sankranti 2022: कैसे मनाया जाता है
इस दिन लोग नए कपड़े डालते हैं और कई तरह के पकवान बनाते हैं। सारे परिवार के लोग एक साथ बैठ कर दोपहर का भोजन करते हैं। यही दुआ की जाती है कि आने वाले पूरे साल में उनको भरपूर अनाज मिलता रहे।
Tula Sankarnti 2022: भूमि व वाहन के योग
- तुला राशि वालों के लिए सूर्य का परिवर्तन इस समय चतुर्थ भाव में होने जा रहा है. आर्थिक रूप से सूर्य का यह राशि परिवर्तन हर क्षेत्र में आपको लाभ दिलाने वाला साबित होगा. इस दौरान मानसिक रूप से आपको शांति की अनुभूति होगी. जो भी प्लान आप भविष्य के लिए करेंगे, उनके फलित होने का और उनके शुभ होने का पूर्ण संभावना दिख रही है. आपके द्वारा किए गए निर्णय आपको लाभ देने वाले होंगे. भाग्य सा पूर्ण साथ आपको मिलेगा. जिससे सकारात्मक सोच में वृद्धि होगी.
- व्यापार और नौकरी से जुड़े लोगों के लिए यह बहुत ही लाभ देने वाला रहेगा और विद्यार्थियों को भी इस समय किसी भी कंपटीशन में सफलता मिलेगी. इस दौरान जॉब और करियर में परिवर्तन होना तय है. अहंकार के कारण संबंधों में गिरावट आएगी. अतः ईगो को खुद से दूर रखते हुए आगे बढ़ते रहने की सलाह है. सरकारी नौकरी, ठेकेदार, आयात-निर्यात, पॉवर एनर्जी, सोलर पैनल और फूड ग्रेन्स का काम करने वालों के लिए यह समय खुशी को खबर देने वाला है. ऑफिस में आई समस्या को खत्म करने में आप आगे बढ़ेंगे. ऑफिस में आपके कॉन्फिडेंस को बढ़ाने वाली कोई घटना हो सकती है. ऑफिस में आपकी छवि अच्छी होती चली आएगी. विद्यार्थियों, खिलाड़ियों के लिए समय बहुत अनुकूल है. अच्छा सीखिए और अपने स्किल में और निखार लाएं.
- स्वास्थ्य की दृष्टि शराब पीने और धूम्रपान करने वालों को सतर्क रहने की आवश्यकता है, अन्यथा घातक रोग और दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं. हड्डियों में तकलीफ और रिश्तों में खराबी की वजह सूर्यदेव की नाराजगी हो सकती है इसलिए उन्हें प्रसन्न करने में कोई भी कसर न छोड़ने में ही भलाई है. प्रातः काल सूर्यदेव को प्रणाम करें, उन्हें जल का अर्घ्य दें.
- पार्टनर के साथ विवाद अलगाव करा सकता है. अतः रिश्तों में मिठास को कम न होने दें. माता के स्वास्थ्य में थोड़ी नर्मी हो सकती है, अतः उन पर ध्यान देने की आवश्यकता है. यद्यपि आप भूमि या वाहन खरीद सकते हैं. बड़े भाई से सहयोग प्राप्त हो सकता है. आपकी संतान की उन्नति के लिए यह समय बहुत ही अच्छा है. जीवनसाथी के साथ अच्छे संबंध स्थापित करें. यदि किसी बात में नाराजगी चल रही है तो पहल आप कर लें. ज्यादा अहंकार रिश्तों की मधुरता को कम करेगा.
तुला संक्रांति की कथा
प्राचीन भारतीय साहित्य स्कंद पुराण में कावेरी नदी की उत्पत्ति से संबंधित कई कहानियां हैं। कहानियों में से एक विष्णु माया नाम की एक लड़की के बारे में है। भगवान ब्रह्मा की पुत्री कौन थी जो बाद में कावेरा मुनि की पुत्री बनी। कावेरा मुनि ने विष्णु माया को कावेरी नाम दिया। अगस्त्य मुनि को कावेरी से प्यार हो गया और उन्होंने उससे शादी कर ली। एक दिन अगस्त्य मुनि अपने काम में इतने व्यस्त थे कि वे अपनी पत्नी कावेरी से मिलना भूल गए। उनकी लापरवाही के कारण, कावेरी अगस्त्य मुनि के स्नान क्षेत्र में पड़ता है और भूमि को कावेरी नदी के रूप में जाना जाता है। तभी से इस दिन को कावेरी संक्रांति या तुला संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
तुला संक्रांति 2022 के दिन जरूर करें ये कार्य–
सूर्य का तुला राशि में गोचर से सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा। किसी राशि पर सकारात्मक और किसी राशि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। तुला संक्रांति का प्रभाव राशियों की किस्मत पर भी पड़ेगा। आइये जानते हैं तुला संक्रांति के दिन कौन से कार्य जरूर करने चाहिए।
- तुला राशि के दिन नदी में स्नान और दान को अत्यधिक महत्व दिया जाता है।
- इस दिन प्रातः काल उठकर किसी नदी में स्नान करें और किसी गरीब को दान करें।
- अगर आप किसी नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
- इसके पश्चात सूर्य देव को जल अर्पित करें परन्तु जल में कुछ मीठा जरूर डाल लें।
- तुला संक्रांति के दिन उगते हुए सूर्य की पूजा करना लाभ प्रदान करता है।
- आप इस दिन किसी गरीब को भोजन और गाय को रोटी जरूर खिलाएं।
- ऐसा करने से राशियों पर पड़ने वाला नकरात्मक प्रभाव कम होता है और सूर्य भगवान की कृपा बनी रहती है।
- अगर आप इस गोचर से पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए उपाय जानना चाहते हैं।
तुला संक्रांति 2022 की पूजा विधि
- तुला संक्रांति के दिन देवी लक्ष्मी और देवी पार्वती का पूजन करें।
- इस दिन देवी लक्ष्मी को ताजे चावल अनाज, गेहूं के अनाजों और कराई पौधों की शाखाओं के साथ भोग लगायें।
- देवी पार्वती को सुपारी के पत्ते, चंदन के लेप के साथ भोग लगायें।
तुला संक्रांति का पर्व अकाल तथा सूखे को कम करने के लिए मनाया जाता है, ताकि फसल अच्छी हो और किसानों को अधिक से अधिक कमाई करने का लाभ प्राप्त हो। कर्नाटक में नारियल को एक रेशम के कपड़े से ढका जाता है और देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व मालाओं से सजाया जाता है। उड़ीसा में एक और अनुष्ठान चावल, गेहूं और दालों की उपज को मापना है ताकि कोई कमी ना हो।