Tula Sankranti 2024:- तुला संक्रांति 2024 !!मुहूर्त समय!!
तुला संक्रांति को गर्भना संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है और यह हिंदू सौर कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने का पहला दिन है। यह महाष्टमी के ही दिन पड़ता है और पूरे भारत में विभिन्न अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से ओडिशा और कर्नाटक में चावल उगाने में किसानों की उपलब्धि का आनंद लेने के लिए मनाया जाता है, जैसे एक गर्भवती माँ खुश होती है और अपने गर्भ पर गर्व महसूस करती है। इस प्रकार, तुला संक्रांति को गर्भाण संक्रांति भी कहा जाता है। यह दिन सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ मनाया जाता है।
Tula Sankranti 2024:- तुला संक्रांति मुहूर्त समय!!
तुला संक्रांति 2024 17 अक्टूबर गुरुवार को है
आयोजन के लिए 8 महीने और 5 दिन बाकी हैं
पण्य काल मुहूर्त : 17 अक्टूबर, सुबह 6:28 बजे – 17 अक्टूबर, सुबह 11:43 बजे
महा पुण्य काल मुहूर्त : 17 अक्टूबर, सुबह 7:19 बजे – 17 अक्टूबर, सुबह 8:07 बजे
संक्रांति क्षण : 17 अक्टूबर, सुबह 7:43 बजे
Tula Sankranti 2024:- तुला संक्रांति का अर्थ है सूर्य का कन्या राशि से तुला राशि में संक्रमण!!
कर्नाटक, मायावरम और भागमंडला में पवित्र डुबकी या स्नान न केवल संक्रांति के दिन बल्कि पूरे तुला महीने में शुभ माना जाता है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न पूजाएं की जाती हैं ताकि वह किसानों को हर साल अच्छी फसल प्रदान करें। किसानों का पूरा परिवार पूजा समारोह में शामिल होता है और भगवान से प्रार्थना करता है जिसके बाद वे यह विश्वास करने के लिए भरपूर भोजन करते हैं कि उन्हें भविष्य में भोजन की कोई कमी नहीं होगी।
पुण्यकालम और संक्रांति समय – तुला संक्रांति 2024
सूर्योदय 17 अक्टूबर, सुबह 06:28 बजे।
सूर्यास्त 17 अक्टूबर, शाम 05:55 बजे।
संक्रांति क्षण 17 अक्टूबर, सुबह 07:43 बजे।
पुण्य काल मुहूर्त 17 अक्टूबर, प्रातः 06:28 – प्रातः 11:43
महा पुण्य काल मुहूर्त 17 अक्टूबर, प्रातः 07:19 – प्रातः 08:07
Tula Sankranti 2024:- दिन के अनुष्ठान!!
- इस दिन ओडिशा और कर्नाटक में क्रमशः देवी लक्ष्मी और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
- देवी लक्ष्मी को ताजे चावल के दाने, गेहूं के दाने और कारा के पौधों की शाखाएँ अर्पित की जाती हैं, जबकि देवी पार्वती को पान के पत्ते, ताड़ के मेवे, चंदन का लेप, सिन्दूर का लेप और चूड़ियाँ अर्पित की जाती हैं।
- इस दिन के उत्सव को अकाल और सूखे को कम करने के लिए जाना जाता है ताकि फसल भरपूर हो और किसानों के बीच कमाई की शक्ति में वृद्धि हो।
- कर्नाटक में देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व करने के लिए नारियल को रेशम के कपड़े से ढका जाता है और मालाओं से सजाया जाता है।
- इस दिन का एक और आम अनुष्ठान जो ओडिशा में होता है वह है चावल, गेहूं और दालों की उपज को मापना ताकि कोई कमी न हो।
- अन्य संक्रांति के दिनों की तरह, मंदिरों को सजाया जाता है और बड़ी संख्या में भक्त जरूरतमंद लोगों को दान देने के लिए आते हैं। वे बेहतर भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं और उन्हें अच्छे कार्यों से प्रसन्न करते हैं। तुला संक्रांति पर सूर्य मंदिरों और नवग्रह मंदिरों के अलावा देवी लक्ष्मी के मंदिरों का भी विशेष महत्व होता है।
Tula Sankranti 2024:- तुला संक्रांति की पूजा विधि!!
- तुला संक्रांति के दिन देवी लक्ष्मी और देवी पार्वती का पूजन करें।
- इस दिन देवी लक्ष्मी को ताजे चावल अनाज, गेहूं के अनाजों और कराई पौधों की शाखाओं के साथ भोग लगायें।
- देवी पार्वती को सुपारी के पत्ते, चंदन के लेप के साथ भोग लगायें।
- तुला संक्रांति का पर्व अकाल तथा सूखे को कम करने के लिए मनाया जाता है, ताकि फसल अच्छी हो और किसानों को अधिक से अधिक कमाई करने का लाभ प्राप्त हो। कर्नाटक में नारियल को एक रेशम के कपड़े से ढका जाता है और देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व मालाओं से सजाया जाता है।
Tula Sankranti 2024:- तुला संक्रांति की कथा!!
साहित्य स्कंद पुराण में कावेरी नदी की उत्पत्ति से संबंधित कई कहानियां शामिल है। इसमें से एक कहानी विष्णु माया नामक एक लड़की के बारे में है। जो भगवान ब्रह्मा की बेटी थी जो कि बाद में कावेरा मुनि की बेटी बन गई थी। कावेरा मुनि ने ही विष्णु माया को कावेरी नाम दिया था। अगस्त्य मुनि को कावेरी से प्रेम हो गया और उन्होंने उससे विवाह कर लिया था। एक दिन अगस्त्य मुनि अपने कामों में इतने व्यस्त थे कि वे अपनी पत्नी कावेरी से मिलना भूल जाते हैं। उनकी लापरवाही के कारण, कावेरी अगस्त्य मुनि के स्नान क्षेत्र में गिर जाती है और कावेरी नदी के रूप में भूमि पर उद्धृत होती हैं। तभी से इस दिन को कावेरी संक्रमण या फिर तुला संक्रांति के रूप में जाना जाता है।
Tula Sankranti 2024:- तुला संक्रांति पर क्यों चढ़ाए जाते हैं ताजे धान??
- तुला संक्रांति और सूर्य के तुला राशि में रहने वाले पूरे एक महीने तक पवित्र जलाशयों में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है।
- तुला संक्रांति का वक्त जो होता है, उस दौरान धान के पौधों में दाने आना शुरू हो जाते हैं। इसी खुशी में मां लक्ष्मी का आभार जताने के लिए ताजे धान चढ़ाए जाते हैं।
- कई इलाकों में गेहूँ और कारा पौधे की टहनियां भी चढ़ाई जाती हैं। मां लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है कि वो उनकी फसल को सूखा, बाढ़, कीट और बीमारियों से बचाकर रखें और हर साल उन्हें लहलहाती हुई ज्यादा फसल दें।
- इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजन का भी विधान है। माना जाता है इस दिन देवी लक्ष्मी का परिवार सहित पूजन करने और उन्हें चावल अर्पित करने से भविष्य में कभी भी अन्न की कमी नहीं आती।
Tula Sankranti 2024:-
- पवित्र स्नान: आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है। सूर्य पूरे महीने तक एक ही राशि में रहते हैं। तो इस माह के दौरान आप किसी भी समय नदियों में आस्था की डुबकी लगा सकते हैं। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिला लें।
- सूर्य पूजा: संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने का विधान है। आज के दिन सूर्य देव की पूजा बहुत ही मंगलकारी साबित होती है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति खराब है तो वो इस मंत्र के साथ सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- मंत्र: एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।
- महालक्ष्मी पूजा: संक्रांति के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन का आगमन बना रहता है। बता दें कि खासतौर पर तुला राशि के जातकों को मां लक्ष्मी की पूजा जरुर करनी चाहिए।
- चंदन की माला: कभी-कभी सूर्य नीच होकर बहुत ही समस्याएं पैदा कर देते हैं। ऐसे में लाल चंदन की माला का इस्तेमाल करें। लाल चंदन की माला गले में धारण करने से सूर्य देव और मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है।
- इसके अलावा सारा दिन ज्यादा से ज्यादा इन मंत्रों का जाप करें:
मंत्र: ॐ ॐ ॐ ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।