Shardiya Navratri 2025:- नवरात्र अथवा नवरात्रि, हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्र एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातों का समय’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति/देवी की पूजा की जाती है। साल में चार बार नवरात्र आते हैं। माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन। यह चंद्र-आधारित हिंदू महीनों में चैत्र, माघ, आषाढ़ और आश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। चैत्र मास में वासंतिक अथवा वासंतीय और दूसरा आश्विन मास में शारदीय नवरात्र। शारदीय नवरात्र का समापन दशहरा को दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के रूप में होता है। हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से के सबसे पहले चैत्र मास में 9 दिन चैत्र नवरात्र के होते है।
नवरात्र भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनाया जाता है। गुजरात में इस त्योहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्र समारोह डांडिया और गरबा खेल कर मनाया जाता है । यह पूरी रात भर चलता है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, ‘आरती’ से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद। पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है।
Shardiya Navratri 2025:- शारदीय नवरात्र 2025 तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 22 सितंबर को देर रात 01 बजकर 23 मिनट पर होगी। वहीं, 23 सितंबर को देर रात 02 बजकर 55 मिनट पर प्रतिपदा समाप्त होगी।
सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए शारदीय नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर से होगी। इसके बाद क्रमशः नौ दिनों तक देवी मां दुर्गा की पूजा की जाएगी। 02 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।
Shardiya Navratri 2025:- शारदीय नवरात्र 2025 कैलेंडर
22 सितंबर के दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी।
23 सितंबर के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी।
24 सितंबर के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी।
26 सितंबर के दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाएगी।
27 सितंबर के दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी।
28 सितंबर के दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी।
29 सितंबर के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी।
30 सितंबर के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी।
01 अक्टूबर के दिन मां महागौरी की पूजा की जाएगी।
02 अक्टूबर के दिन विजयदशमी मनाई जाएगी।
Shardiya Navratri 2025:- शारदीय नवरात्रि 2025 घटस्थापना मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि की शुरूआत व्रती लोग कलश स्थापना के साथ करते हैं. जिसका मुहूर्त सुबह 6 बजकर 9 मिनट से सुबह 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. वहीं, अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा.
Shardiya Navratri 2025:- घर पर कैसे करें नवरात्रि पूजन
- नवरात्रि के दौरान सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
- उसके बाद एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद पूरे पूजा घर में गंगाजल से छिड़काव के बाद माता की पूजा शुरू करें।
- इस बात का ध्यान रहे की कलश हमेशा उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में ही रखें।
- इसके बाद कलश को चारों तरफ से अशोक पत्तों से घेर दें और चुनरी रखकर कलावे से बांध दें।
- इन सबके बाद माता रानी के मंत्रों का जाप करें और आरती करके भोग लगाएं।
Shardiya Navratri 2025:- नवरात्रि का धार्मिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नवरात्रि की उत्पत्ति के बारे में कई कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा दैत्यों के राजा महिषासुर की है, जिसने स्वर्ग में देवताओं के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया था। इसके परिणामस्वरूप, शिव, ब्रह्मा और विष्णु सहित सभी देवताओं ने अपनी दिव्य शक्तियों को मिलाकर शक्ति और शक्ति की अवतार देवी दुर्गा की रचना की। नौ रातों के भीषण युद्ध के बाद, दुर्गा ने महिषासुर को पराजित किया। उनकी विजय के प्रतीक दसवें दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
एक और कथा भगवान राम से जुड़ी है, जो लंका की कैद से सीता को छुड़ाने के लिए रावण से युद्ध की तैयारी कर रहे थे। युद्ध से पहले, राम ने देवी दुर्गा की पूजा की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्हें पूजा के लिए 108 कमलों की आवश्यकता थी, और जब वह गिनती पूरी करने के लिए अपनी एक आँख अर्पित करने ही वाले थे, तभी देवी दुर्गा प्रकट हुईं और उन्हें अपनी दिव्य ‘शक्ति’ प्रदान की। उस दिन राम ने युद्ध जीत लिया। इसके अतिरिक्त, ऐसा माना जाता है कि हिमालय के राजा दक्ष की पुत्री उमा, नवरात्रि के दौरान दस दिनों के लिए अपने घर आती हैं। भगवान शिव से विवाहित, यह त्योहार उनके पृथ्वी पर लौटने का उत्सव मनाता है।
Shardiya Navratri 2025:- शारदीय नवरात्रि में धन प्राप्ति के उपाय
- नवरात्रि के दिनों में हर नौ दिन हनुमान जी को पान का बीड़ा अर्पित करें.
- इन नौ दिनों में अगर अखंड दीपक नहीं जला पा रहे हैं तो सुबह-शाम घी या तेल का दीप जलाना न भूलें. दीपक में 4 लौंग डाल दें.
- पांच प्रकार के सूखे मेवे लाल चुनरी में रखकर माता रानी को अर्पित करें.
- देवी मंदिर में लाल रंग की ध्वजा (पताका, परचम, झंडा) किसी भी दिन जाकर चढ़ाएं.
- देवी मां को ताजे पान के पत्ते पर सुपारी और सिक्के रखकर समर्पित करें.
- मां दुर्गा को 7 इलायची और मिश्री का भोग लगाएं.
- मखाने के साथ सिक्के मिलाकर देवी को अर्पित करें और फिर उसे गरीबों में बांट दें.
- छोटी कन्याओं को छोटे-छोटे पर्स में दक्षिणा रखकर लाल रंग के किसी भी गिफ्ट के साथ भेंट करें.
- नवरात्र के दौरान अपने घर में सोना या चांदी की कोई भी शुभ सामग्री (स्वास्तिक, ॐ, श्री, हाथी, कलश,दीपक, गरूड़ घंटी, पात्र, कमल, श्रीयंत्र,आचमनी, मुकुट, त्रिशूल) खरीदें और देवी दुर्गा के चरणों में रखें और इसकी पूजा करें. फिर नवरात्र के अंतिम दिन उस सामग्री को गुलाबी रेशमी कपड़े में बांधकर तिजोरी व रुपए रखने की जगह रख दें. इससे धन में वृद्धि हो सकती है.