Sarva Pitru Amavasya 2023 Details:- सबसे पहले तो यह जानना परम आवश्यक है कि सर्वपितृ अमावस्या क्या होती है, ज्योतिष विज्ञान के अनुसार आश्विन महीने की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले व्यक्ति अपने पूर्वज जो यह धरती लोक छोड़ चुके हैं, उनके निमित्त उनकी आत्मा की शांति के लिये दान, पुण्य कर्म, तर्पण, भंडारा इत्यादि करते हैं। ताकि वह पूर्वज जिस भी लोक में या जिस भी योनि में हैं, उनको उनके अनुजों द्वारा किये गये दान इत्यादि का पुण्य प्राप्त हो सके व उनकी भी गति हो सके। इसे सर्वपितृ अमावस्या ही क्यों कहा गया- कोई भी व्यक्ति जिस भी तिथि को धरती लोक से गमन करता है, आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की उसी ही तिथि को पितृ शांति के लिये श्राद्ध कर्म किया जाता है लेकिन किसी कारण हमें वह तिथि याद नहीं रहती या फिर मृत व्यक्तियों की कई पीढ़ियां हो चुकी हैं और उन सभी के श्राद्ध अलग-अलग करना आज के समयानुसार मुश्किल लगता है तो उन सभी का श्राद्ध एक ही तिथि को किया जा सकता है और वह है सर्वपितृ अमावस्या। जिस दिन भूले चूके या जितने भी हमारे पूर्वज मृत हैं उन सभी के निमित्त एक ही दिन श्राद्ध कर्म किया जा सके तो इसी कारण अश्विन अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है।
Sarva Pitru Amavasya 2023:- जानिए सर्वपितृ अमावस्या तिथि क्या है ?
अश्विन अमावस्या – 14 अक्टूबर 2023
अमावस्या तिथि आरंभ: 13 अक्टूबर 2023, रात्रि 09:50
अमावस्या तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर 2023, रात्रि 11:24
Sarva Pitru Amavasya 2023:- जानिए सर्वपितृ अमावस्या का महत्व क्या है ?
सर्वपितृ अमावस्या उन लोगों के लिए अत्यधिक उपयुक्त है जिन्हें अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी नहीं है, या यदि वे श्राद्ध पक्ष के अन्य दिनों में तर्पण और पिंडदान करने में असमर्थ हैं। सर्वपितृ अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या, या महालया समापन या महालय विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है। महालया के दिन सभी पूर्वजों की आत्माएं जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि पूर्वज की आत्मा सर्वपितृ अमावस्या, यानी भाद्रपद महीने की अमावस्या के दिन श्राद्ध या तर्पण की अपेक्षा से अपने वंशज के घर जाती है। लेकिन अगर पितरों का पिंडदान नहीं किया गया तो उनकी आत्मा निराश होकर वापस चली जाएगी। इसलिए, सर्वपितृ विसर्जन दिवस पर अपने पितृ या पूर्वजों का श्राद्ध करना अत्यंत आवश्यक है।
Sarva Pitru Amavasya 2023:- सर्वपितृ अमावस्या के दिन क्या काम करें ?
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए। माना जाता है कि पीपल के पेड़ पर पितरों का वास होता है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जरूर जलाएं। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर आपको खुशहाली का आशीर्वाद देंगे।
- किसी कारणवश अगर आप पितृपक्ष में तर्पण नहीं कर पाएं हैं, तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण जरूर करें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन में सफलता का आशीर्वाद देते हैं।
- इस दिन किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें। अगर ये संभव ना हो तो स्नान करते समय पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिला लें। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। इस दिन चांदी का दान करना बहुत शुभ माना गया है।
- सर्वपितृ अमावस्या पर संध्या के समय दीपक जलाकर दरवाजे पर पूड़ी और अन्य मिष्ठान रखें। माना जाता है कि पितृगण गलती से भी भूखे न जाएं। दीपक की रोशनी में पितरों को जाने का रास्ता दिखाया जाता है।
- सर्वपितृ अमावस्या के दिन भूले-भटके पितरों के नाम से किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। इससे पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
Sarva Pitru Amavasya 2023:- सर्वपितृ अमावस्या पर क्या काम न करें ?
दरवाजे से न लौटाएं किसी को खाली हाथ
सर्वपितृ अमावस्या के दिन घर से किसी को भी खाली हाथ न लौटने दें। अगर कोई गरीब, जरूरतमंद आपके द्वार में कुछ मांग रहा है, तो उसे अवश्य ही कुछ न कुछ अपनी योग्यता के अनुसार दें। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते है।
न करें किसी का अपमान
सर्वपितृ अमावस्या के दिन किसी का भी अपमान न करें। बिना किसी बात से किसी को बुरा भला न सुनाएं। ऐसा करने से पितर नाराज हो जाते हैं।
इन चीजों का न करें सेवन
सर्वपितृ अमावस्या के दिन तामसिक भोजन के साथ अंडा, मांस, मछली या फिर मदिरा का सेवन न करें। इसके अलावा कुलथी, मसूर की दाल और अलसी का सेवन करने से बचें।
Sarva Pitru Amavasya 2023:- सर्व पितृ अमावस्या पर इस विधि से करें पितरों को विदा
सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या पर स्नाेनकर सफेद वस्त्र पहनें और पितरों के नाम तर्पण करें। इसके लिए दक्षिण की ओर मुखकर तांबे के लोटे में काला तिल, कच्चा दूध, कुश का टुकड़ा और एक पुष्प डालकर तर्पण दें। तर्पण करते वक्त इस मंत्र का जाप करें। ‘ॐ पितृ गणाय विद्महे जगधारिण्ये धीमहि तन्नो पितरो प्रचोदयात्’ और पितरों की शांति की प्रार्थना करें। इसके बाद ब्राह्रण समेत गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों को खाना खिलाएं। इसके बाद ब्राह्मणों को वस्त्र और सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा विदा करें।
Sarva Pitru Amavasya 2023:- सर्वपितृ अमावस्या की कथा क्या है ?
यह माना जाता है कि देवताओं के पितृगण ‘अग्निष्वात्त’ है जो सोमनाथ में निवास करती है। और उनकी कन्या मानसी, ‘अच्छोदा’ के नाम से एक नदी के रूप में अवस्थित हुई। तथा मत्स्य पुराण में भी अच्छोदा नदी नदी और अच्छोदा सरोवर का वर्णन मिलता है। जो वर्तमान में कश्मीर में स्थित है।
एक बार अच्छोद एक हजार वर्ष तक तपस्या की और जिससे प्रसन्न होकर देवताओं के पितृगण अग्निष्वात्त और और बर्हिषपद अपने अन्य पितृगण अमावसु के साथ अच्छोदा को वरदान देने के लिए आश्विन अमावस्या के दिन उपस्थित हुए। और उन्होने अक्षोदा हे पुत्री हम सभी तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हुए हैं। इसलिए जो चाहे वर सकती हो। परंतु अक्षोदा ने अपने पितरों की तरफ ध्यान नहीं देते हुए अति तेजस्वी पितृ अमावसु की तरफ ही देखती रही। पितरों के बार बार पूछने पर उसने कहा कि हे भगवान आप मुझे सचमुच वरदान देना चाहते हैं? अक्षोदा के यह वचन सुनकर तेजस्वी पितृ अमावसु ने कहा कि हे पुत्री और दान पर तुम्हारा अधिकार सिद्ध है इसलिए तुम बिना किसी संकोच के वरदान मांग सकती हो।
तब अक्षोदा कहा कि हे भगवान जी आप मुझे वरदान देना चाहते हैं तो मैं तत्क्षण आपके साथ रमण कर आनंद लेना चाहती हूं।’ अक्षोदा के इस तरह कई जाने पर सभी पितृ क्रोधित हो गए। और उन्होंने अक्षोदा को शाप दिया। कि वह पितृलोक से पृथ्वी लोक पर आ जाएगी। पितरों के इस तरह शाप देने पर अक्षोदा अपनी पितरों के पैरों में गिर कर रोने लगी। सब पितरों को उस पर तरस आ गया और उन्होंने कहा कि तुम पतित योनि में श्राप मिलने के कारण मत्स्य कन्या के रूप में जन्म लोगी। तथा पितरों ने उसे आगे कहा कि तुम्हें महर्षि पाराशर भगवान ब्रह्मा जी के वंशज पति के रूप में प्राप्त होंगे। तथा तुम्हारे गर्व से भगवान व्यास जी का जन्म होगा। और इसके बाद अन्य दिव्य 1 शो में जन्म देती हुई तुम अंत को शराब मुक्त होकर वापस इंद्रलोक में ही आ जाओगी। पितरों के यह वचन सुनकर अक्षोदा शांत हुई। और वरदान दिया कि इस अमावस्या की तिथि को अमावस के नाम से जाना जाएगा। और जो भी किसी भी दिन किसी कारणवश श्राद्ध ना कर पाए तो वह अमावस्या के दिन तर्पण और श्राद्ध करता है तो उसे बीते 14 दिनों का जिससे मैं पितरों को तृप्त कर सकता है। और उसी दिन से अमावस्या तिथि को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है इस तिथि को सर्वपितृ श्राद्ध के नाम से जाना जाता है।