Ratha Saptami 2024 Details:- रथ सप्तमी का व्रत माघ मास (Magh Month) के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ हर साल रखा जाता है। बता दें कि रथ सप्तमी हर साल बसंत पंचमी से महज तीन दिन बाद ही मनाई जा रही है। मत्स्य पुराण के अनुसार ये व्रत भगवान सूर्य देव (Suryadev)को समर्पित होता है। रथ सप्तमी को स्नान, दान, होम, पूजा आदि सत्कर्म का फल हजार गुना अधिक फल देते हैं।
इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान किया जाता है। इतना ही नहीं भक्त खास रूप से इस दिन गंगा स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन सू्र्योदय के समय स्नान करने से व्यक्ति को सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है और उसे एक अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यही कारण है कि रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।
Ratha Saptami 2024:- रथ सप्तमी तिथि एवं पूजा मुहूर्त
रथ सप्तमी 2024 तिथि– शुक्रवार, 16 फरवरी 2024
रथ सप्तमी पर स्नान मुहूर्त – प्रातः 05:17 बजे से प्रातः 06:59 बजे तक
अवधि – 01 घंटा 42 मिनट
सप्तमी तिथि प्रारंभ – 15 फरवरी 2024 को सुबह 10:12 बजे से
सप्तमी तिथि समाप्त – 16 फरवरी 2024 को सुबह 08:54 बजे
Ratha Saptami 2024:- रथ सप्तमी की पूजा विधि
- रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर अरुणोदय के समय जगे रहना और स्नान करना बेहद आवश्यक है। यह बहुत महत्वपूर्ण है।
- स्नान के बाद नमस्कार करते हुए सूर्यदेव को जल का अर्घ्य का दें। अगर संभव हो तो सूर्यदेव को गंगाजल से अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते समय सूर्यदेव के अलग-अलग नामों का स्मरण करें। भगवान सूर्य के भिन्न नामों का कम से कम 12 बार जाप करें।
- भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मिट्टी के दीए लें और उन्हें घी से भर दें और प्रज्ज्वलित करें। इसी को रथ सप्तमी पूजन कहते है।
- इस अवसर पर गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य सहस्त्रनाम मंत्र का भी जाप करें। इसका जाप पूरे दिन करें।
- मान्यता है कि ऐसा करने से भाग्य परिवर्तन होना शुरु हो जाता है।
Ratha Saptami 2024:- रथ सप्तमी का महत्व
- रथ सप्तमी का दिन भगवान सूर्य देव का जन्म दिन माना गया है. इसे सूर्य देव जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है।
- सूर्य देव की आराधना और स्तुति करना रथ सप्तमी के दिन बहुत ही मंगलकारी माना गया है।
- इस दिन व्रत करना भी शुभ फल देता है।
- रथ सप्तमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद भगवान सूर्य देव को अर्घ्य अर्पण करना भी बहुत ही शुभ माना गया है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य जयंती के दिन सूर्य देव की आराधना करने, पवित्र नदियों में स्नान करने और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पण करने से मनुष्य को उत्तम स्वास्थ्य, जीवन में सफलता, धन वैभव में बढ़ोतरी आदि की प्राप्ति होती है।
- रथ सप्तमी के दिन दान पूण्य करना भी बहुत ही शुभ फलदायक माना गया है।
- रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है।
- मान्यता के अनुसार इस दिन सभी नियमों का पालन करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य अर्पण करने से शारीरिक रोगों और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
- अचला सप्तमी के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से अक्षय फल मिलता है।
- पूजन करने से भगवान सूर्य अपने उपासकों कों सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशिष देते हैं।
- इसे आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।
Ratha Saptami 2024:- रथ सप्तमी पूजा करने के लाभ
रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर भगवान सूर्य की पूजा करने से, भक्त अपने अतीत और वर्तमान पापों से छुटकारा पाते हैं और मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग के समीप एक कदम बढ़ाते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान सूर्य दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य को प्रदान करते हैं और यह माना जाता है कि भक्तों को इसका आशीर्वाद मिलता है यदि वे इस शुभ अवसर पर देवता की पूजा करते हैं ।
Ratha Saptami 2024:- रथ सप्तमी की कथा
सनातन ग्रंथो में माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी उल्लेख निहित है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को शारीरिक बल पर अत्यधिक अभिमान हो गया। इस अहंकार में शाम्ब सभी लोगों का उपहास करते रहते थे। एक बार की बात है। जब श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब ने दुर्वाशा ऋषि का उपहास कर उन्हें भरे दरबार में अपमानित कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि दुर्वाशा ऋषि की अक्षम शारीरिक शक्ति को देखकर शाम्ब जोर-जोर से हंसने लगे थे। उस समय दुर्वाशा ऋषि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका गए थे।
यह देख दुर्वाशा ऋषि क्रोधित हो उठे और उन्होंने तत्क्षण शाम्ब को कुष्ठ रोग से ग्रसित होने का श्राप दे दिया। दुर्वाशा ऋषि ने कहा-तुमने भरी सभा में मेरा उपहास किया है, तुम्हें अपनी शारीरिक शक्ति पर अभिमान आ गया है। यह रुप, यौवन और बल कुरुप हो जाएगा। यह सुन शाम्ब व्याकुल हो उठे।
तभी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा-तुमने दुर्वाशा ऋषि का अपमान किया है। तुम्हें इसका पश्चताप करना होगा। इस रोग से मुक्त होने के लिए सूर्य देव की उपासना करो। कालांतर में शाम्ब ने सूर्य देव की कठिन भक्ति कर श्राप से मुक्ति पाई थी। इसके लिए सूर्य देव को शारीरिक कष्ट को दूर करने वाला देव भी कहा जाता है।