Pitru paksha 2024:- पितृ पक्ष कब शुरू हो रहा है, क्या है मुहूर्त, कैसे करें पूजा, कौन से उपाय करें और किन चीजों का रखें ख्याल, जानें सारी जानकारी!

pitru paksha 2024

Pitru paksh 2024:- पितृ पक्ष कब शुरू हो रहा है, क्या है मुहूर्त, कैसे करें पूजा, कौन से उपाय करें और किन चीजों का रखें ख्याल, जानें सारी जानकारी!

Pitru paksh 2024:- पितृ पक्ष में पूजन का शुभ मुहूर्त!

पूर्णिमा श्राद्ध मंगलवार, सितम्बर 17, 2024 को

कुतुप मूहूर्त – 11:51 ए एम से 12:40 पी एम

अवधि – 00 घण्टे 49 मिनट्स

रौहिण मूहूर्त – 12:40 पी एम से 01:29 पी एम

अवधि – 00 घण्टे 49 मिनट्स

अपराह्न काल – 01:29 पी एम से 03:56 पी एम

अवधि – 02 घण्टे 27 मिनट्स

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 17, 2024 को 11:44 ए एम बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त – सितम्बर 18, 2024 को 08:04 ए एम बजे

Pitru paksh 2024:- पितृ पक्ष पूजन विधि!

पितरों को तर्पण (pitru puja) करने का महीना चल रहा है. लोग 10 तारीख से अपने पूर्वजों को पानी देना शुरू कर दिए हैं. कुछ लोगों को पितर पक्ष (pitru paksha) के महीने में पूजा कैसे करते हैं सही तरीका नहीं पता होता है. ऐसे में आपको समझना जरूरी है कि पितर पक्ष में पूर्वजों (how to pleased purvaj) को खुश करने का तरीका क्या होता है. तो चलिए जानते हैं.

Pitru paksh 2024:- पितर पक्ष में पूजा करने का सही तरीका:-

  • पितर पक्ष के समय में आपको सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए और पितरों को पानी देना चाहिए. इस दौरान दान पूण्य ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए. किसी असहाय व्यक्ति की सहायता करना अच्छा माना जाता है.
  • पितर पक्ष के समय में आपको किसी तरह के गलत कार्य नहीं करने चाहिए. इससे पूर्वज नराज होते हैं. झूठ बोलने से भी बचना चाहिए. इसके अलावा आपको मांस मदिरा का भी सेवन नहीं करना चाहिए.
  • पितर पक्ष के महीने में घर में प्याज लहसुन वाला खाना नहीं बनाना चाहिए. इससे भी पितृ दोष होता है. वहीं, इस दौरान किसी भी तरह का शुभ काम या शुरूआत नहीं करनी चाहिए.
  • इस दौरान कुत्ते बिल्ली को भोजन कराना शुभ माना जाता है. इसके अलावा गाय को रोटी खिलाना भी अच्छा होता है. पितर पक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराना भी अच्छा माना जाता है. वहीं, कौए को भोजन कराने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है

Pitru paksh 2024:-  श्राद्ध कैसे करें?

जिस दिन आपके पितृ की श्राद्ध तिथि हो उस दिन सूर्योदय से लेकर दोपहर तक की अवधि के मध्य ही पितरों के निमित्त श्राद्ध-तर्पण आदि करें। इसके लिए दूध, गंगाजल, मधु, वस्त्र, कुश, तिल अभिजित मुहूर्त मुख्य रूप से अनिवार्य तो है ही तुलसीदल से भी पिंडदान करने से पितर पूर्णरूप से तृप्त होकर कर्ता को आशीर्वाद देते हैं। तर्पण के समय सर्वप्रथम निमंत्रित ब्राह्मण का पैर धोना चाहिए। इस कार्य के समय पत्नी को दाहिनी तरफ होना चाहिए। जिस दिन पितरों का श्राद्ध करना हो उस तिथि के दिन तेल लगाने, दूसरे का अन्न खाने से बचना करना चाहिए।

Pitru paksh 2024:- पितृ गायत्री और पंचबलि मंत्र!!

पितृपक्ष में अथवा प्राणियों की मृत्यु के पश्च्यात पितृ गायत्री मंत्र का जप करने अथवा करवाने से पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती है।

अतः यथा संभव यह पितृ गायत्री मंत्र- ऊं देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम: ।। करवाकर कर गौ, श्वान, कौए, देव और चींटी के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालें।

गोबलि- गाय के लिए पत्तेपर ‘गोभ्ये नमः’ मंत्र पढ़कर भोजन सामग्री निकालें।

श्वानबलि- कुत्ते के लिए भी ‘द्वौ श्वानौ’ नमः मंत्र पढकर भोजन सामग्री पत्ते पर निकालें।

काकबलि- कौए के लिए ‘वायसेभ्यो’ नमः’ मंत्र पढकर पत्ते पर भोजन सामग्री निकालें।

देवबलि- देवताओं के लिए ‘देवादिभ्यो नमः’ मंत्र पढकर भोजन सामग्री पत्तल पर निकालें।

चींटियों के लिए- ‘पिपीलिकादिभ्यो नमः’ मंत्र पढकर चींटियों के लिए भोजन सामग्री पत्तेपर निकालें।

दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके कुश, तिल और जल लेकर हथेली में स्थित पितृतीर्थ से संकल्प करें तथा एक या तीन ब्राह्मण को भोजन कराएं यथा शक्ति दक्षिणादि देकर निमंत्रित ब्राह्मण की चार बार प्रदक्षिणा करें। जो प्राणी श्रद्धापूर्वक ऐसा करके पितरों को तृप्त कर देगा उसके पितृ आशीर्वाद देने के लिए विवश हो जायेंगे जिसके फलस्वरूप कार्य व्यापार, शिक्षा अथवा वंश बृद्धि में आ रही रुकावटें भी दूर हो जायेंगी।

Pitru paksh 2024:-  श्राद्ध करने से मिलते हैं ये लाभ, जानें श्राद्ध का महत्व!!

श्राद्ध का अर्थ अपने देवताओं, पितरों, परिवार और वंश के प्रति श्रद्धा प्रकट करना है। जब स्वजन अपने शरीर को छोड़कर चले जाते हैं। वह चाहे किसी भी रूप में अथवा किसी भी लोक में हों, श्राद्ध पक्ष के समय अपनी तिथि पर पृथ्वी पर आते हैं। उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है, उसको हमारे पितृ सूक्ष्म रूप में आकर अवश्य ग्रहण करते हैं। अपनी तिथि के दिन हमारे पितृ सवेरे सूर्य की किरणों पर सवार होकर आते हैं। वे अपने पुत्र पौत्र अथवा वंशजों से अपेक्षा करते हैं कि उन्हें अन्न-जल प्रदान करें। ब्राह्मण को भोजन कराने एवम पितृ जल देने से वे एक वर्ष के लिए तृप्त हो जाते हैं। इन सोलह दिनों में न कोई शुभ कार्य किया जाता है और न ही कोई नई वस्तु खरीदी जाती है।

Pitru paksh 2024:-  पितरों को प्रसन्न करने के 5 अचूक उपाय!!

  1. प्रतिदिन पढ़ें हनुमान चालीसा।
  2. श्राद्ध पक्ष में अच्छे से करें श्राद्ध कर्म।
  3. गरीब, अपंग व विधवा महिला को दें दान।
  4. तेरस, चौदस, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन गुड़-घी की धूप दें।
  5. घर का वास्तु ठीक करवाएं।
  6. गया में जाकर तर्पण पिंडदान करें।

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