Onam 2025:- शुरू होने वाला है 10 दिनों का त्यौहार ओणम 2025, जाने इसे जुड़ी सारी जानकारी!!

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Onam 2025:- ओणम 2025 कब है और शुभ मुहूर्त

द्रिक पंचांग के अनुसार, ओणम 5 सितंबर, 2025, शुक्रवार को भव्य रूप से मनाया जाएगा। पंचांग में कहा गया है कि थिरुवोणम नक्षत्र 4 सितंबर, 2025 को रात 11:44 बजे शुरू होगा और 5 सितंबर, 2025 को रात 11:38 बजे समाप्त होगा।

Onam 2025:-  ओणम का इतिहास और महत्व

ओणम असुर राजा महाबली के पाताल लोक से लौटने का स्मरण करता है। हालाँकि महाबली एक राक्षस राजा थे, फिर भी उन्हें दानशील माना जाता था और उनके शासनकाल को केरल का स्वर्ण युग माना जाता था। इसी कारण से उनके पुनः प्रकट होने का हार्दिक स्वागत किया जाता है।

Onam 2025:- ओणम पूजा विधि

  • ओणम के दिन सुबह नहाने के बाद साफ वस्त्र पहनना चाहिए।
  • उसके बाद इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करें।
  • ये त्योहार दस दिनों तक चलता है, इस समय राजा बलि और वामन भगवान की पूजा करें।
  • इस दिन घर की महिलाएं पूर्व दिशा में रंगोली बनाती हैं।
  • जहां पर ओणम की पूजा होती है, उस स्थान को फूलों से सजाया जाता है।
  • पूजा के समय में खास मंत्रों का उच्चारण करें और भोग बनाकर सब में बांटे।

Onam 2025:-  दस दिनों तक चलता है ये पर्व

ये पर्व पूरे दस दिनों तक चलता है। इसके प्रथम दिन को अथम और दसवें दिन को थीरुओणम कहा जाता है। ये उल्लास, उमंग और परंपराओं से भरा हुआ त्योहार है। कहा  जाता है कि किसान नए फसल के बेहतर उपज के लिए ये त्योहार मनाते हैं। इस दिन केरल में प्रसिद्ध सर्प नौका दौड़ और कथकली नृत्य का आयोजन किया जाता है। 

Onam 2025:- ओणम के 10 दिन

-पहले दिन को अथम कहते हैं जिसकी शुरुआत नहाने से लेकर पकलम यानी फूलों की रंगोली बनाने से होती है। इसमें लोग केले का पापड़ भी खाते हैं।

-दूसरे दिन को चिथिरा कहते हैं जिसमें महिलाएं पुष्पकालिन में नए फूलों को जोड़ती हैं।

-तीसरे दिन को विसाकम कहते हैं और इसमें लोग खरीदारी करते हैं।

-चौथे दिन अचार और आलू चिप्स बनाए जाते हैं।

-पांचवे दिन जिसे अनिजाम कहते हैं इस दिन नौका दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन होता है।

-छठे दिन थिक्रेता पर लोग अपने दोस्त और रिश्तेदारों को ओणम की बधाई देते हैं।

-सातवें दिन मूलम पर कुछ खास पकवान बनाकर खाते हैं।

-आठवें दिन मिट्टी के पिरामिड के आकार की मूर्तियां बनाकर लोग इसकी पूजा करते हैं।

-नौवें दिन उथिरादम पर राजा महाबलि के आने का इंतजार करते हैं और इसे ही प्रथम ओणम कहा जाता है।

-दसवें दिन थिरुवोणम पर माना जाता है कि राजा बलि धरती पर आते हैं और भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है और ओणम साध्या का भोग लगाया जाता है।

Onam 2025:- राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है ओणम

दक्षिण भारत राज्यों में ओणम का ये पर्व महाबली राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है। कहा जाता है कि राजा बलि असुराज होने के बावजूद भी भगवान विष्णु के भक्त थे। इस त्योहार की कथा भी विष्णु जी के वामन अवतार से जुड़ी है। मान्यता है कि साल में एक बार पाताल लोक से राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने धरती लोक पर आते हैं। इस दिन वामन अवतार और राजा बलि की पूजा के साथ उनका स्वागत किया जाता है।

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