नीलम रत्न कब धारण करें? नीलम रत्न किसे धारण करना चाहिए? नीलम रत्न क्यों धारण करना चाहिए?
हर किसी की जन्मपत्री में ग्रहों की कमजोर और बलवान दशा के अनुसार ही भाग्य में परिवर्तन आता रहता है. अशुभ ग्रहों को शुभ बनाना या शुभ ग्रहों को और अधिक शुभ बनाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं.
इसके लिए कोई मंत्र जाप, दान, औषधि स्नान, देव दर्शन आदि करता है. ऐसे में रत्न धारण एक महत्वपूर्ण एवं असरदार उपाय है. जिससे आपके जीवन में आ रही समस्त परेशानियों का हल निकल जाता है.
नीलम रत्न
नीलम रत्न को शनि ग्रह का रत्न माना गया है। नीलम रत्न को धारण करने पर अगर इसका शुभ प्रभाव जातक पर पड़ने लगता है तो व्यक्ति फर्श से अर्श तक पहुंच जाता है। उसकी सारी परेशानियां धीरे-धीरे खत्म हो जाती है और वह दिन ब दिन सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ होते हैं उन्हें शनि का रत्न नीलम पहनने की सलाह दी जाती है। यही नहीं अगर कुंडली में शनि शुभ भाव में भी हैं तो इनका शुभ प्रभाव बढ़ाने के लिए भी नीलम रत्न धारण किया जाता है।
नीलम रत्न किस राशि के लोगों को पहनना चाहिए?
रत्न ज्योतिष के मुताबिक कुंभ और मकर राशि के जातकों को नीलम धारण करना शुभ होता है। वहीं वृषभ राशि और तुला राशि के जातक भी नीलम रत्न पहन सकते हैं। इन राशि के जातकों के लिए नीलम शुभ फलदायी होता है। नीलम रत्न को पहनने से घर में सुख-समृद्धि के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नीलम रत्न धारण करने के बाद नौकरी व व्यापार में इसका फायदा मिलता है।
नीलम रत्न धारण करने की विधि ? नीलम रत्न किस वार को धारण करें ? नीलम रत्न धारण करने का मंत्र
कम से कम 7 या 5 रत्ती के नीलम रत्न को शनिवार के दिन पंचधातु या स्टील की अंगूठी में जड़वाकर सूर्यास्त से दो घंटे पहले ही बीच की अवधी में सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए।
नीलम रत्न शनिवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है।
धारण करने से पहले इस शनि मंत्र से “ऊँ शं शनैश्चराय नम:” का 108 बार जप करने का बाद नीलम रत्न सिद्ध हो जाता है।
आप शनिवार के सुबह नहा धोकर पवित्र हो जाएँ, फिर अपने घर के मंदिर के पास ही बैठ जाएँ, एक कटोरी में कच्चा दूध, उसमे चीनी या मिश्री थोड़ा शहद, और गंगा जल डाल लें, फिर उसमे अपनी अंगूठी करीब २० – से ३० मिनट तक रख दें, अब आपके पास जो समय है उस समय में पीपल में वृक्ष में जल दे आयें, जल में काली तील, चीनी और कच्चा थोड़ा दूध ले लें, वापस आ कर गंगा जल से अन्गुती को धोकर चन्दन, अक्षत और सुगन्धित धुप अगरबती दिखा दें।
नीलम रत्न पहनने का महत्व :
शनि प्रभावित जातकों के समस्त कष्टों का हरण शनि चालीसा के पाठ द्वारा भी किया जा सकता है। सांसारिक किसी भी प्रकार का शनिकृत दोष, विवाह आदि में उत्पन्न बाधाएं इस शनि चालीसा की 21 आवृति प्रतिदिन पाठ लगातार 21 दिनों तक करने से दूर होती हैं और जातक शांति सुख सौमनस्य को प्राप्त होता है। अन्य तो क्या पति-पत्नी कलह को भी 11 पाठ के हिसाब से यदि कम से कम 21 दिन तक किया जाये तो अवश्य उन्हें सुख सौमनस्यता की प्राप्ति होती है।
नीलम रत्न पहनने के लाभ
नीलम रत्न का प्रभाव स्नायुतन्त्र पर रहता है। यदि इससे सम्बन्धित कोई भी दिक्कत है तो नीलम रत्न धारण करने से लाभ मिलेगा।
लोगों को कमर दर्द, सिर दर्द व कैंसर आदि रोग है तो उन्हें नीलम रत्न पहनने से फायदा होता है।
नीलम रत्न का शुभ फल होने पर नौकरी और व्यवसाय में उन्नति का संकेत भी तुरंत देता है ।
जिन लोगों को रात में घबराहट होती है एंव भय बना रहता है, उन लोगों को नीलम रत्न पहनने से अवश्य लाभ मिलता है।
नीलम रत्न जिनके लिए अनुकूल और शुभ होता है उन्हें धारण करते ही सबसे पहले स्वास्थ्य संबंधीं परेशानी दूर हो जाती है।
नीलम रत्न धारण करने के नुकसान
नीलम रत्न आपके लिए अनुकूल नहीं है तो आपके आखों में जलन महसूस होने लगती है।
नीलम रत्न अगर शुभ फल न दें तो इसे धारण करने वाले को तुरंत आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है।
नीलम रत्न पहनने के बाद अगर अच्छा फल नहीं दे तो पहनने वाले के साथ किसी दुर्घटना में चोट लगने का डर रहता है।