Mokshda Ekadashi 2024:- मोक्षदा एकादशी तिथि व मुहूर्त
एकादशी व्रत तिथि बुधवार, 11 दिसंबर 2024
पारण का समय 12 दिसंबर को प्रातः 06:28 बजे से प्रातः 08:47 बजे तक
पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्त 06:28 पूर्वाह्न
एकादशी तिथि प्रारंभ 11 दिसंबर 2024 को प्रातः 03:42 बजे
एकादशी तिथि समाप्त 12 दिसंबर 2024 को प्रातः 01:09 बजे
Mokshda Ekadashi 2024:- मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा
प्राचीन समय में वैखानस नामक राजा राज्य करता थे। उनकी प्रजा उनसे संतुष्ट थी, वह किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने देते थे। उनका राज – काज बड़े ही अच्छे ढंग से, सुचारु रूप से चल रहा था। फिर एक दिन राजा जब निद्रा में थे, उन्होंने देखा कि उनकी पिता नर्क में यातनाएं झेल रहे हैं और दुःख भोग रहे हैं। उन्होंने देखा कि उनके पिता बार-बार उनसे याचना कर रहे थे कि पुत्र मेरा उद्धार करो। यह देख कर वह व्याकुल हो गएं और उनकी निद्रा टूट गयी।
अगले दिन प्रातः काल ही उन्होंने पंडितों को बुलवा लिया और रात को देखे गए स्वप्न में घटित सभी घटनाओं का वृतांत कह सुनाया। उसके बाद उन्होंने इसके पीछे छुपे भेद को पूछा। पंडितों ने कहा – हे राजन! इसके लिए आपको पर्वत नामक मुनि के आश्रम में जाकर अपने पिता के उद्धार के लिए उपाय की याचना करनी चाहिए। राजा ने ब्राम्हणो द्वारा सुझाये युक्ति के अनुसार वह मुनि के आश्रम में गए और उनसे याचना की।
सारा वृतांत सुनकर पर्वत मुनि भी चिंतित हो गए और उन्होंने कहा कि- हे राजन! आपके पिता को उनके पिछले जन्मों के कर्मों की वजह से नर्क योनि प्राप्त हुआ है। अपने पिता के तर्पण के लिए तुम मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) का व्रत करो और उसका मिलने वाला फल अपने पिता को अर्पित करो। इससे उनके पूर्वजन्म के पाप नष्ट हो जाएंगे और उन्हें मोक्ष मिल जाएगा। राजा ने मुनि के कथनानुसार मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) का व्रत करके गरीबों को भोजन, दक्षिणा और वस्त्र आदि अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस व्रत से मिले पुण्य को अपने पिता पर अर्पित करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।
Mokshda Ekadashi 2024:- मोक्षदा एकादशी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) के दिन व्रत करने वाले व्रतधारियों के पितर नीच योनि से मुक्त होकर बैकुंठधाम चले जाते हैं। यह पितृ अपने परिवार को धान्य-धान्य और पुत्र आदि की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद देते हैं। इस एकादशी व्रत के प्रभाव से उपासक की कीर्ति में बढ़ोतरी होती है और जीवन में अपार खुशियां आ जाती है। उपासक के लिए बैकुंठधाम का द्वार खुल जाता है और उसे पूरे वर्ष में होने वाली एकादशी के बराबर फल मिलता है।
Mokshda Ekadashi 2024:- मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) की व्रत विधि
- व्रत से पूर्व दशमी तिथि को दोपहर में एक बार भोजन करें।
- रात्रि में भोजन न करें।
- मोक्षदा एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें।
- स्वच्छ कपड़े पहनकर प्रभु का स्मरण करें और व्रत संकल्प लें।
- पहले श्रीगणेश की पूजा करें फिर लक्ष्मी माता के साथ श्री हरी की पूजा करें।
- धूप, दीप और नैवेद्य, रोली, कुमकुम भगवन को अर्पित करें।
- रात्रि के समय भी पूजा करें और जागरण भी करें।
- द्वादशी के दिन पूजन के बाद गरीबों और जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
- इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।
Mokshda Ekadashi 2024:- मोक्षदा एकादशी सावधानियां
- शास्त्रों के अनुसार, मोक्षदा एकादशी के दिन किसी भी पेड़-पौधे से फूल एवं पत्ते नहीं तोड़ें।
- भगवान विष्णु को अर्पण करने वाला तुलसी पत्ता एक दिन पहले तोड़ लें।
- एकादशी के दिन चावल का सेवन न करें।
- मान्यता के अनुसार इस दिन चावल ग्रहण करने से मनुष्य का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है।
- जौ, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली भी खाने से बचें।
- इस दिन मांस, मदिरा, प्याज़, लहसुन जैसी तामसिक पदार्थों को ग्रहण न करें।
- किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा दिया गया अन्न ग्रहण न करें इससे आपके पुण्य नष्ट होते हैं।
- मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) के दिन किसी पर गुस्सा या किसी की निंदा नहीं करें।
- वाद – विवाद से दूर रहें।
- ब्रम्हचर्य का पालन करें।
- महिलाओं का अपमान किसी भी दिन नहीं करें, अन्यथा जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
Mokshda Ekadashi 2024:- मोक्षदा एकादशी की पारण विधि
पारण का अर्थ है व्रत तोड़ना। द्वादशी तिथि समाप्त होने के भीतर ही पारण करें। द्वादशी में पारण न करना अपराध के समान है। व्रत तोड़ने से पहले हरि वासरा के खत्म होने का इंतजार करें, हरि वासरा के दौरान पारण नहीं करना चाहिए। मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचें। व्रत तोड़ने का समय प्रात:काल है। किसी कारणवश प्रात:काल के दौरान व्रत नहीं तोड़ पाते हैं तो मध्याह्न के बाद व्रत खत्म करें।
Mokshda Ekadashi 2024:- मोक्षदा एकादशी पर करें ये 4 उपाय
- बढ़ेंगे कमाई के स्त्रोत – बार-बार जीवन में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, आय के ज्यादा स्त्रोत नहीं है तो मोक्षदा एकादशी पर तुलसी की माला से ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें और किसी जरुरतमंद को केला, अन्न, धन या ऊनी वस्त्र का दान करें. मान्यता है इस उपाय से सारी धन संबंधी परेशानियां दूर होती है.
- संतान प्राप्ति – मोक्षदा एकादशी व्रत के दिन शाम के समय तुलसी के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए और इस दौरान ‘ॐ नमोः नारायणाय नमः’ मंत्र का लगातार जाप करते रहें. फिर पौधे की 11 या 21 बार परिक्रमा करनी चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है. सारे पाप मिट जाते हैं और संतान सुख प्राप्त होता है.
- बिगड़े काम बन जाएंगे – मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल रही, आपके काम का श्रेय किसी और को मिल रहा है तो मोक्षदा एकादशी के दिन पीपल के 11 पत्तों की एक माला बनाएं और शनि मंदिर में जाकर अर्पित करें. इस दौरान ‘शं ऊँ शं नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें.कहते हैं इससे समस्त परिस्थितिया आपके अनुकूल होने लगेंगी. शाम को पीपल में दीपक लगाने से पितर भी प्रसन्न होंगे.
- घर लाएं ये चीजें – मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी, चांदी या पीतल की मछली, कामधेनु गाय और दक्षिणावर्ती शंख घर लाने से मां लक्ष्मी और नारायण बेहद प्रसन्न होते हैं. कहते हैं मार्गशीर्ष माह में विष्णु जी ने मत्स्य अवतार लिया था, इसलिए मछली की प्रतिमा घर में रखना शुभ होता है. वहीं कामधेनु गाय श्रीकृष्ण की प्रिय है और तुलसी-दक्षिणावर्ती शंख घर में रखने से धन की कभी कोई कमी नहीं होती है.