Kans Vadh 2023: भगवान श्रीकृष्ण (ShriKrishna) ने अपने ही मामा कंस का वध (Kans Vadh 2023) कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन किया था| यही वजह है कि इस तिथि को कंस वध के तौर पर भी जाना जाता है| कृष्ण जी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक मामा कंस का वध भी है| भगवान श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन लीलाओं से भरा हुआ है| उनके जन्म से लेकर अंतिम वक्त तक सभी कुछ उनकी लीला ही नजर आती है| कृष्ण जी का जन्म भी विकट परिस्थितियों में हुआ था जिसकी वजह दुष्ट मामा कंस ही था| एक भविष्यवाणी की वजह से राजा कंस अपने ही भांजे श्रीकृष्ण को मारना चाहता था, इसके लिए उसने कई प्रयास भी किए लेकिन आखिर में उसका अंत भगवान श्रीकृष्ण के हाथों ही हुआ|
कंस वध मेला 2023 – बुधवार, 22 नवंबर
हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष के दसवें दिन मथुरा में कंस मेला लगता है। इस मेले में भगवान श्राकृष्ण के कंस को मारने के दृश्य को दोहराया जाता है। इस दिन ऐसा लगता है मानो मथुरा फिर से उसी युग में चली गई हो। सब लोग पारंपरिक परिधान डालते हैं। हाथों में चमकदार डंडे लिये एक यात्रा निकलती है। नृत्य किये जाते हैं, विजय गीत गाए जाते हैं। जहां तक सुनाई देता है ढोल की थाप पर लोगों के जयकारे ही सुनाई देते हैं।
क्या होता है मेले में?
ये मेला कंस टीले पर लगता है। सभी युवक अपनी अपनी लाठियों को अच्छे से सजा कर कंस टीले तक जाते हैं। आगे आगे कई झांकियां चलती हैं। बची में सुदामा-श्रीकृष्ण मिलाप जैसे कई दृश्यों का नाट्यरुपांतरण किया जाता है। कंस टीले पर कंस का पुतला होता है जिसे मार कर नष्ट किया जाता है। कंस के सिर को कंसखार पर तोड़ा जाता है। इसके बाद सब लोग विश्राम घाट पर आ जाते हैं और भगवान को विश्राम देकर उनका पूजन करते हैं।
Kans Vadh 2023: कैसे मारा था भगवान श्रीकृष्ण ने कंस को?
मल्ल युद्ध के अंदर जब भगवान श्रीकृष्ण ने एक-एक करके कंस के सभी पहलवानों को धूल चटा दी तो चारों ओर भगवान श्री कृष्ण और बलराम की जय-जय कार और प्रशंसा होने लगी। इस बात से कंस और चिढ़ गया। कंस ने अपने सेवकों को आज्ञा दी कि वासुदेव के लड़कों को बाहर निकाल दो, गोपों का सारा धन छीन लो और नंद को बंदी बना लो तथा वासुदेव-देवकी को मार डालो। उग्रसेन मेरे पिता होने पर भी शत्रुओं से मिले हुए हैं। इसलिए उन्हें भी जीवित मत छोड़ो।
कंस आदेश दे रहा था कि इसी बीच भगवान श्री कृष्ण फुर्ती से उछलकर उसके मंच पर पहुंच गए। कंसभी तलवार लेकर उठ खड़ा हुआ और श्री कृष्ण पर चोट करने के लिए पैंतरा बदलने लगा। श्री कृष्ण ने गरुड़ की तरह कंस को पकड़ कर मुकुट गिरा दिया और फिर बालों से पकड़ कर नीचे पटक दिया। श्री कृष्ण ने उनके उपर छलांग लगाई और उनके कूदते ही कंस की मृत्यु हो गई।
Kans Vadh 2023: महत्व :-
बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न कंस वध के उत्सव को दर्शाता है। इस विशेष दिन, भगवान श्रीकृष्ण ने ‘कंस’ की हत्या करके राजा उग्रसेन को भारत के मुख्य शासक बनाया था। कंस वध’ का त्यौहार बुराई के अंत और ब्रह्मांड में भलाई के स्थायित्व को दर्शाता है और इसे अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है।
Kans Vadh 2023: कब और मनाया जाता है कंस वध:-
कंस वध कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के दसवे दिन मनाया जाता है | यह त्योहार दीपावली के बाद आता है | भगवान विष्णु के आठवे अवतार जो श्री कृष्ण के रूप में जाने जाते हैं उन्होंने अपने माता -पिता और अपने दादा उग्रसेन को बंदी ग्रह से आजाद करने के लिए और मथुरा की प्रजा को कंस के अत्याचारों से मुक्त करने के लिए कंस का वध किया | इस प्रकार अच्छाई की बुराई पर जीत हुई |
Kans Vadh 2023: कंस वध की मान्यताए:-
इस परंपरा की मान्यता यह है कि भगवान श्री कृष्ण की सेना में छज्जू चौबे शामिल हुए थे और ब्रजवासियों के सहयोग से कृष्ण ने कंस का वध किया था। इसी की याद में यह आयोजन किया जाता है।
Kans Vadh 2023: कंस वध और उससे जुड़ी 10 बातें
- कंस के पिता का नाम उग्रसेन था, वे शूरसेन जनपद के राजा थे। उग्रसेन यदुवंशीय राजा आहुक के पुत्र थे। उनकी माता का नाम काश्या थीं, जो काशीराज की पुत्री थीं। उग्रसेन दो भाई थे, उनके भाई का नाम देवक था।
- कंस नौ भाई और पांच बहन था। कंस इन सब में बड़ा था। उसकी बहनों का ब्याह वसुदेव के छोटे भाइयों से हुआ था। कंस के भाइयों को नाम न्यग्रोध, सुनामा, कंक, शंकु, अजभू, राष्ट्रपाल, युद्धमुष्टि और सुमुष्टिद था। बहनें कंसा, कंसवती, सतन्तू, राष्ट्रपाली और कंका थीं।
3. कंस ने अपने पिता उग्रसेन को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया था और स्वयं शूरसेन जनपद का राजा बन बैठा। मथुरा शूरसेन जनपद में ही था।
- कंस ने मगध के शासक जरासंध की दो बेटियों से अपना विवाह किया था। इस कारण वह और शक्तिशाली हो गया था।
- कंस के काका का नाम शूरसेन था, वे मथुरा पर शासन करते थे। उनके पुत्र वसुदेव का विवाह कंस की चचेरी बहन देवकी से हुआ था। देवकी से ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
- कंस देवकी से काफी स्नेह करता था। एक दिन वह देवकी के साथ कहीं जा रहा था, तभी आकाशवाणी हुई कि तू जिस देवकी से इतना स्नेह करता है, उसका 8वां पुत्र ही तेरी मौत का कारण बनेगा।
- मौत के भय से कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया। उसने एक-एक करके देवकी के 6 बेटों को मार डाला। फिर शेषनाग ने मां देवकी के गर्भ में प्रवेश किया तो भगवान विष्णु ने माया से वसुदेव की पत्नी रोहिणी के पेट में उस गर्भ को रख दिया।
- इसके बाद भगवान विष्णु स्वयं माता देवकी के गर्भ से कृष्णावतार में पृथ्वी पर आए। वे वसुदेव की आठवीं संतान थे। भगवान विष्णु के आदेशानुसार, वसुदेव बाल कृष्ण को नंदबाबा के घर पहुंचा आए।
- जब कंस को कृष्ण के गोकुल में होने की सूचना मिली, तो उसने कई बार उनकी हत्या की कोशिश की, लेकिन हर बार विफल रहा। तब एक दिन उसने साजिश के तहत कृष्ण और बलराम को अपने दरबार में आमंत्रित किया। जहां श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपने माता-पिता देवकी और वसुदेव को कारागार से मुक्त कराया।
- कंस वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उग्रसेन को दोबारा राजा की गद्दी पर बैठा दिया।