हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है ?? और इसके महत्व: जानिए !!

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हरियाली तीज हर वर्ष श्रावन मास की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र, स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। हरियाली तीज के त्योहार को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना गया है जिसे श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था।

इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, इसके साथ इस दिन संपूर्ण शिव परिवार की पूजा करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है। जानकार बता रहे हैं कि इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और शिव योग में पूजा की जाएगी। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और पूरे विधि अनुसार पूजा करती हैं। कुंवारी लड़कियां इस दिन माता पार्वती की पूजा करती हैं जो उनके लिए शुभ माना जाता है।

हिन्दी पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 10 अगस्त दिन मंगलवार की शाम 06 बजकर 11 मिनट से हो रहा है l यह तिथि 11 अगस्त दिन बुधवार की शाम 04 बजकर 53 मिनट तक रहेगी l उदया तिथि के अनुसार, इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत 11 अगस्त को रखा जाएगा l

11 अगस्त को शिव योग शाम 06 बजकर 28 मिनट तक है. शिव योग में हरियाली तीज का व्रत रखा जाएगा l इस दिन रवि योग भी सुबह 09 बजकर 32 मिनट से पूरे दिन रहेगा l इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक है l राहुकाल दोपहर 12 बजकर 26 मिनट से दोपहर 02 बजकर 06 मिनट तक है l

– इसे सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए।

– कुंवारी लड़कियां भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती हैं।

– हरियाली तीज के दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया।

– पार्वती के कहने पर शिव जी ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।

हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नानादि से निवृत होकर पूजा स्थल पर माता पार्वती और भगवान शिव को साक्षी मानकर व्रत का संकल्प लेती हैं l पूरे दिन निर्जली व्रत रखकर शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और पति की लंबी आयु का वरदान मांगती हैं. शाम को महिलाएं स्नान करके बालू की भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजा स्थल पर स्थापित करती हैं l

अब महिलाएं इनका आवाहन कर, माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें. उसके बाद उन्हें चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें l माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करें.  हरियाली तीज की कथा सुनें या पढ़े l अंत में आरती करें एवं प्रसाद वितरण करें l पार्वती के कहने पर शिव जी ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।

भगवान शिव और पार्वती के पूर्णमिलाप के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए। अंततः मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं।

निर्जला व्रत और भगवान शिव और माता पार्वती जी की विधि पूर्वक पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत के साथ-साथ शाम को व्रत की कथा सुनी जाती है। माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है।

सावन मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, वही हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है उसे हरितालिका तीज कहते हैं। दोनों में पूजन एक जैसा होता है अत: कथा भी एक जैसी है।

इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन व्रत बताया जाता है।

इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है।

हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा होती है।

पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते है।
इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने का भी रिवाज है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। इस त्योहार में स्त्रियां हरी लहरिया न हो तो लाल, गुलाबी चुनरी में भी सजती हैं, गीत गाती हैं, मेंहदी लगाती हैं,श्रृंगार करती हैं, नाचती हैं। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है।

तभी से भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया l हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर का काम करने के बाद श्रृंगार करती हैं और निर्जला व्रत रखती हैं। विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके हरियाली तीज की कथा सुनती हैं।

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