कैसे प्रकट हुईं गायत्री माता? जानें किससे हुआ इनका विवाह !!

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Gayatri Jayanti 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन को गायत्री जयंती के रूप में मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों में मां गायत्री को वेदों की मां कहा गया है। मां गायत्री के 10 हाथ और 5 मुख है। जिसमें से 4 मुख वेदों के प्रतीक है और पांचवा मुख सर्वशक्तिमान शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। वहीमं दस हाथ भगवान विष्णु के प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्ना की पत्नी गायत्री देवी है और इनका मूल रूप श्री सावित्री देवी है।

गायत्री जयंती का महत्व

  • हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता है।
  • मां गायत्री की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
  • मां गायत्री वेदों की जननी हैं। गायत्री मां की पूजा करने से वेदों के अध्ययन करने के बराबर फल मिलता है।

कैसे प्रकट हुईं गायत्री माता ?
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर ब्रह्म देव जब सृष्टि की रचना के प्रारंभ में थे, तब उन पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था. उन्होंने ही सर्वप्रथम गायत्री माता का आह्वान किया, अपने मुख से गायत्री मंत्र की व्याख्या की. इस तरह से गायत्री माता का प्रकाट्य हुआ. गायत्री माता से ही चारों वेद, शास्त्र आदि पैदा हुए.

गायत्री माता का विवाह
कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी को एक यज्ञ में शामिल होना था, लेकिन उस समय उनकी पत्नी सावित्री उनके साथ नहीं थीं. तब उन्होंने गायत्री माता से विवाह कर लिया और यज्ञ में शामिल हुए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब पति और पत्नी साथ में कोई धार्मिक कार्य करते हैं, तो उसका संपूर्ण फल प्राप्त होता है.

गायत्री जयंती पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें।
  • अब मां गायत्री का मनन करते हुए एक चौकी या फिर पूजा घर में ही लाल रंग का साफ वस्त्र बिछा दें
  • अब मां गायत्री की मूर्ति या फिर तस्वीर स्थापित कर दें।
  • अब मां को जल, फूल, माला, सिंदूर, अक्षत चढ़ाएंय़
  • फिर धूप-दीप जलाकर मां का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र का जाप कर लें।
  • अंत में मां गायत्री जी की आरती उतार कर भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। 

गायत्री माता की आरती

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता ।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥ जयति जय गायत्री…

आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री।
दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री॥ जयति जय गायत्री…

ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे।
भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे॥ जयति जय गायत्री…

भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि।
अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी॥ जयति जय गायत्री…

कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता॥ जयति जय गायत्री…

ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे।
कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे॥ जयति जय गायत्री…

स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी॥ जयति जय गायत्री…

जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे॥ जयति जय गायत्री…

स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै।
विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै॥ जयति जय गायत्री…

काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये॥ जयति जय गायत्री…

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥

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