दशहरा या विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।हिंदू धर्म में दशहरा के पर्व का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने अहंकारी रावण का वध किया था। इसके साथ ही इस दिन ही मां दुर्गा नें असुर महिषासुर का भी वध किया था। इस कारण ही इस दिन भगवान राम के साथ मां दुर्गा के भी पूजन का विधान है। इस साल दशहरा 24 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।दशहरा का पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इसी कारण इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है।
दशहरा की तिथि और पूजन मुहूर्त
दशहरा का पर्व नौ दिनों तक मां दुर्गा के नवरात्रि पूजन के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार दशहरा का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाता है।
दशहरा के दिन कई जगहों पर शस्त्र पूजा करने का भी विधान है। दशहरा के दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में की जाती है। ऐसे में दशहरे के दिन यानी 24 अक्टूबर को शस्त्र पूजा का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 02 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
दशहरा का महत्व
रावण के माता सीता का अपहरण करने के बाद रावण और प्रभु श्रीराम के बीच यह युद्ध दस दिनों तक चलता रहा| अंत में आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को भगवान राम ने मां दुर्गा से प्राप्त दिव्यास्त्र की मदद से अहंकारी रावण का अंत कर दिया| रावण की मृत्यु को असत्य पर सत्य और न्याय की जीत के उत्सव के रूप में मनाया जाता है| प्रभु राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी इसलिए यह दिन विजया दशमी कहलाया|
दो शुभ योगों में मनाया जाएगा दशहरा
इस साल दशहरा पर्व पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन रवि योग सुबह 06 बजकर 27 मिनट से दोपहर 03 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शाम 6 बजकर 38 मिनट से 25 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 28 मिनट तक यह योग रहेगा। वहीं, दशहरा पर वृद्धि योग दोपहर 03 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर पूरी रात रहेगा।
शस्त्र पूजन मुहूर्त
दशहरा के दिन कई जगहों पर शस्त्र पूजा करने का भी विधान है। दशहरा के दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में की जाती है। ऐसे में दशहरे के दिन यानी 24 अक्टूबर को शस्त्र पूजा का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 02 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
दशहरा की पूजन परंपरा
दशहरा या विजयदशमी के दिन मान्यता अनुरूप भगवान श्री राम और मां दुर्गा दोनों का ही पूजन किया जाता है। एक और नवरात्रि के पूजन का अतिंम दिन होने के कारण इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। दूसरी ओर भगवान राम की रावण पर विजय को प्रतीकात्मक रूप से मनाते हुए रावण के पुतले का दहन किया जाता है। इस दिन किसान अपनी नई फसल का उत्सव मनाते हैं तो योद्धा अपने अस्त्र-शस्त्र का पूजन करते हैं। पौराणिक काल में राजा दशहरा के दिन पूजन कर युद्ध के अभियान पर निकलते थे। दशहरे के पूजन में शमी की पत्तियों का विशेष महत्व है। पूजा में फूलों के साथ शमी की पत्तियों को जरूर चढ़ाना चाहिए।
विजया दशमी का दिन होता है श्रेष्ठ-
भगवान श्री राम ने अधर्म, अत्याचार और अन्याय के प्रतीक रावण का वध करके पृथ्वीवासियों को भयमुक्त किया था और देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध करके धर्म और सत्य की रक्षा की थी। इस दिन भगवान श्री राम, दुर्गाजी, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और हनुमान जी की आराधना करके सभी के लिए मंगल की कामना की जाती है। समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विजयादशमी पर रामायण पाठ, श्री राम रक्षा स्त्रोत, सुंदरकांड आदि का पाठ किया जाना शुभ माना जाता है।
दशहरा की शस्त्र पूजन की विधि-
इस दिन विजय मुहूर्त में पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रावण को हराने के लिए इसी मुहुर्त में युद्ध का प्रारंभ किया था । क्षत्रिय एंव योद्धा इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं। प्रात: काल उठकर परिवार के सभी सदस्यों को स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए । सभी शस्त्रों को पूजा के लिए निकाल कर साफ कर लें । इन पर गंगाजल छिड़कर पवित्र करें । सभी शस्त्रों पर हल्दी या कुमकुम का तिलकतिलक लगाकर पुष्प अर्पित करें । इस दिन महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करनी चाहिए । इससे सम्पूर्ण बाधाओं का नाश होगा और जीवन में विजय श्री प्राप्त होगी। नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी दशहरे की पूजा अद्भुत मानी जाती है।
दशहरा के दिन करें ये उपाय
– दशहरा के दिन शमी के पेड़ की पूजा करना शुभ माना गया है। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन शमी के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से जीवन में आ रही अड़चन खत्म हो जाती है।
– दशहरा के दिन शस्त्रों की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
– नौकरी में उन्नति के लिए दशहरा के दिन मंत्र ऊँ विजयायै नमः का जाप करें। साथ ही मां दुर्गा को 10 फल अर्पित करें। साथ ही एक झाडू खरीदें और उसे मंदिर में दान करें।
– विजयादशमी के दिन घर में उत्तर-पूर्व दिशा में कुमकुम या लाल रंग के पुष्पों से अष्टकमल की आकृति बनाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।