Durga Asthami 2025:- जाने दुर्गा अष्टमी पर माता रानी की पूजा का मुहूर्त, व्रत कथा, अनुष्ठान, महताव और सारी जानकारी!!

Durga asthami 2025

Durga Asthami 2025:- शारदीय नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी

30 सितंबर, 2025 को शारदीय नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी है। इस दिन देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। यह दिन नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण दिन होता है, और इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, और देवी दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। कन्या पूजन भी इस दिन किया जाता है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनका पूजन किया जाता है।

Durga Asthami 2025:- दुर्गा अष्टमी 2025 के बारे में जानकारी:

तिथि: 30 सितंबर, 2025 (मंगलवार)

शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:03 बजे से 12:53 बजे तक रहेगा।

पर्व: शारदीय नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी

पूजा: देवी महागौरी की पूजा, कन्या पूजन

महत्व: नवरात्रि का आठवां दिन, देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक

व्रत: भक्त उपवास रखते हैं

अनुष्ठान: देवी दुर्गा की विशेष पूजा, आरती, मंत्र जाप, कन्या पूजन

स्थान: घर, मंदिर, पंडाल

Durga Asthami 2025:- दुर्गा अष्टमी की पूजन विधि

इस दिन सुबह उठकर जल्गी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।

मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।

धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।

मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

Durga Asthami 2025:- दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन

नवरात्र पर्व पर दुर्गाष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है। जिसे कंचक भी कहा जाता है। इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि महागौरी की उम्र भी आठ साल की थी। कन्या पूजन से भक्त के पास कभी भी कोई दुख नहीं आता है और मां अपने भक्त पर प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं। दुर्गाष्टमी का महत्व क्या है

Durga Asthami 2025:- दुर्गाष्टमी का महत्व क्या है

दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है। परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ता है और क्लेश दूर होता है। दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करने से मनुष्य को आरोग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, देवी महागौरी अपने भक्तों में शक्ति और सकारात्मक का संचार करती हैं।

Durga Asthami 2025:- महागौरी की व्रत कथा

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा के अनुसार देवी सती ने पार्वती रूप में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह दिया जिससे देवी का मन आहत हो गया और पार्वती जी तपस्या में लीन हो गईं। इस प्रकार वर्षों तक कठोर तपस्या करने के बाद जब पार्वती नहीं आईं तो उनको खोजते हुवे भगवान शिव उनके पास पहुंचे। वहां पहुंचकर मां पार्वती को देखकर भगवान शिव आश्चर्यचकित रह गए। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओझ पूर्ण था, उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत, कुंध के फूल के समान धवल दिखाई पड़ रही थी, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान दिया।

दूसरी कथा के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे उनका शरीर काला पड़ गया। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार कर लेते हैं और शिव जी उनके शरीर को गंगाजल से धोते हैं तब देवी अत्यंत गौर वर्ण की हो जाती हैं और तभी से इनका नाम गौरी पड़ा था। महागौरी रूप में देवी करुनामय स्नेहमय शांत और मृदंग दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हेतु देव और ऋषिगण कहते हैं, “सर्वमंगल मांगलये शिवे सर्वाध्य साधिके शरन्य अम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।”

एक कथा ये भी प्रचलित है कि एक सिंह काफी भूखा था। जब वो भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही थीं। देवी को देखकर सिंह की भूख और बढ़ गई। परन्तु वह देवी की तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमजोर हो गया। देवी जब तप से उठीं तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर दया आ गई और मां उसे अपनी सवारी बना लेती हैं, क्योंकि इस प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल भी है और सिंह भी है।

Durga Asthami 2025:- दुर्गा अष्टमी के दिन जरूर करें ये खास उपाय!!

  • अगर आपकी सुख-समृद्धि को किसी की नजर लग गई है, तो आज दुर्गाष्टमी के दिन देवी दुर्गा को हलवे और उबले चने का भोग लगाएं। साथ ही 6 सफेद कौड़ियां लेकर, उन्हें लाल कपड़े में बांधकर दुर्गा मां के मंदिर में चढ़ाएं अगर आप कौड़ियां ना ले पायें तो 6 कपूर और 36 लौंग लेकर देवी दुर्गा को चढ़ाएं। साथ ही देवी दुर्गा के इस मंत्र का 11 बार जप करें। मन्त्र इस प्रकार है- दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥
  • अगर आप अपनी बिजनेस संबंधी यात्राओं की सफलता सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज आपको स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर माँ दुर्गा की विधिपूर्वक धूप-दीप आदि से पूजा करनी चाहिए और पूजा के समय एक एकाक्षी नारियल लेकर, उस पर सात बार मौली लपेटकर देवी माँ को चढ़ाना चाहिए।
  • अगर आप स्टूडेंट हैं और अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन आपको अपनी मेहनत के अकोर्डिंग रिजल्ट नहीं मिल रहे हैं तो आज दुर्गा मां को पुष्पांजलि देने के बाद 2 कपूर की टिकिया और 12 लौंग चढ़ाएं। साथ ही देवी दुर्गा के इस मंत्र का 11 बार जप करें। मंत्र इस प्रकार है- या देवी सर्व भूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • अगर आप ज्यादा दिनों से किसी स्वास्थ सम्बन्धी समस्या से परेशान है और उससे छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आज आप माँ दुर्गा को एक कपूर और 6 लौंग अर्पित करें। साथ ही दुर्गा जी के इस मंत्र का 21 बार जप करें। मंत्र इस प्रकार है- देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि।।
  • अगर आप अपने जीवन में खूब धन की प्राप्ति करना चाहते हैं, तो आज आप देवी दुर्गा को खोये का भोग लगाये और हाथ जोड़कर देवी माँ को प्रणाम करें। साथ ही दुर्गा जी के इस मंत्र का एक माला यानि 108 बार जप करें। मंत्र इस प्रकार है- सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।

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