बिहार के विश्वप्रसिद्ध लोकपर्व छठ पूजा की तैयारियां दीपावली के साथ ही शुरू हो गई हैं। परदेश में रहने वाले लोग छठ पूजा के लिए बिहार पहुंचने लगे हैं। छठ पूजा का पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है लेकिन इन इलाकों के लोग देशभर जहां भी निवास करते हैँ वहां छट पूजा का उत्सव देखा जा सकता है।
दिवाली के छठवें दिन यानी हिन्दू कैलेंडर (विक्रम संवत्) के कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्टी तिथि को छठ पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस बार छठ पूजा 10 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। यह बिहार के सबसे कठिन व्रतों में से एक है। मान्यता है कि छठ मइया का व्रत रखने वाले व विधि-विधान से पूजा करने वाले दम्पति को संतान सुख मिलता है। साथ ही परिवार सुख-समृद्धि आती है।
छठ पूजा का व्रत सूर्य देव को समर्पित होता है जो मुख्यरूप से तीन दिनों तक चलता है। दिवाली बाद की षष्टी तिथि को सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है।
छठ पूजा 2021 कैलेंडर
09 नवंबर: दिन: मंगलवार: खरना।
10 नंवबर: दिन: बुधवार: छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य।
11 नवंबर: दिन: गुरुवार: उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा समापन।
खरना: छठ पूजा का दूसरा दिन खरना होता है, जो इस वर्ष 09 नवंबर को है। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन होता है। खरना वाले दिन व्रत रखा जाता और रात में खीर खाकर फिर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है। खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है।
छठ पूजा: खरना के अगले दिन छठी मैया और सूर्य देव की पूजा होती है। इस साल छठ पूजा 10 नवंबर को है। छठ पूजा के दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजा समापन: छठ पूजा का समापन अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हो जाता है। 36 घंटे का कठिन व्रत पारण के बाद पूर्ण किया जाता है।
छठ व्रत कथा
प्राचीन समय की बात है एक गॉंव में बुढि़या रहती थी। उसके एक बेटा था बेटा जब बड़ा हुआ तो बुढि़या ने बेटे का विवाह कर दिया । वह बुढि़या छठी माता की भक्त थी और प्रतिवर्ष छठी माता का व्रत पूरी श्रद्धा के अनुसार रखती थी। परन्तु बुढि़या मॉं की बहू नए विचारो वाली व मॉडन होने के कारण वह पूजा-पाठ में बिल्कुल विश्वास नही करती थी।
एक बार बुढि़या अम्मा माता छठी का व्रत खोलने की तैयारी कर रही थी। यह देखकर बुढि़या की बहू उन पर हंसने लगी और कहा अम्मा दुनिया कहा से कहा पहुच गई। लोग आसमान को छू रहे है। और आप आज के समय में भी इती अंधविश्वासी हो। किन्तु बुढिया ने अपनी बहू की बातो को अनसुनी कर दि और वह पूजा की तैयारी करने लग गई। बहू ने फिर से कहा अम्मा ये सब बेकार की बाते है। अगर आप इस उम्र में भुखी रहोगी तो बीमार पढ़ जाओगी।
नई बहू की बाते सुनकर बुढिया मुस्कराई और बोली बहू मेंरी शादी के बाद मेंरे कोई संतान नही हुई। तब मुझे किसी ने यह बताया की मैं छठी माता का व्रत व पूजा करूगी तो मुझे संतान का सुख मिलेगा। जब मैने माता छठी का व्रत करना शुरू किया तो कुछ दिनो के बाद तेरा पति को छठी मैया ने मेरी गोद में डाल दिया। यदि तू भी इस वर्ष छठी माता का व्रत करेगी तो माता तुम्हार पुकार सुनेगी और तुम्हारी गोद भी हरी कर देगी।
किन्तु नऐ विचारो वाली बहू ने बुढिया की बाती नही मानी और बोली मुझे तो सुन्द पति मिल गया और मेरी जिदंगी सुख पूर्वक व्यतीत हो रही है। बुढि़य के लाख समझाने के बाद भी बहू पर कोई असर नहीं हुअ वो नासतिक थी। इतने मैं बुढी अम्मा का बेटा वहा आया और अपनी पत्नी से बाेला तुम्हे पूजा-पाठ नही करनी तो मत करो। किन्तु मेरी मॉं से झगडाे मत और जाकर तैयार हो जाओ छठ माता की पूजा के लिए घाट पर जाना है।
बहू बिना रूचि पूजा के लिए घाट पर चली गई। लेकिन वहा पूजा करने के बजाय वह छठी माता का मेला देखने लगती है। और इधर-उधर घूम कर मेले का आंनद लेती है। कुछ देर बाद उसका पति उसे पूजा के स्थान पर नहीं पाकर वह डूडने लग जाता है। उसे वह हलवाई की दुकानो के पास स्वादिष्ट्र मिठायो का आंनद लेती हुयी नजर आती है। पति उससे जाकर कहता तुम यहा तक आयी हो तो कुछ देर मॉं के साथ पूजा में बैठ जाओ।
बहू बोली नही मैं पूजा पाठ मैं नही बैठूगी मैं तो मेला घूमूगी। आप और आपकी मॉं दोनो ही करो ये पूजा-पाठ। पत्नी की बात सुनकर पति वहा से चला जाता है और स्नान के लिए जैसे की नदी में डूबकी लगाता है। तो वह नदी में डूब जाता है और जोर-जोर से चीखता है तो वहा मौजूद सभी लोग उसकी आवाज सुनकर दौडते है किन्तु इतने में वह डूब जाता है।
जैसे ही बुढिया को पता लगता है की उसका बेटा नदी में डूब गया। वह जोर-जोर से रोने लगती है और माता छठी बोली हे माता मुझ से ऐसी कौनसी गलती हो गई जिसकी इतनी बड़ी सजा दी है। बोलो मा ऐसी क्या गलती हो गई जिसके कारण मेरी गोद सूनी कर दी। यदी आप मुझे अपना पुत्र वापस नही लौटाओगी तो मैं भी इसी नदी में कूदकर जान दे दूगी।
उधर मेले में शोर मचा की घाट पर एक व्यक्ति डूब गया। यह सुनकर बहू दौडती हुयी पूजा के स्थान पर आयी तो देखा की उसकी सासूमां जोर-जोर से पुत्र वियोग में रो रही थी। बहू को सदमा लग जाता है जिसक कारण वह बुढिया से कहती है मैने पहले ही कहा था। छठ पूजा पाठ के चक्कर में मत पढ़ो। और देखो आज मेरी मांग सूनी हो गई।
यह घटना देखकर वहा मौजूद सभी लोग माता छठ से प्रार्थना करते है ”हे मॉं इस बुढिया की पुकार सुन लो, इसे इसका बेटा लौआ दो। छठी मैया तो दयालु है वह अपने भक्तो की बात तुरन्त सुनती है। इधर पुत्र वियोग में बुढिया जैसे ही जान देेने के लिए नदी में कूदने लगती है तबी अचानक नदी में से एक जोरदार लहर आती है। और उसी लहर में से बुढिया का बेटा पानी से बाहर आ जाता है।और वह खड़ा होकर अपनी मॉ के पास आ जाता है। यह दृश्य देखकर छठ घाट पर मौजूद सभी लोगो की आंखे खुली की खुली रह गई।
अपने बेटो को वापस पाकर बुढिया खुशी से रोने लगती है। इतने मैं तेज गर्जना के साथ छठी मैया प्रक्रट हुयी और बोली मै कभी अपने बच्चो व भक्तो का बुरा नही करती। मैं तो तुम्हारे बेटे को नदी में डूबाकर तुम्हारी बहू की आंखो से अज्ञान का पर्दा हटाया है। इसके बाद बुढिया की बहू माता छठी से क्षमा याचना करी और माता ने उसे क्षमा कर दिया। और कहा इस कलियुग में जो कोई पूरी श्रद्धा से मेरा व्रत व पूजा पाठ करेगा उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण होगी।
छठ पूजा के लिए इन चीजों की पड़ती है जरूरत:
प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा, चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी और शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहते हैं, शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई।
छठ पूजा में भूलकर भी न करें ये गलतियां
छठ पूजा बहुत ही पवित्र पूजा होती है. यह दिन छठी माता को प्रसन्न करके उनकी कृपा पाने के लिए होता है. लिहाजा इस दिन ऐसी गलतियां करने से बचना चाहिए, जो अशुभ घटनाओं या अशुभ फल का कारण बनती हैं.
घर में कलह न करें: उस घर में ही हमेश सुख-शांति और समृद्धि रहती है जहां लोग प्रेम से मिल-जुल कर रहते हैं. छठ पूजा के दौरान भूलकर भी घर में झगड़ा करने या अशांति फैलाने से बचें. वरना छठी माता नाराज हो सकती हैं. खासतौर पर व्रती को तो किसी को भी अपशब्द बोलने या बहस करने से बचना ही चाहिए. वरना व्रत का फल नहीं मिलता है.
बेड या चारपाई पर न सोएं: धर्म के मुताबिक व्रती को छठ पूजा के 4 दिनों के दौरान बेड या चारपाई पर सोने से बचना चाहिए.
गंदे हाथों से न बनाएं प्रसाद: छठ पूजा का प्रसाद बेहद शुद्धता और पवित्रता से बनाना चाहिए. प्रसाद की सामग्री को गंदे या जूठे हाथों से नहीं छूना चाहिए. साथ ही जिस जगह पर प्रसाद बनाएं, उस जगह की अच्छी तरह साफ-सफाई कर लें.
तामसिक भोजन न करें: छठ पूजा के दौरान व्रती और पूरे परिवार को तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दौरान ना तो नॉनवेज, प्याज-लहसुन गलती से भी न खाएं.
फल न खाएं: छठी माता को पूजा में कई तरह के फल अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि इस दौरान व्रती को फलों का सेवन नहीं करना चाहिए. पूजा पूरी होने के बाद ही फलों का सेवन करना चाहिए.
शराब न पिएं: छठ पूजा के दौरान गलती से भी शराब न पिएं. ऐसा करना छठी मइया को नाराज कर सकता है और जिंदगी में संकट आ सकते हैं.