Buddha Purnima 2023:- बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाते है ? बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास क्या है ?

buddha purnima 2023

Buddha Purnima 2023 Details:- बुद्ध पूर्णिमा ऐसा त्योहार है जिसे भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है। भारत में इसे वेसाक या विशाखा पूजा से भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह पर्व बहुत विशेष होता है, लेकिन हिंदू धर्म में भी यह दिन बहुत विशेष माना जाता है। गौतम बुद्ध को भगवान श्री विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है और बौद्ध के संस्थापक भी यहीं हैं। इसलिए गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में भी इसे मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष के अप्रैल या मई माह में पूर्णिमा का दिन आता है। कहा जाता है गौतम बुद्ध जी ने जब आत्मज्ञान प्राप्त किया था उसी दिन शरीर त्याग कर वह मानव जीवन से मुक्त हो गए थे।

गौतम बुद्ध का जन्म 562 ई.पू. में हुआ था और इनका नाम सिद्धार्थ रखा गया था। अधिकतर लोगों द्वारा माना जाता है कि नेपाल के लुम्बिनी नामक स्थान पर इनका जन्म हुआ था। सन 483 ई.पू. में भारत के उत्तर प्रदेश में कुशीनगर में इनका देहांत हुआ था। अपने 80 साल के जीवनकाल में इन्होंने बहुत लोगों का उद्धार अपने प्रवचनों द्वारा किया है। सोलह वर्ष की आयु में इनका विवाह भी हो गया था। इन्होंने पूरी माया का त्याग कर वर्षों की कठोर तपस्या से आत्मज्ञान को प्राप्त किया था। गौतम बुद्ध जी को समर्पित इस बुद्ध पूर्णिमा के उत्सव को मनाया जाता है।

Buddha Purnima 2023:- बुद्ध पूर्णिमा का दिन और पूजा मुहूर्त क्या है ?

वर्ष 2023 में 05 मई को शुक्रवार  के दिन बुद्ध पूर्णिमा का पर्व आने वाला है। शुक्रवार  के दिन आने के कारण इस वर्ष का त्योहार बहुत विशेष हो जाता है। इस दिन लोगों द्वारा घरों को फूलों से सजाया जाता है और प्रत्येक कोने में दीपक का प्रकाश बिखरा हुआ होता है। पूर्णिमा आरंभ और समाप्त होने के मध्य काल में की गई पूजा को बहुत शुभ माना जाता है। इसके लिए पूर्णिमा की तिथि का ज्ञात होना अति आवश्यक है।

Buddha Purnima 2023:- बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाते हैं ?

अपने जीवन में बुद्ध भगवान ने जब हिंसा, पाप और मृत्यु के बारे में जाना, तब ही उन्होंने मोह-माया का त्याग कर दिया और अपना परिवार छोड़कर सभी जिम्मेदारियों से मुक्ति ले ली और सत्य की खोज में निकल पड़े। जिसके बाद उन्हें सत्य का ज्ञान हुआ। वैशाख पूर्णिमा की तिथि का भगवान बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं से विशेष संबंध है, इसलिए बौद्ध धर्म में प्रत्येक वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।

Buddha Purnima 2023:- बुद्ध पूर्णिमा का महत्त्व क्या है ?

हिन्दू यानी सनातन धर्म के अनुयाइयों के लिए भी विशेष महत्व रखती है। हिन्दू धर्म के लोग भगवान् बुध को विष्णु जी के अवतार के रूप में पूजते हैं और इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से विष्णु भगवान् और बुध भगवान् की पूजा करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए भी विशेष मायने रखती है और विशेष रूप से बुध भगवान को पूजा जाता है।

हिंदू धर्म प्राचीन पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने वैशाख पूर्णिमा का महत्त्व अपने परम-मित्र सुदामा को उस समय बताया था जब वे द्वारिका नगरी उनसे मिलने पहुंचे थे। भगवान कृष्ण जी के बताने के अनुसार, सुदामाजी ने इस दिन व्रत किया था इससे उनकी दरिद्रता और दुःख दूर हो गए थे. साथ ही उनके जीवन में खुशहाली आई थी। इसके बाद से वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि जिसे बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है उसका महत्त्व और बढ़ गया। हिन्दुओं में इस दिन उपवास करना और विष्णु जी का पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं।

Buddha Purnima 2023:- बुद्ध पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है ?

बुद्ध जयंती मनाने के लिए भक्तों द्वारा बुद्ध पूर्णिमा के कई अनुष्ठानों का पालन और अभ्यास किया जाता है जैसे कि:

  • बुद्ध पूर्णिमा के शुभ दिन, अनुयायी बुद्ध मंदिरों में जाते हैं और भिक्षुओं द्वारा दिए गए धर्मोपदेशों में अपना समय समर्पित करते हैं।
  • कुछ मंदिरों में, गौतम बुद्ध की एक छोटी मूर्ति को बेसिन में रखा जाता है जो पानी से घिरा हुआ होता है। भक्त बुद्ध की मूर्ति पर पानी डालते हैं जो शुरुआत या प्रारम्भ को दर्शाता है।
  • इस सौभाग्यशाली दिन पर अधिकांश बौद्धबुद्ध के पवित्र उपदेशों को सुनते हैं।
  • भक्त मांसाहारी खाद्य उत्पादों का सेवन करने से खुद को रोक लेते हैं और केवल शाकाहारी या सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
  • बौद्ध अनुयायी जरूरतमंदों को भोजन, पैसा और अन्य आवश्यक चीजें भी दान करते हैं।
  • बुद्ध पूर्णिमा के दिन सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से भक्त एक साथ उत्सव का हिस्सा बनने के लिए आते हैं।
  • विहारों (मठों) में ध्यान का अभ्यास भी सबसे आम अनुष्ठानों में से एक है, जिसे भक्तगण वेसक के दिन मनाते हैं।

Buddha Purnima 2023:- बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास क्या है ?

इतिहास के जानकारों के अनुसार, भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी में हुआ था। कपिलवस्तु उस समय  से शाक्य महाजनपद की राजधानी थी। लुम्बिनी वर्तमान में दक्षिण मध्य नेपाल का क्षेत्र है। इसी जगह पर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध के प्रतीक के तौर पर एक स्तम्भ बनवाया था। इतिहासकारों ने ये भी बताया है कि बुद्ध शाक्य गोत्र के थे और उनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था। इनके पिता का नाम शुद्धोधन था, जो शाक्य गण के प्रमुख थे और माता का नाम माया देवी था। सिद्धार्थ के जन्म से 7 दिन बाद ही उनकी माता का निधन हो गया था। इसके बाद सिद्धार्थ की परवरिश उनकी सौतेली मां प्रजापति गौतमी ने किया था।

बुद्ध धर्म के संस्थापक स्वंय महात्मा बुद्ध हैं। उन्होंने वर्षों तक कठोर तपस्या और साधना की, जिसके बाद उन्हें बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई, उनको बुद्धत्व की प्राप्ति हुई। फिर उन्होंने अपने ज्ञान से इसे पूरे संसार को आलोकित किया। अंत में कुशीनगर में वैशाख पूर्णिमा को उनका निधन हो गया।

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