भैया दूज कथा: जानिए यमराज और उनकी बहन यमुना की कहानी !!

Bhaiya_dooj

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस त्योहार को भाई टीका, यम द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन के लिए आये थे। इस बार भाई दूज 6 नवंबर को मनाई जाएगी।

भैयादूज के शुभ मुहूर्त

भाई के तिलक के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 10 मिनट से 9.33 बजे तक शुभ चौघड़िया. दोपहर 12. 19 बजे से शाम 4.27 बजे तक चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया रहेंगे.

भाई-दूज का पर्व भाई-बहन के बीच स्नेह के बंधन को और भी मजबूत करता है. भारतीय परम्परा के अनुसार विवाह के बाद कन्या का अपने घर, मायके में कभी-कभार ही आना होता है. मायके की ओर से भी परिवार के सदस्य कभी-कभार ही उससे मिलने जा पाते हैं. ऐसे में भाई अपनी बहन के प्रति उदासीन न हों, उससे सदा स्नेह बना रहें, बहन के सुख:दुख का पता चलता रहें. भाई अपनी बहनों की उपेक्षा न करें, और दोनों के सम्बन्ध मधुर बने रहें. इन्हीं भावनाओं के साथ भाई दूज का पर्व मनाया जाता है.

भैया-दूज भी हुई हाईटेक भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भैया-दूज भी आधुनिक जमाने के साथ कदम से कदम मिलाते हुए हाईटेक हो गया है. इन दिनों जहां देश-विदेश के विभिन्न स्थानों पर रहने वाले भाई-बहन समय की कमी को महसूस करते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं एसएमएस और ई-मेल के जरिए भी प्यार भरे बधाई संदेश दिए जाते हैं.

भैया दूज पौराणिक कथा:

भैया दूज के संबंध में पौराणिक कथा इस प्रकार से है। सूर्य की पत्नी संज्ञा से 2 संतानें थीं, पुत्र यमराज तथा पुत्री यमुना। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उन्हें ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहाँ से चली गई। छाया को यम और यमुना से अत्यधिक लगाव नही था, किंतु यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं।

यमुना अपने भाई यमराज के यहां प्राय: जाती और उनके सुख-दुख की बातें पूछा करती। तथा यमुना, यमराज को अपने घर पर आने के लिए भी आमंत्रित करतीं, किंतु व्यस्तता तथा अत्यधिक दायित्व के कारण वे उसके घर न जा पाते थे।

एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर अचानक जा पहुंचे। बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। बहन यमुना ने अपने सहोदर भाई का बड़ा आदर-सत्कार किया। विविध व्यंजन बनाकर उन्हें भोजन कराया तथा भाल पर तिलक लगाया। जब वे वहां से चलने लगे, तब उन्होंने यमुना से कोई भी मनोवांछित वर मांगने का अनुरोध किया।

यमुना ने उनके आग्रह को देखकर कहा: भैया! यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रतिवर्ष आप मेरे यहां आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार किया करेंगे। इसी प्रकार जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करे तथा तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाये, उसे आपका भय न रहे। इसी के साथ उन्होंने यह भी वरदान दिया कि यदि इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो वे यमराज के प्रकोप से बच पाएंगे।

यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया। तभी से बहन-भाई का यह त्यौहार मनाया जाने लगा। भैया दूज त्यौहार का मुख्य उद्देश्य है भाई-बहन के मध्य सद्भावना, तथा एक-दूसरे के प्रति निष्कपट प्रेम को प्रोत्साहित करना है। द्वितीया के दिन पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन हो जाता है।

इस दिन अगर अपनी बहन न हो तो ममेरी, फुफेरी या मौसेरी बहनों को उपहार देकर ईश्वर का आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं। जो पुरुष यम द्वितीया को बहन के हाथ का खाना खाता है, उसे धर्म, धन, अर्थ, आयुष्य और विविध प्रकार के सुख मिलते हैं। साथ ही यम द्वितीय के दिन शाम को घर में बत्ती जलाने से पहले घर के बाहर चार बत्तियों से युक्त दीपक जलाकर दीप-दान करना भी फलदायी होता है।

भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj Significance) :

भाईदूज के संबंध में धार्मिक ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो यमुना नदी में स्नान करता है वह अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। अत: इस दिन यमुना तट पर यम की पूजा करने का विधान भी है। माना जाता है कि जो बहन अपने भाई को इस दिन प्रेमपूर्वक भोजन कराती है उन्हें तिलक लगाकर उनकी सुख समृद्धि की कामना करती है वे सदा सौभाग्यवती रहती है। जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाता है उसे यमदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन यमराज की पूजा के साथ चित्रगुप्त भगवान की पूजा भी होती है।

भाईदूज के दिन स्नान कर सूर्यदेव को देना चाहिए अर्घ्य

भाई दूज के दिन सुबह स्नान कर यम देवता, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। – यम की पूजा करते हुए बहन प्रार्थना करें कि हे यमराज, श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें।

भाईदूज के रीतिरिवाज और विधि

हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व बताया गया है. इन पर्व को सही से मनाने के कुछ रीति-रिवाज और विधि हैं. हर त्योहार एक निश्चित पद्धति और रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है. भाईदूज के दिन बहनें भाई को तिलक करती हैं और पूजा की थाली सिंदूर, कुमकुम, चंदन, फल, फूल, मिठाई, सुपारी आदि से सजाती हैं. भाई को तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनाएं. चावल से बनाए गए इस चौक पर भाई को बैठाएं और शुभ मुहूर्त में तिलक करें. भाई को तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें और उसकी आरती उतारें. भाई के तिलक और आरती के बाद भाई बहन को रक्षा का वचन और गिफ्ट दें.

Subscribe to our Newsletter

To Recieve More Such Information Add The Email Address ( We Will Not Spam You)

Share this post with your friends

Leave a Reply

Related Posts

Saraswati avahan 2023

सरस्वती आवाहन 2023:-नवरात्रि में इस विशेष दिन पर किया जाता है सरस्वती माता का पूजन, मिलता है ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद !!

Saraswati Avahan 2023:- देशभर में शारदीय नवरात्रि बड़े ही धूमधाम के साथ मनाये जाते हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में देश के

Tula Sankranti 2023

Tula Sankranti 2023: सूर्य इस दिन करेंगे तुला में प्रवेश,  4 राशि वालों को लाभ, सचेत रहें ये 8 राशियां

Tula Sankranti 2023:- सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना या एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करना संक्रांति (Tula Sankranti 2023)

https://apnepanditji.com/parama-ekadashi-2023/

Parama Ekadashi 2023

About Parama Ekadashi Auspicious time of Parma Ekadashi Importance of Parama Ekadashi Significance of Parma Ekadashi Parma Ekadashi Puja Method Common Acts of Devotion on