Amalaki Ekadashi 2024:- आमलकी एकादशी 2024 कब है ? आमलकी एकादशी पर कर लें ये 5 उपाय, धन प्राप्ति के साथ-साथ कष्टों से मिलेगा छुटकारा !

amalaki ekadashi 2024

Amalaki Ekadashi 2024 Details:- आमलकी एकादशी को वर्ष में आने वाली 24 एकादशियों में सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण एकादशी माना जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी 20 मार्च 2024 को सुबह 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 21 मार्च 2024 को सुबह 2 बजकर 22 मिनट पर खत्म होगी. उदया तिथि के हिसाब से, आमलकी एकादशी का व्रत 20 मार्च को रखा जाएगा  अमलाकी शब्द भारतीय करौदा का प्रतिनिधित्व करता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि आंवले के पेड़ में देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का वास होता है। इस प्रकार, इस प्रकार आंवले के पेड़ को अत्यधिक शुभ माना जाता है। आमलकी एकादशी के पर्व पर लोग इस पेड़ की पूजा करते हैं।

Amalaki Ekadashi 2024:- आमलकी एकादशी पर करें ये 5 उपाय

धन प्राप्ति के लिए उपाय     

इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की विशेष रूप से पूजा का विधान है। मान्यता के अनुसार आमलकी एकादशी के दिन घर में आंवले का वृक्ष लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से कार्यक्षेत्र में बरकत होती है जिससे धन-संपत्ति प्राप्त होने के नए-नए अवसर मिलते है। भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद श्री हरि को एकाक्षी नारियल अर्पित करें व पूजा के बाद इस नारियल को पीले कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें,धन की कमी नहीं होगी।

कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए उपाय

बार-बार प्रयास करने के बाद भी आपका कोई काम नहीं बन पा रहा है तो इस दिन आंवले या आंवले के पेड़ को छूकर प्रणाम करें और उसकी मिट्टी को माथे पर लगाएं और अपना कार्य पूर्ण होने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करें,इससे कार्य में सफलता मिलेगी। 

सुखी दांपत्य के लिए उपाय

यदि पति-पत्नी के बीच बहुत कलह रहती है या किसी भी तरह का मनमुटाव रहता हो तो इस समस्या को दूर करने के लिए आप इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए आंवले के वृक्ष के तने पर सात बार मोली या हल्दी में लपेट कर सूत का धागा लपेटें और इसके बाद घी का दीपक प्रज्वलित कर सुखी दांपत्य के लिए प्रभु से प्रार्थना करें।

कर्ज मुक्ति के लिए उपाय

इस दिन गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’का जप करने से प्राणी पापमुक्त-कर्जमुक्त होकर विष्णुजी की कृपा पाता है।

कष्ट निवारण के लिए उपाय

एकादशी विष्णुप्रिया है इस दिन नाना प्रकार के पुष्पों,ऋतु फल,उत्तम नैवेद्यों,धूपों तथा आरती आदि के द्वारा प्रसन्नता पूर्वक श्री जनार्दन का पूजन करके सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन आंवला, तिल से बनी हुई मिठाइयां एवं फल आदि का दान करना बहुत ही लाभकारी माना गया है।

Amalaki Ekadashi 2024:- एकादशी के दिन करें ये काम-

एकादशी के दिन दान करना उत्तम माना जाता है।

एकादशी के दिन संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए।

विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करना चाहिए।

एकादशी का उपवास रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होने की मान्यता है।

कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Amalaki Ekadashi 2024:- आमलकी एकादशी व्रत विधि

  • व्रत का संकल्प लें और फिर विष्णु जी की आराधना करें।
  • भगवान विष्ण़ु को पीले फूल अर्पित करें।
  • घी में हल्दी मिलाकर भगवान विष्ण़ु का दीपक करें।
  • पीपल के पत्ते पर दूध और केसर से बनी मिठाई रखकर भगवान को चढ़ाएं।
  • एकादशी की शाम तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं।
  • भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी का पूजन करें और गोमती चक्र और पीली कौड़ी भी पूजा में रखें।

Amalaki Ekadashi 2024:- आमलकी एकादशी का महत्व

  • आमलकी एकादशी व्रत के लिए सबसे पवित्र और शुभ दिनों में से एक है। मान्यता के अनुसार, जो लोग एकादशी के दिन व्रत रखते हैं, वे भगवान विष्णु के निवास यानी ‘वैकुंठ’ में पहुंच सकते हैं।
  • इस दिन व्रत का पालन करने का महत्व ब्रह्माण्ड पुराण में बताया गया है और साथ ही संत वाल्मीकि द्वारा भी इसका पाठ किया गया था।
  • आमलकी एकादशी का व्रत रखने से लोग अपने अतीत और वर्तमान पापों से छुटकारा पाते हैं और अपनी मृत्यु के बाद मोक्ष का मार्ग भी प्राप्त करते हैं।
  • लोग अच्छे स्वास्थ्य और प्रचुरता का आशीर्वाद पाने के लिए भी आमलकी वृक्ष की पूजा करते हैं।

Amalaki Ekadashi 2024:- आमलकी एकादशी व्रत की कथा

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। इसके हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है।

आमलकी एकादशी व्रत के पहले दिन व्रती को दशमी की रात्रि में एकादशी व्रत के साथ भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोना चाहिए तथा आमलकी एकादशी के दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष हाथ में तिल, कुश, मुद्रा और जल लेकर संकल्प करें कि मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता एवं मोक्ष की कामना से आमलकी एकादशी का व्रत रखता हूं। मेरा यह व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो इसके लिए श्रीहरि मुझे अपनी शरण में रखें।

तत्पश्चात ‘मम कायिकवाचिकमानसिक सांसर्गिकपातकोपपातकदुरित क्षयपूर्वक श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फल प्राप्तयै श्री परमेश्वरप्रीति कामनायै आमलकी एकादशी व्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र से संकल्प लेने के पश्चात षोड्षोपचार सहित भगवान की पूजा करें।

भगवान की पूजा के पश्चात पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करें। सबसे पहले वृक्ष के चारों की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें।

पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें। इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें। कलश में सुगंधी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें फिर दीप जलाकर रखें। कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप करें और वस्त्र पहनाएं।

अंत में कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करें और विधिवत रूप से परशुरामजी की पूजा करें। रात्रि में भगवत कथा व भजन कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें। द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा दें साथ ही परशुराम की मूर्ति सहित कलश ब्राह्मण को भेंट करें। इन क्रियाओं के पश्चात परायण करके अन्न जल ग्रहण करें।

भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

- ये आपके जन्म के हिसाब से स्पेशल आपके लिए बनाई गई कुंडली है, इस पर किसी भी प्रकार का रिटर्न या रिफंड विकल्प उपलब्ध नहीं है

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