जाने क्या है चंद्रमा के प्रभाव आपकी कुंडली में:-
कुंडली में चंद्रमा की स्थिति और उस पर दूसरे ग्रहों के प्रभावों के आधार पर इस बात की गणना करना बहुत आसान हो जाता है कि, मनुष्य की मानसिक स्थिति कैसी रहेगी। अपने ज्योतिषीय अनुभव में कई बार यह देखा है कि, कुंडली में चंद्र का उच्च या नीच होना व्यक्ति के स्वा्भाव और स्वरूप में साफ दिखाई देता है।
कुछ जन्म कुंडलियां जिनमें चंद्रमा के पीडित या नीच होने पर जातक को कई परेशानियां हो रही थीं-
1- सिर दर्द व मस्तिष्क पीडा– ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में अगर चंद्र 11, 12, 1,2 भाव में नीच का हो और पाप प्रभाव में हो, या सूर्य अथवा राहु के साथ हो तो मस्तिष्क पीडा रहती हैं।
2- डिप्रेशन या तनाव– चंद्र जन्म कुंडली में 6, 8, 12 स्थान में शनि के साथ हो । शनि का प्रभाव दीर्घ अवधी तक फल देने वाला माना जाता हैं, तथा चंद्र और शनि का मिलन उस घातक विष के समान प्रभाव रखने वाला होता हैं जो धीरे धीरे करके मारता हैं। शनि नशो का कारक होता हैं, इन दोनों ग्रहो का अशुभ स्थान पर मिलन परिणाम डिप्रेशन व तनाव उत्पन्न करता हैं।
3- भय व घबराहट– चंद्र व चतुर्थ भाव का मालिक अष्टम स्थान में हो, लग्नेश निर्बल हो तथा चतुर्थ स्थान में मंगल,केतु, व्ययेश, तृतियेश तथा अष्टमेश में से किन्ही दो ग्रह या ज्यादा का प्रभाव चतुर्थ स्थान में हो तो इस भयानक दोष का प्रभाव व्यक्ति को दंश की तरह चुभता रहता हैं। चतुर्थ स्थान हमारी आत्मा या चित का प्रतिनिधित्व करता हैं, ऐसे में इस स्थान के पाप प्रभाव में होने पर उसका प्रभाव सीधे सीधे हमारे मन व आत्मा पर पडता हैं ।
4- मिर्गी के दौरे– चंद्र राहु या केतु के साथ हो तथा लग्न में कोई वक्री ग्रह स्थित हो तो मिर्गी के दौरे पडते हैं।
5- पागलपन या बेहोशी– चतुर्थ भाव का मालिक तथा लग्नेश पीडित हो या पापी ग्रहो के प्रभाव में हो, चंद्रमा सूर्य के निकट हो तो पागलपन या मुर्छा के योग बनते हैं। इस योग में मन व बुद्धि को नियंत्रित करने वाले सभी कारक पीडित होते हैं । चंद्र, लग्न, व चतुर्थेश इन पर पापी प्रभाव का अर्थ हैं व्यक्ति को मानसिक रोग होना। लग्न को सबसे शुभ स्थान माना गया हैं परन्तु इस स्थान में किसी ग्रह के पाप प्रभाव में होने से उस ग्रह के कारक में हानी दोगुणे प्रभाव से होती हैं ।
6- आत्महत्या के प्रयास – अष्टमेश व लग्नेश वक्री या पाप प्रभाव में हो तथा चंद्र के तृतिय स्थान में होने से व्यक्ति बार-बार अपने को हानि पहुंचाने की कोशिश करता हैं । या फिर तृतियेश व लग्नेश शत्रु ग्रह हो, अष्टम स्थान में चंद अष्टथमेश के साथ होतो जन्म कुंडली में आत्म हत्या के योग बनते हैं । कुछ ऐसे ही योग हिटलर की पत्रिका में भी थे जिनकी वजह से उसने आत्मदाह किया।
चंद्र ग्रह किन चीजों के कारक होते हैं
चंद्रमा मन, माता. मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, चित्त की प्रसन्नता, जलाश्य, यात्रा, सुख शंति, धन संपत्ति का शरीर के तरल पदार्थ, रक्त बायीं आँख, छाती, दिमागी परेशानी, महिलाओं में मासिक चक्र इत्यादि का कारक होता है.
चंद्रमा मन का कारक
भारतीय फलित ज्योतिष में चंद्रमा को ही मन का स्वामी इसलिए माना गया है क्योंकि चंद्रमा, जल का स्वामी है, इसलिए जहां कहीं भी जल की अधिकता होगी, उसे चंद्रमा प्रभावित करेगा ही क्योंकि ज्वार-भाटा की घटना से ये साबित है कि चंद्रमा जल को आकर्षित यानी प्रभावित करता है और आधुनिक वैज्ञानिकों ने ही ये भी साबित किया है कि हमारे दिमाग का 80% हिस्सा मूलत: जल है। तो यदि चंद्रमा का प्रभाव समुद्र के जल पर पड़ता है, तो निश्चित रूप से मनुष्य के मन पर भी पड़ना ही चाहिए और यदि चंद्रमा का प्रभाव समुद्र में होने वाले बड़े ज्वार-भाटा का कारण है, तो मनुष्य के मन में होने वाले विचारों के ज्वार-भाटा का कारण भी चंद्रमा ही है। इसलिए कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कुंडली धारक के लिए अति महत्वपूर्ण होती है।
चंद्र कमजोर होने से जीवन में आने लगती हैं ये परेशानियां:
ज्योतिष शास्त्र अनुसार जन्मकुंडली में पीड़ित चंद्रमा के कारण व्यक्ति को मानसिक पीड़ा होती है। इस दौरान व्यक्ति की स्मृति कमज़ोर हो जाती है और उसे डिप्रेशन हो जाता है। साथ ही माता जी को किसी न किसी प्रकार की दिक्कत बनी रहती है। व्यक्ति को जल से भय लगता है। वहीं कई बार जातक इस दौरान आत्महत्या करनी की कोशिश करता है। वहीं चंद्रमा कुंडली में अशुभ होने से खांसी-जुकाम, अस्थमा, आईएलडी आदि सांस या फेफड़ों से संबंधित बीमारियां परेशान करती हैं। वहीं एकाग्रता की कमी, नींद न आना और दिमाग को विचलित करने वाली सभी समस्याओं की वजह भी चंद्र का अशुभ होना ही है।
चंद्र देवता की कृपा दिलाने वाले अचूक उपाय
1. सप्ताह के सात दिनों में सोमवार का दिन चंद्र ग्रह की साधना-आराधना के लिए सुनिश्चित है. सोमवार दिन का नाम भी चंद्रदेव के नाम सोम पर पड़ा है. ऐसे में उनकी शुभता को प्राप्त करने के लिए सोमवार के दिन दूध और गंगाजल से अर्घ्य देते हुए उनका विशेष दर्शन एवं पूजन करना चाहिए.
2. जिस चंद्रमा को भगवान शिव ने अपने सिर पर मुकुट के रूप में धारण कर रखा है, उसकी शुभता को पाने के लिए प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से ‘ॐ सों सोमाय नमः’ मंत्र का कम से कम एक माला जप अवश्य करना चाहिए.
3. कुंडली में चंद्रमा की शुभता को पाने के लिए सोमवार का व्रत भी प्रभावी उपाय है. सोमवार का विधि-विधान से व्रत करने पर न सिर्फ चंद्र देवता बल्कि भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है. यदि आप प्रत्येक सप्ताह सोमवार का व्रत न रख सकें तो आप माह में कम से कम एक बार पूर्णिमा का व्रत करके भी चंद्र ग्रह की शुभता को प्राप्त कर सकते हैं.
4. चंद्र देवता की पूजा, जप आदि की तरह उनसे संबंधित चीजों के दान भी महत्व है. ऐसे में कुंडली में चंद्र ग्रह को मजबूत करके उसकी शुभता को पाने के लिए सोमवार के दिन शाम के समय किसी जरूरतमंद को चावल, दूध, चांदी, मोती, दही, मिश्री, सफेद कपड़े, सफेद फूल, सफेद चंदन आदि का दान जरूर करें.
5. ज्योतिष में किसी भी ग्रह की शुभता को पाने के लिए जप, तप और व्रत के साथ रत्न को भी प्रभावी उपाय माना गया है. ज्योतिष के अनुसार कुंडली में चंद्रमा को मजबूत बनाकर उसके शुभ फल पाने के लिए किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर विधि-विधान से मोती रत्न को चांदी की अंगूठी या लाकेट आदि में जड़वाकर धारण करना चाहिए.
चंद्र के दान
चंद्र वंशपात्र, चावल, श्वेत वस्त्र, श्वेत चंदन, चीनी, रजत, वृषभ, घृत, शंख, दधि, मोती, कपूर का दान करना चाहिए। इसके लिए 11 हजार मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र है ऊं श्रां श्रीं श्रूं स: चंद्राय स्वाहा: ।
1.चंद्र देवता की कृपा पाने के लिए दूध में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। शिव की उपासना से चंद्र देवता से संबंधी दोष दूर हो जाते हैं और उनकी कृपा मिलने लगती है।
2.सोमवार के दिन चंद्र कृपा पाने के लिए चांदी के किसी पात्र में गंगाजल, दूध, चावल और बताशा या चीनी डालकर सूर्यास्त के बाद चंद्रमा को अघ्र्य दें।
3.चंद्र की कृपा पाने के लिए सोमवार के दिन दूध और चावल की खीर बनाकर गरीब, असहाय लोगों में दान करें।
4.सोमवार या पूर्णिमा के दिन दूध, चावल, सफेद कपड़े, चीनी, सफेद चंदन और दही का दान करने से चंद्र कृपा प्राप्त होती है।
चंद्रमा का रत्न
मोती चंद्रमा का रत्न है। यह चिकना, चमकदार और दुधिया रंग का होता है। अगर कोई व्यक्ति इस रत्न को धारण करता है तो बेहद फलदायी होता है। जातक की कुंडली में अगर चंद्र का शुभ प्रभाव हो तो मोति को अवश्य धारण करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्र मनुष्य के मन को दर्शाता है। साथ ही चंद्र का प्रभाव पूरी तरह से मनुष्य की सोच पर पड़ता है। अगर आप मन की स्थिरता को बनाए रखना चाहते हैं तो यह मोती धारण करना आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। इस रत्न को अगर जातक धारण करता है तो मां के परिवार से अच्छे संबंध रहते हैं। वहीं, लाभ भी मिलता है। इससे आत्मविश्वास में वृद्धि भी होती है। साथ ही यह मोती ब्लड प्रेशर, शुगर, मूत्राशय के रोग आदि को भी नियंत्रित करता है।
चंद्रमा का उपरत्न
चंद्र देव का प्रिय रत्न मोती है और उपरत्न चंद्रमणि अर्थात मून स्टोन है। कुंडली में ग्रहों की अशुभता के कारण जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिस जातक की कुंडली चन्द्र देव की अशुभता के कारण पीड़ित है ऐसे जातक को चन्द्र देव की इस पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए मून स्टोन अवश्य धारण करना चाहिए। मून स्टोन मानसिक संतुलन प्रदान करता है। ये रत्न धारण करने से मानसिक तनाव और बेचैनी जैसे समस्याएं दूर होती हैं, यानि की मून स्टोन रत्न मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। अगर आपको भी मानसिक शांति चाहिए तो अभी मून स्टोन रत्नर धारण करें। व्यवसाय अथवा कामकाज में बार-बार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हो या किसी कारण वश काम बिगड़ने लगे, आशा अनुरूप फल प्राप्त नहीं हो रहे तो कामकाज में सफलता प्राप्त करने के लिए मून स्टोन रत्नर अवश्य धारण करें। मून स्टोन एक ऐसा रत्न है जो आपके अंदर छुपी कला को बाहर निकालने में हमारी मदद करता है। जो लोक कला के क्षेत्र में बेहतर करने की इच्छा रखते है परन्तु कोई न कोई समस्या आकर खड़ी हो जाती है और वह अपनी कला का प्रदर्शन नहीं कर पाते ऐसे लोगों के लिए मून स्टोन धारण करना सबसे बेहतर होता है।