कब है शारदीय नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी, मां भगवती की कृपा पाने के लिए इस दिन जरूर करें ये काम !!

durga

Durga Ashtami 2022 : इस समय नवरात्रि के पावन दिन दिन चल रहे हैं। हर साल की तरह इस साल भी चैत्र नवरात्रि का ये पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है और सारा वातावरण भक्तिमय हो गया है। वैसे तो नवरात्रि में हर दिन महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन अष्टमी तिथि का विशेष महत्व माना गया है। नवरात्रि में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को महाअष्टमी कहा जाता है। भक्त बहुत ही भक्तिभाव व हर्षोल्लास के साथ महाअष्टमी मनाते हैं। कई लोग इस दिन कन्याओं का पूजन करते हैं और उन्हें खाना खिलाते हैं। इस साल 03 अक्टूबर को चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि है।

कब है दु्र्गा अष्टमी ?

शारदीय नवरात्रि में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. कई जगहों पर लोग अष्टमी तिथि पर ही कन्या पूजन करते हैं. इस बार महाअष्टमी 3 अक्टूबर दिन सोमवार को पड़ रही है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रविवार, 2 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 47 मिनट से लेकर अगले दिन सोमवार, 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के कारण अष्टमी का व्रत अक्टूबर को ही रखा जाएगा.

महा अष्टमी पूजा का महत्व

शादी-विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि महागौरी की पूजा से दांपत्य जीवन सुखद बना रहता है। साथ ही पारिवारिक कलह क्लेश भी खत्म हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए देवी महागौरी की ही पूजा की थी। 

जरूर करें ये काम

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन को बहुत महत्व दिया गया है। ऐसे में इस दिन 9 कन्याओं के पूजन और उन्हें हलवा-पूड़ी, चने का भोजन कराकर भेंट दें। मान्यता है कि इससे माता रानी प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

महागौरी की कृपा पाने के लिए दुर्गा अष्टमी के दिन पर माता रानी को लाल रंग की चुनरी में कुछ सिक्के और बताशे रखकर उढ़ाएं। ऐसा करने से मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होने की मान्यता है।

जीवन में कष्टों से मुक्ति पाने के लिए दुर्गा अष्टमी के दिन महागौरी माता का ध्यान करें और ‘श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा’ मंत्र का जाप करें।

दुर्गा अष्टमी तिथि के दिन महागौरी मां को श्रीफल का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है। इसके लिए अष्टमी तिथि पर पूजा में नारियल या नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाएं। फिर भोग लगाने के बाद उस नारियल और मिठाई को प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांट दें।

नवरात्रि पर मां दु्र्गा की पूजा के दौरान करें इन नियमों का पालन

– नवरात्रि के पूरे दिन व्रत रखना चाहिए। अगर आप किसी कारण से पूरे 9 दिनों तक व्रत नहीं रख सकते तो पहले, चौथे और आठवें दिन व्रत जरूर रखें।
– घर पर नौ दिनों तक मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योति जरूर रखें।
– नवरात्रि पर देवी दुर्गा की प्रतिमा के साथ, मां लक्ष्मी और देवी सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित कर 9 दिनों तक पूजन करें।
– मां दु्र्गा को 9 दिनों तक अलग-अलग दिन के हिसाब से भोग जरूर लगाएं। इसके अलावा मां को प्रतिदिन लौंग और बताशे का भोग अर्पित करें।
– दु्र्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।
– पूजा में मां को लाल वस्त्र और फूल चढ़ाएं।

दुर्गाष्टमी पूजन विधि 

दुर्गाष्टमी के दिन प्रातःकाल उठकर घर और पूजा स्थल की सफाई करें. उसके बाद स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण करें. अब लकड़ी की चौकी पर लाल आसन बिछाएं. इस पर मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा रखें. अब मां दुर्गा को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं और श्रृंगार का सामान अर्पित करें. उनके समक्ष धूप, दीप प्रज्वलित करें तथा कुमकुम, अक्षत, मौली, लाल पुष्प, लौंग, कपूर आदि अर्पित करते हुए विधि पूर्वक पूजन करें. उन्हें पान, सुपारी और इलायची, फल और मिष्ठान अर्पित करें. पूजन के दौरान मां दुर्गा का स्मरण करें और दुर्गा चालीसा पाठ करें. मां दु्र्गा के पूजन के बाद मां दुर्गा की आरती करें और पूजन में हुई भूल के लिए क्षमा मांगें.

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार, एक राक्षस था जिसका नाम दुर्गम था। इस क्रूर राक्षस ने तीनों लोकों पर अत्याचार किया हुआ था। सभी इससे बेहद परेशान थे। दुर्गम के आतंक से सभी देवगण स्वर्ग छोड़ कैलाश चले गए थे। कोई भी देवता इस राक्षस का अंत नहीं कर पा रहा था। क्योंकि इसे वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर पाएगा। ऐसे में इस परेशानी का हल निकालने के लिए सभी देवता ने भगवान शिव के पास विनती करने पहुंचे और उनके इसका हल निकालने के लिए कहा।

दुर्गम राक्षस का वध करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाया और ऐसे दुर्गा मां का जन्म हुआ। यह तिथि शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। मां दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया। मां दुर्गा ने दुर्गम के साथ युद्ध की घोषणा कर दी। मां ने दुर्गम का वध कर दिया। इसके बाद से ही दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई। तब से ही दुर्गाष्टमी की पूजा करने का विधान है। इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती है।

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