हिंदू धर्म में धनतेरस और दिवाली पर्व का खास महत्व है। हर कोई सालभर इस त्योहार का इंतजार करता है। व्यापारी वर्ग के लिए धनतेरस और दिवाली साल का सबसे बड़ा त्योहार होता है। इस दौरान कामकाज अच्छा चलता है और मां लक्ष्मी की कृपा बसरती है। दिवाली से पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है धनतेरस
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है। यह कहावत आज भी प्रचलित है कि ‘पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया’ इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है। जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है।
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
धनतेरस तिथि व शुभ मुहूर्त
धनतेरस इस साल 2 नवंबर 2021 दिन मंगलवार को है. 2 नवंबर को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 37 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक का है। वहीं वृषभ काल शाम 6.18 मिनट से रात 8.14 मिनट तक रहेगा। धनतेरस पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6.18 मिनट से रात 8.11 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस पर किन चीजों की खरीदी करना “ शुभ” होता है.
ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोने-चांदी और घर के बर्तनों की खरीदारी करना सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन की गई खरीदारी आपको बहुत लाभ पहुंचा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस पर कुछ चीजें ऐसी है जिन्हें खरीदने पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर में धन की कोई कमी नहीं होती है। तो आइए जानते हैं धनतेरस पर क्या खरीदने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पीतल
सोने-चांदी के सिक्के नहीं खरीद सकते वे लोगों आज पीतल का कोई बर्तन खरीदें और उसमें कुछ मीठा या चावल के दाने डालकर लाइये। आज घर में किसी चीज़ से भरा हुआ पीतल का बर्तन लाना बड़ा ही अच्छा माना जाता है । दरअसल इसके पीछे एक मान्यता छुपी हुई है। समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान धन्वन्तरि का अवतरण हुआ था, तब वो अपने दो बायें हाथों में से एक में अमृत से भरा पीतल का कलश लिये हुए थे और उनके बाकी हाथों में शंख, चक्र और औषधी विद्यमान थी, लिहाजा आज पीतल का बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ होता है।
झाड़ू
झाड़ू को मां लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन झाड़ू को घर लाने से स्वयं मां लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है। झाड़ू से हम अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और घर का सारी नकारात्मकता दूर करते हैं। यही कारण है कि झाड़ू का महत्व बेहद ही खास माना जाता है।
अक्षत
धनतेरस के दिन अक्षत यानी चावल को भी घर लाना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि अन्न में चावल यानी कि अक्षत को सबसे शुभ माना जाता है। अक्षत का मतलब होता है धन संपत्ति में अनंत वृद्धि। इसलिए धनतेरस के दिन अक्षत लाने से आपके धन में वृद्धि होती है।
सोने-चांदी के सिक्के
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार मां लक्ष्मी की कृपा से अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिये और अपने बिजनेस में पैसों की आवाजाही को बढ़ाने के लिये आज धनतेरस को लक्ष्मी-गणेश जी का चित्र बना हुआ सोने या चांदी का सिक्का लाकर, उसे संभालकर अपने पास रखना चाहिए और दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा के समय इसे लकड़ी के पाटे पर स्थापित करके इसकी विधि-पूर्वक पूजा करनी चाहिए और बाद में इसे अपने घर या ऑफिस की तिजोरी या मन्दिर में स्थापित करना चाहिए। इससे आपके घर और बिजनेस की आर्थिक स्थिति अच्छी होगी और आपको लाभ ही लाभ मिलेंगे । मिट्टी से बने लक्ष्मी-गणेश जी खरीदना भी बड़ा ही शुभ होता है।
धनिया
धनतेरस के दिन धनिया खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन धनिया लाकर मां लक्ष्मी को अर्पित करनी चाहिए और इसेमें से कुछ दाने गमले में भी बो देने चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इसको बोने पर अगर धनिया के पौधे निकलते हैं तो पूरी साल आपके घर समृद्धि बनी रहती है।
धनतेरस (Dhanteras) के दिन खरीदारी करने से पूरे साल घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है लेकिन गलत चीजें खरीदने से फायदे की जगह नुकसान होता है. लिहाजा जान लें कि धनतेरस पर किन चीजों की खरीदी करना अशुभ होता है.
स्टील और प्लास्टिक की चीजें:
आमतौर पर धनतेरस के दिन लोग बर्तन खरीदते हैं. इस दिन तांबे-पीतल, चांदी जैसी शुद्ध धातुओं के बर्तन खरीदना शुभ होता है लेकिन स्टील के बर्तन या प्लास्टिक की चीजें खरीदना बेहद अशुभ होता है. ऐसा करने से जिंदगी कई मुसीबतों से घिर सकती है. इस दिन शुद्ध धातु के बर्तन की खरीदी करने पर उसे घर में लाते समय याद रखें कि उसमें चावल या पानी भर लें. इस दिन घर में खाली बर्तन लाना अशुभ होता है.
एल्यूमिनियम और लोहे की चीजें:
इसी तरह धनतेरस के दिन एल्यूमीनियम खरीदना बहुत बड़े संकट का कारण बन सकता है. ज्योतिष-वास्तु में एल्यूमिनियम को दुर्भाग्य का प्रतीक माना गया है क्योंकि इस पर राहु का प्रभाव अधिक होता है. इसी तरह लोहा शनि देव से संबंधित है, लिहाजा धनतेरस पर लोहे की कोई चीज न खरीदें. इस धन हानि होती है.
नुकीली चीजें:
धनतेरस के दिन नुकीली या धारदार चीजें नहीं खरीदना चाहिए. यहां तक कि इस दिन सुई भी न खरीदें. ये घर में अशांति-कलह का कारण बनती हैं.
चीनी मिट्टी या कांच के बर्तन:
धनतेरस पर चीनी मिट्टी या कांच से बनी चीजें भी न खरीदें. इनका संबंध भी राहु से होता है. हो सके तो धनतेरस के दिन इन चीजों का इस्तेमाल भी न करें.
कांच के बर्तन:
धनतेरस पर कुछ लोग कांच के बर्तन या दूसरी चीजें खरीदते हैं. कांच का संबंध राहु से माना जाता है, इसलिए धनतेरस के दिन इसे खरीदने से बचना चाहिए. इस दिन कांच की चीजों का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए.
काले रंग की चीजें: धनतेरस के दिन कोई भी काले रंग की चीज घर में न लाएं. यह भी बहुत अशुभ होता है. इसके अलावा घर में ऐसी कोई चीज लाने से भी बचें जो मिलावटी हो. भले ही वह घी-तेल ही क्यों न हो. इनकी खरीदारी धनतेरस से पहले या बाद में कर लें.
धनतेरस का प्राचीन महत्व
प्राचीन कथाओं में ऐसा बताया जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन किया जा रहा था। उस समय कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ। भगवान धन्वंतरि आरोग्य और धन-धान्य देने वाले माने जाते हैं। इस विशेष दिन पर उनके प्रकट होने की वजह से ही इस दिन को धनतेरस कहा जाता है। जहां धन का अभिप्राय भगवान धन्वंतरी और तेरस का मतलब त्रयोदशी से है।
ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की उपासना करता है उसके घर में हमेशा के लिए धन-धान्य की वर्षा होती है। माना जाता है कि ऐसे व्यक्ति के पास दूर-दूर तक दरिद्रता नहीं आती है। कहते हैं कि धनतेरस की पूजा करने वाला व्यक्ति जिस भी दिशा में जाता है चारों ओर उसे यश, वैभव और कीर्ति की प्राप्ति होती है।
बताया जाता है कि जो लोग अक्सर बीमार रहते हैं उन्हें धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की उपासना जरूर करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि की आराधना करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं और व्यक्ति आरोग्यता को प्राप्त करता है। प्राचीन कथाओं से लेकर वेद पुराणों में भी इस दिन की बहुत महिमा गाई गई है। बताते हैं कि जो व्यक्ति इस दिन भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न कर लेता है उसके जीवन में कभी पैसों का अभाव नहीं रहता है।
धनतेरस की पूजा विधि
- सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
- अब गंगाजल छिड़ककर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
- भगवान के सामने देसी घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं।
- अब देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें।
- अब आपने इस दिन जिस भी धातु, बर्तन या ज्वेलरी की खरीदारी की है, उसे चौकी पर रखें।
- लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें।
- धनतेरस की पूजा के दौरान मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें और मिठाई का भोग भी लगाएं।
देश के अधिकांश भागों में ‘यम’ के नाम पर दीपदान की परंपरा है। दीपावली के दो दिन पूर्व धन्वंतरि-त्रयोदशी के सायंकाल मिट्टी का कोरा दीपक लेते हैं। उसमें तिल का तेल डालकर नवीन रूई की बत्ती रखते हैं और फिर उसे प्रकाशित कर, दक्षिण की तरह मुंह करके मृत्यु के देवता यम को समर्पित करते हैं। तत्पश्चात इसे दरवाजे के बगल में अनाज की ढेरी पर रख देते हैं। प्रयास यह रहता है कि यह रातभर जलता रहे, बुझे नहीं।