Holika Dahan 2026:- हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से है होली जिसे रंगों और खुशियों का त्योहार माना जाता है। मान्यता है कि होली का त्योहार भगवान कृष्ण को बेहद प्रिय था जिस वजह से ब्रज क्षेत्र में होली की धूम देखते ही बनती है। 2026 में होली मार्च के पहले हफ्ते में आएगी और इससे एक दिन पहले यानी फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि पर होलिका दहन या छोटी होली मनाई जाएगी।
Holika Dahan 2026:- होलिका दहन 2026 कब है
प्रचलित रिवाजों के अनुसार, होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. इसे ‘होली की रात’ भी कहते हैं. यह पर्व बुराई की अग्नि में समाप्ति और अच्छाई की जीत का प्रतीक है. लोग घरों और गांवों में बड़ी आग जलाते हैं, जिसे होलिका कहते हैं. इस दिन को छोटी होली भी कहते हैं.
होलिका दहन 2026 मुहूर्त: द्रिक पंचांग के अनुसार, साल 2026 में होलिका दहन मंगलवार, 3 मार्च को होगा. होलिका जलाने का शुभ मुहूर्त शाम में 06:22 PM बजे से 08:50 PM बजे तक रहेग यानी इस अनुष्ठान के लिए लोगों के पास कुल अवधि 2 घंटे 28 मिनट की होगी.
Holika Dahan 2026:- होलिका दहन की पूजन विधि
- होलिका दहन के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा धो लें। व्रत का संकल्प लेने के बाद होलिका दहन की तैयारी करें। जिस जगह पर होलिका दहन करना हो, उस जगह को साफ कर लें।
- यहां होलिका दहन की सारी सामग्री इकट्ठा कर लें। इसके बाद होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाकर भगवान नरसिंह की पूजा करें। शुभ मुहूर्त के दौरान होलिका की पूजा करें और उसमें अग्नि दें।
- इसके बाद परिवार के साथ होलिका की तीन बार परिक्रमा कर लें। फिर नरसिंह भगवान से प्रार्थना करते हुए होलिका की आग में गेहूं, चने की बालियां, जौ, गोबर के उपले आदि डालें। इसके बाद होलिका की आग में गुलाल और जल चढ़ाएं।
- होलिका की आग शांत होने के बाद उसकी राख को घर ले जाएं। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- अगर आपके घर में वास्तु दोष है तो होलिका की राख को दक्षिण पूर्व दिशा (आग्नेय कोण) में रखें। इससे घर का वास्तु दोष दूर होता है। होलिका दहन की ज्वाला देखने के बाद ही भोजन करें।
Holika Dahan 2026:- होलिका दहन की पूजन सामग्री
हवन सामग्री, गुड़, रोली, अखंडित चावल, बताशा, हल्दी, मिठाई, फल, गेहूं का आटा, पुष्प माला, देसी गाय का घी, सरसों का तेल, मिट्टी का दीपक, गाय के गोबर के उपले आदि।
Holika Dahan 2026:- होलिका दहन का महत्व क्या है?
होलिका दहन उत्सव के दौरान, लोग आग में उबटन फेंकते हैं जो एक प्रकार का पेस्ट होता है. ऐसा माना जाता है कि यह लोगों को साल भर रोग मुक्त रखता है और फिर होलिका की राख का उपयोग माथे पर तिलक लगाने के लिए किया जाता है और फिर निश्चित रूप से अगले दिन के भव्य समारोह की तैयारी की जाती है. ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन की अग्नि नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है. होली एक ऐसा पर्व है जो लोगों को भेदभाव को भुलाकर प्रेम और सौहार्द्र को बढ़ावा देने का संदेश देती है.
Holika Dahan 2025:- होलिका दहन क्यों मनाया जाता है?
होलिका दहन की परंपरा भक्त प्रह्लाद और उसके दुष्ट पिता राजा हिरण्यकशिपु से जुड़ी हुई है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु का कट्टर शत्रु था, जबकि उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु का अनन्य भक्त था. हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र को विष्णु की भक्ति से विमुख करने के लिए अनेक प्रयास किए, लेकिन जब वह असफल रहा, तो उसने अपनी बहन होलिका की सहायता ली. होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जल सकती. उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में प्रवेश किया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका जलकर भस्म हो गई. इसी घटना की स्मृति में प्रतिवर्ष होलिका दहन का आयोजन किया जाता है.
Holika Dahan 2025:- होलिका दहन के दिन करें ये अचुक उपाय!!
कैसे करें ये उपाय
होलिका दहन से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. मन में सफलता प्राप्ति के लिए संकल्प लें.अग्नि जलने के बाद, होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा करें और प्रत्येक परिक्रमा के साथ अपनी इच्छाओं को प्रकट करें. पहले नारियल, फिर पान और अंत में सुपारी अग्नि में अर्पित करें और भगवान से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें. होलिका दहन के बाद प्रसाद ग्रहण करें और अपने परिवार के साथ इसे साझा करें.
उपाय से मिलने वाले लाभ
नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों का नाश होता है. आत्मविश्वास बढ़ता है और मानसिक शांति मिलती है. आर्थिक और व्यावसायिक सफलता प्राप्त होती है. पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. करियर और शिक्षा में प्रगति होती है.





