Jaya Ekadashi 2026:- जाने कब और क्यों मनायी जाती है जया एकादशी, क्या है शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, महत्व और अचुक उपाय!!

Jaya Ekadashi 2026

Jaya Ekadashi 2026:- जया एकादशी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पुण्यदायी व्रत है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली यह एकादशी न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि भक्तों को उनके पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का अवसर भी प्रदान करती है। वर्ष 2026 में यह पावन पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना, व्रत और कथा पाठ के माध्यम से अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भरने का प्रयास करते हैं।

इस लेख में, हम Jaya Ekadashi 2026 की महिमा, व्रत की विधि, कथा, और इसके आध्यात्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे। हमारा उद्देश्य आपको इस पवित्र दिन के बारे में प्रेरणादायक और उपयोगी जानकारी प्रदान करना है, ताकि आप इस व्रत को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ कर सकें। आइए, इस आध्यात्मिक यात्रा को शुरू करें और जानें कि Jaya Ekadashi Vrat कैसे आपके जीवन को बदल सकता है।

Jaya Ekadashi 2026:- जया एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त 2026

 जैसा कि आपने 2026 के लिए जया एकादशी की जानकारी मांगी है, यहाँ अपडेटेड विवरण दिया गया है। आपकी दी गई 2022 की जानकारी के अनुसार, जया एकादशी माघ मास के शुक्ल पक्ष में आती है। 2026 में, जया एकादशी 25 जनवरी, रविवार को पड़ेगी।

यहाँ 2026 के लिए जया एकादशी से संबंधित शुभ मुहूर्त दिए गए हैं:

जया एकादशी तिथि: 25 जनवरी 2026, रविवार

एकादशी तिथि प्रारंभ: 24 जनवरी 2026 को रात 10:25 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 25 जनवरी 2026 को रात 11:27 बजे

सूर्य उदय (25 जनवरी 2026): सुबह 07:12 बजे (यह आपके स्थान के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है)

सूर्यास्त (25 जनवरी 2026): शाम 06:05 बजे (यह आपके स्थान के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है)

पारणा मुहूर्त (व्रत तोड़ने का समय) – 26 जनवरी 2026: सुबह 07:12 बजे से सुबह 09:20 बजे तक

Jaya Ekadashi 2026:- जया एकादशी के अनुष्ठान क्या हैं?

जया एकादशी का व्रत एकादशी की सुबह से शुरू होता है और ‘द्वादशी’ के सूर्योदय के बाद संपन्न होता है। ऐसे कई भक्त हैं जो सूर्यास्त से पहले ‘सात्विक भोजन’ का सेवन करके, दसवें दिन से अपना उपवास शुरू करते हैं। इस दिन किसी भी प्रकार के अनाज, दाल, और चावल का सेवन करना निषिद्ध है।

भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं और स्नान करने के बाद, पूजा करते हैं और ब्रह्म मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। सुबह की रस्में पूरी होने के बाद, भक्त माता एकादशी की पूजा करते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं।

देवताओं को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए एक विशेष भोग तैयार किया जाता है। इस दिन भक्ति गीतों के साथ-साथ वैदिक मंत्रों का पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

भक्तों को जरुरतमंद, गरीबों की भी मदद करनी चाहिए क्योंकि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अत्यधिक फलदायक साबित हो सकता है। श्रद्धालु अपनी क्षमता के अनुसार कपड़े, धन, भोजन और कई अन्य आवश्यक चीजें दान कर सकते हैं।

Jaya Ekadashi 2026:- जया एकादशी की व्रत कथा क्या है?

किंवदंती और हिंदू शास्त्रों के अनुसार, बहुत पहले, नंदनवन में एक उत्सव आयोजित किया गया था, जहां कई संत, देवता, और देवगण मौजूद थे। महोत्सव में गंधर्व गा रहे थे और गंधर्व कन्याएँ नृत्य कर रही थीं। माल्यवन नाम का एक गंधर्व था जो उन सब के बीच सबसे अच्छा गायक था। गंधर्व नर्तकियों में पुष्यवती नाम की एक कन्या थी जो माल्यवान को देखती थी और अपना ध्यान खो देती थी।

जब माल्यवान ने भी पुष्यवती के नृत्य को देखा, तो उन्होंने भी अपने गायन से अपनी एकाग्रता खो दी और इस तरह ताल खो दिया। यह देखकर भगवान इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने दोनों को शाप दे दिया कि अब वे पिशाचों का जीवन व्यतीत करेंगे और उन्हें स्वर्ग छोड़ना होगा। शाप के प्रभाव के कारण, दोनों पृथ्वी पर आ गिरे और हिमालय पर्वत के पास के जंगलों में रहने लगे।

वे कठिनाइयों से भरा जीवन जी रहे थे और इस प्रकार उन्होंने जो किया, उसके लिए वे दुःखी थे। माघ महीने के दौरान शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था और उन्होंने केवल एक बार भोजन किया था। उस रात जीवित रहने के लिए बहुत ठंडी थी, और वे पूरी रात जागकर अपने कार्यों के लिए पश्चाताप कर रहे थे। सुबह तक दोनों की मृत्यु हो गई। अनजाने में उन्होंने भगवान का नाम लेने के साथ एकादशी का व्रत भी रखा था, इस प्रकार, परिणामस्वरूप, उन्होंने स्वयं को स्वर्ग में पाया।

भगवान इंद्र उन्हें स्वर्ग में देखकर बहुत चकित हुए और उनसे पूछा कि वे श्राप के प्रभाव से कैसे मुक्त हुए। इसके लिए, उन्होंने पूरे परिदृश्य का वर्णन किया और कहा कि भगवान विष्णु उनसे प्रसन्न थे क्योंकि उन्होंने एकादशी का व्रत रखा था। और भगवान विष्णु की दिव्य कृपा से, वे अभिशाप से मुक्त हो गए थे और उस समय अवधि के बाद से, इस दिन को जया एकादशी के रूप में मनाया जाता है।

Jaya Ekadashi 2026:- जया एकादशी का महत्व क्या है?

‘पद्म पुराण’ में श्री कृष्ण कहते हैं माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को “जया एकादशी” कहा जाता है. यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है और इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच आदि योनि से मुक्ति मिल जाती है. भगवान श्री कृष्ण ने इस संदर्भ में युधिष्ठिर को एक कथा भी सुनाई थी.

Jaya Ekadashi 2026:- जया एकादशी के अचुक उपाय

मनोकामना पूर्ति हेतु

जया एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें। फिर एक लाल धागा लें और उसमें 108 गांठ लगाकर उसे तुलसी के पौधे में बांध दें। इसके बाद देवी की विधिवत पूजा-अर्चना करें। मंत्रों का जाप करें। आरती से पूजा का समापन करें। कहते हैं कि इस उपाय को करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी। इसके साथ ही व्यक्ति की सभी समस्याओं का अंत होगा।

धन की कमी होगी दूर

जिन लोगों को लगातार धन से जुड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें जया एकादशी के साथ-साथ प्रतिदिन भी मां तुलसी की उपासना शुरू कर देनी चाहिए। रोजाना उन्हें जल चढ़ाना चाहिए। साथ ही शाम के समय उनके सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। कहा जाता है कि इस उपाय को करने से मां लक्ष्मी खुश होती हैं और घर में सदैव के लिए स्थिर होकर विराजमान हो जाती हैं।

मां तुलसी होंगी प्रसन्न

जया एकादशी पर करें इस मंत्र ”ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।” का जाप। कहते हैं कि इसका जाप करने से माता तुलसी की कृपा मिलती है। साथ ही घर की दरिद्रता का नाश होता है। ऐसे में इस दिन इसका 108 बार जाप करें।

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