Varalakshmi Vart 2024:- वरलक्ष्मी व्रत 2024 में कब रखा जाएगा ? वरलक्ष्मी व्रत तिथि और पूजा मुहूर्त क्या है ? वरलक्ष्मी व्रत की तैयारी कैसे करे ?

Varalakshmi Vart 2024

Varalakshmi Vart 2024 Details:- हिंदू धर्म में कई व्रत को महत्वपूर्ण बताया गया है। इन व्रतों को रखने से आप देवी देवताओं को प्रसन्न कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हमारी परंपराओं में जो फल पाने की इच्छा आप रखते हैं, उसी के आधार पर आपको उपवास करना होता है। इसके लिए पौराणिक कथाओं में कई उपवासों का उल्लेख हैं। आज हम ऐसे ही एक उपवास के बारे में बात करने वाले हैं, जिसे धन और समृद्धि पाने के लिए किया जाता है। इस व्रत को अष्टलक्ष्मी की पूजा के समान माना जाता है। इस व्रत को दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में काफी महत्वता दी गई है। इसे वरलक्ष्मी व्रत के नाम से जाना जाता है।

माता वरलक्ष्मी को महालक्ष्मी का अवतार माना गया है। इस व्रत को रखकर आप धन और एश्वर्य की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न कर मनवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत की महिलाएं इस उपवास को रखती है। साथ ही अगर इस उपवास को पति-पत्नी साथ मिलकर करते हैं, तो उसका कई गुना असर बढ़ जाता है। इससे घर की दरिद्रता खत्म हो जाती है, और अखंड लक्ष्मी की स्थापना होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। वरलक्ष्मी व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष के अंतिम शुक्रवार को मनाया जाता है। यह राखी और श्रावण पूर्णिमा से कुछ दिन पहले आता है।

Varalakshmi Vart 2024:- वरलक्ष्मी व्रत तिथि और पूजा मुहूर्त क्या है ?

वरलक्ष्मी व्रत, जिसे वरमहालक्ष्मी व्रतम भी कहा जाता है, इस वर्ष शुक्रवार, 16 अगस्त, 2024 को है। यह देवी लक्ष्मी को समर्पित त्योहार है।

सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (प्रातः) – 05:57 ए एम से 08:14 ए एम

अवधि – 02 घण्टे 17 मिनट्स

वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (अपराह्न) – 12:50 पी एम से 03:08 पी एम

अवधि – 02 घण्टे 19 मिनट्स

कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त (सन्ध्या) – 06:55 पी एम से 08:22 पी एम

अवधि – 01 घण्टा 27 मिनट्स

वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि) – 11:22 पी एम से 01:18 ए एम, अगस्त 17

अवधि – 01 घण्टा 56 मिनट्स

Varalakshmi Vart 2024:- माता वरलक्ष्मी कौन है ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी वरलक्ष्मी, खुद देवी लक्ष्मी का ही रूप है। बताया जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान माता वरलक्ष्मी दुधिया महासागर से प्रकट हुई थी, जिसे क्षीर सागर भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी वजह से उनका रंग एक दम उजला है, और वह उजले वस्त्र ही धारण करती है। माना जाता है कि वरलक्ष्मी अपने उपासकों की हर मनोकामना (वर) को पूरी करती है, साथ ही यह मां लक्ष्मी का अवतार है। इसीलिए इन्हें वरलक्ष्मी के रूप में जाना जाता है।

Varalakshmi Vart 2024:- वरलक्ष्मी व्रत की तैयारी कैसे करे ?

पूजा मे प्रयोग होने वाली सभी आवश्यक सामग्री एक दिन पहले ही एकत्रित कर ली जाती है। वरलक्ष्मी व्रत के दिन भक्त सुबह जल्दी उठ जाते हैं और स्नानादि करने के बाद साफ वस्त्र ग्रहण करते है। पूजा करने के लिये भक्त सूर्योदय से ठीक पहले उठ जाते है। उसके बाद घर के आस-पास की सफाई की जाती है। पूजा स्थल को विशेष तौर पर साफ किया जाता है। और रंगोली भी बनाई जाती है।

  • इसके बाद कलश को सजाया जाता है। इसके लिये चांदी या कांसे को कलश लिया जाता है। इसे चंदन से सुस्ज्जित किया जाता है। इस पर खासतौह पर स्वास्तिक का प्रतीक लगाया जाता है।
  • कलश के अदंर पानी या कच्चा चावल के साथ चूना,सिक्के, सुपारी और पांच अलग-अलग तरह के पत्ते भरे जाते हैं।
  • उसके बाद इसे आम की पत्तियों से ढंक दिया जाता है। और उसके ऊपर नारियल रख दिया जाता है। नारियल पर, हल्दी पाउडर के साथ देवी लक्ष्मी की एक तस्वीर भी लगाई जाती है और इसके उपरात इस कलश की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है।
  • कलश को चावलों के एक ढेर के ऊपर रखा जाता है। पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा के साथ की जाती है।
  • और उसके बाद देवी लक्ष्मी की स्तुति के मंत्रोच्चारण करते हुऐ पूजा आगे बढाई जाती है।
  • महिलाँए प्रसाद को घर पर ही तैयार करती है पूरी तरह से स्वच्छता को ध्यान में रखते हुये। पूजा के दौरान कलावा बांधने भी अति आवश्यक माना गया है।

Varalakshmi Vart 2024:- व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें कौन सी है ?

  • वरलक्ष्मी व्रत में श्री सूक्त पाठ करना बेहद फलदायी माना जाता है।
  • इस व्रत के दौरान माता वरलक्ष्मी की प्रतिमा के समक्ष 24 घंटे घीं का दीपक जलाकर रखें, इससे मां वरलक्ष्मी अधिक प्रसन्न होगी।
  • इस दिन श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ भी करना चाहिए।
  • संतान प्राप्ति की चाह रखने वाले दंपति को इस दिन गोपाल और हरिवंश पुराण की पूजा करनी चाहिए।

Varalakshmi Vart 2024:- वरलक्ष्मी की पूजा विधि क्या है ?

वरलक्ष्मी व्रत के दिन में महिलाएं अपने परिवार के सुखी जीवन के लिए उपवास रखती हैं और व्रत रखकर मां लक्ष्मी की पूजा करती हैं। घर की साफ-सफाई के उपरांत  स्नान करके ध्यान से पूजा के स्थल को गंगाजल से शुद्ध(पवित्र) करना चाहिए। इसके बाद उपवास का संकल्प करना चाहिए।

माता लक्ष्मी जी की मूर्ति को नए वस्त्र, आभूषण और कुमकुम से सजाइये। ऐसा करने के बाद माता लक्ष्मी जी की मूर्ति को पूर्व दिशा में गणेश जी की मूर्त के साथ फर्श पर रखें, और पूजा स्थल पर थोड़ा-सा तंदू फैलाएं। एक घड़े में जल को  भर कर कटोरी में रख दीजिये।  इसके बाद कलश के चारों ओर चंदन लगाएं।

कलश के पास पान, सिक्का, सुपारी, आम के पात (पते) इत्यादि रख दीजिये। इसके बाद नारियल पर चंदन, हल्दी व कुमकुम लगाकर कलश पर रख दीजिये।  थाली में लाल रंग का वस्त्र, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा, दीपक़, धूप आदि से माता लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। मां की मूर्त के समक्ष दीपक जलाएं और वरलक्ष्मी उपवास की कथा भी पढ़ें। पूजा के समापन के बाद महिलाओं को नैवेज्ञ (प्रसाद) बाँटिये।

इस दिन उपवास निष्फल रहना चाहिए। रात में आरती-अर्चना के बाद आटा गूंथना बहुत ही उचित माना जाता है। इस व्रत को करने से माता लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है।

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