Utpanna ekadashi 2022: इस विधि से करें उत्पन्ना एकादशी का व्रत, सुख-सौभाग्य में होगी बढ़ोतरी !!

Utpanna Ekadashi 2022

Utpanna Ekadashi 2022:- हिंदू धर्म में हर एकादशी व्रत का एक खास महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा कहा जाता हैं कि एकादशी का व्रत करने से भक्तों के ऊपर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है। उत्पन्ना एकादशी व्रत का भी एक खास महत्व है। बता दें यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को भक्ति पूर्वक करने से सौ अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा संतान प्राप्ति एवं मोक्ष प्राप्त करने के लिए भी यह व्रत रखा जाता हैं। बता दें उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती हैं। उस घर में धन की कभी भी कमी नहीं होती है। यह व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता हैं।

Utpanna Ekadashi 2022: क्यों कहते हैं इसे उत्पन्ना एकादशी

कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और मुर नामक राक्षस के बीच भीषण युद्ध हो रहा था। युद्ध के बीच में भगवान विष्णु काफी थक गए , तो वह बद्रिकाश्रम में गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। इसी बीच राक्षस मुर भगवान विष्णु का पीछा करता हुए उस आश्रम में आ गया और विश्राम करते हुए विष्णु जी को मारना चाहा तभी विष्णु जी के शरीर से एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने राक्षस का वध कर दिया। यह घटना मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन हुई थी। देवी से भगवान विष्णु काफी प्रसन्न हुए और उनका नाम एकादशी रख दिया। श्री हरि के शरीर से उत्पन्न होने के कारण उनका नाम उत्पन्ना एकादशी रख दिया गया।

Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी कब है?

उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी है, यह एकादशी दिनांक 20 नवंबर 2022 दिन रविवार को है, कहते हैं इस दिन व्रत रखने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, पौराणिक कथा के अनुसार मान्यता है कि इस दिन एकादशी माता ने मुर नाम के एक राक्षस का वध किया था.

Utpanna Ekadashi 2022: पूजा का मुहूर्त क्या है?

उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त 19 नवंबर 2022 दिन शनिवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन यानी की 20 नवंबर 2022 दिन रविवार को सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा, वहीं पारण का शुभ मुहूर्त 21 नवंबर दिन सोमवार को सुबह 6 बजकर 40 मिनट से लेकर 8 बजकर47 मिनट तक रहेगा.

व्रत का महत्त्व क्या है?

इस दिन व्रत रखने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पुर्ण होती है, इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी का महत्व

उत्पन्ना एकादशी का महत्व भविष्योत्तर पुराण जैसे कई हिंदू ग्रंथों में वर्णित है, जो कि बातचीत के रूप में मौजूद है जहां राजा युधिष्ठिर भगवान कृष्ण के साथ वार्तालाप में शामिल हैं. त्योहार का महत्व शुभकामनाएं जैसे ‘संक्रांति’ जैसा है जहां भक्त दान के कृत्यों का पालन करके काफी पुण्य अर्जित करते हैं. इस दिन उपवास रखने से भगवान ब्रह्मा, महेश और विष्णु का आशीर्वाद मिलता है. इसलिए, यदि उपवास अत्यधिक समर्पण के साथ मनाया जाता है, तो भक्तों को दिव्य आशीर्वाद का वरदान मिलता है.

Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि

उत्पन्ना एकादशी के प्रात:काल स्नान कर के साफ वस्त्र पहन लें। अब मंदिर को अच्छे से साफ कर लें और हर जगह गंगा जलकर छिड़के। अब भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान विष्णु की विधिवत् पूजा करें और उन्हें फल, मिठाई का भोग लगाएं।  भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा पढ़ना बिल्कुल न भूलें। इस दिन सारी रात जगकर भगवान का भजन- कीर्तन करना चाहिए। साथ ही श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा भी मांगनी चाहिए।

Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

मुर नामक एक राक्षस था जिसने अपने बुरे कर्मों के साथ आतंक पैदा किया और सभी तीनों लोकों में भय का वातावरण फैला दिया. राक्षस मुर की शक्तियों और गलत कर्मों के कारण सभी देवताओं को बहुत भय हुआ और उन्होंने और मदद के लिए भगवान विष्णु से संपर्क किया। तब भगवान विष्णु ने सैकड़ों वर्षों तक उसके साथ युद्ध किया. इस बीच, थकान की वजह से भगवान विष्णु थोड़ा आराम करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने गुफा में प्रवेश किया और वहां सो गए. गुफा का नाम हिमावती था. उस समय दानव मुर ने केवल गुफा के अंदर भगवान विष्णु की हत्या के बारे में सोचा था. उस विशेष पल में, एक खूबसूरत महिला दिखाई दी और उसने लंबी लड़ाई के बाद राक्षस को मार डाला. उस समय जब भगवान विष्णु जागे, तो राक्षस के मृत शरीर को देख कर वे चौंक गए. वह महिला भगवान विष्णु का हिस्सा थी और उन्होंने उसे एकादशी का नाम दिया और उस समय अवधि के बाद से यह दिवस उत्पन्ना एकादशी के रूप में मनाया जाता है.

Subscribe to our Newsletter

To Recieve More Such Information Add The Email Address ( We Will Not Spam You)

Share this post with your friends

Leave a Reply

Related Posts

Moonga Ratan

मूंगा किस दिन पहने ? मूंगा कैसे धारण करें ? मूंगा डालते वक़्त क्या सावधानी बरतें ? पूरी जानकारी !

मूंगा किस दिन पहने ? कैसे पहचना करें ? क्या सावधानी बरतें ? जाने पूरी जानकारी !!
When Should You Wear Coral Gemstone? Correct Way Of Wearing Coral Gemstone