Utpanna Ekadashi 2025:- उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण एकादशी व्रतों में से एक है। यह व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इसे भगवान विष्णु और उनकी शक्ति ‘एकादशी देवी’ की उत्पत्ति का पर्व माना जाता है। उत्पन्ना एकादशी व्रत को पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
Utpanna Ekadashi 2025:-उत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि और समय
तिथि: 22 नवंबर 2025 (शनिवार)
एकादशी तिथि प्रारंभ: 21 नवंबर 2025 को रात 9:10 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 22 नवंबर 2025 को रात 10:45 बजे
व्रत पारण समय: 23 नवंबर 2025 को सुबह 6:50 बजे से 8:55 बजे तक
Utpanna Ekadashi 2025:- उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि
उत्पन्ना एकादशी का व्रत का पूजन करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें. उसके बाद उत्पन्ना एकादशी व्रत का संकल्प लें. फिर एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें. फिर भगवान विष्णु को पीले फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, चंदन और तुलसी दल अर्पित करें. उसके बाद विष्णु जी को दूध, दही, घी, शहद और चीनी से तैयार पंचामृत अर्पित करें. विष्णु जी को तुलसी अति प्रिय है इसलिए पंचामृत में तुलसी जरूर डालें. उसके बाद उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा का पाठ करें. फिर अंत में आरती करके भोग लगाएं और सब में बांटे.
Utpanna Ekadashi 2025:- उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
वैसे तो प्रत्येक वर्ष के बारह महीनों में 24 एकादशियां आती हैं लेकिन मलमास या कहें अधिकमास को मिलाकर इनकी संख्या 26 भी हो जाती है। सबसे पहली एकादशी मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी को माना जाता हैं। चूंकि इस दिन एकादशी प्रकट हुई थी इसलिये यह दिन उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी के जन्म लेने की कथा कुछ इस प्रकार है।
बात सतयुग की है कि चंद्रावती नगरी में ब्रह्मवंशज नाड़ी जंग राज्य किया करते थे। मुर नामक उनका एक पुत्र भी था। मुर बहुत ही बलशाली दैत्य था। उसने अपने पराक्रम के बल पर समस्त देवताओं का जीना मुहाल कर दिया। इंद्र आदि सब देवताओं को स्वर्गलोक से खदेड़कर वहां अपना अधिकार जमा लिया। कोई भी देवता उसके पराक्रम के आगे टिक नहीं पाता था। सब परेशान रहने लगे कि कैसे इस दैत्य से छुटकारा मिला। देवताओं पर जब भी विपदा आती तो वे सीधे भगवान शिव शंकर के पास पंहुचते। इस बार भी ऐसा ही हुआ। इंद्र के नेतृत्व में समस्त देवता कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के पास पंहुची और अपनी व्यथा सुनाई। भगवान शिव ने उनसे कहा कि भगवान विष्णु ही इस कार्य में उनकी सहायता कर सकते हैं। अब सभी देवता क्षीर सागर पंहुचे जहां श्री हरि विश्राम कर रहे थे। जैसे ही उनकी आंखे खुली तो देवताओं को सामने पाकर उनसे आने का कारण पूछा। देवताओं ने दैत्य मुर के अत्याचार की समस्त कहानी कह सुनाई। भगवान विष्णु ने उन्हें आश्वासन देकर भेज दिया।
इसके बाद हजारों साल तक युद्ध मुर और श्री हरि के बीच युद्ध होता रहा लेकिन मुर की हार नहीं हुई। भगवान विष्णु को युद्ध के बीच में ही निद्रा आने लगी तो वे बद्रीकाश्रम में हेमवती नामक गुफा में शयन के लिये चले गये। उनके पिछे-पिछ मुर भी गुफा में चला आया। भगवान विष्णु को सोते हुए देखकर उन पर वार करने के लिये मुर ने जैसे ही हथियार उठाये श्री हरि से एक सुंदर कन्या प्रकट हुई जिसने मुर के साथ युद्ध किया। सुंदरी के प्रहार से मुर मूर्छित हो गया जिसके बाद उसका सर धड़ से अलग कर दिया गया। इस प्रकार मुर का अंत हुआ जब भगवान विष्णु नींद से जागे तो सुंदरी को देखकर वे हैरान हो गये। जिस दिन वह प्रकट हुई वह दिन मार्गशीर्ष मास की एकादशी का दिन था इसलिये भगवान विष्णु ने इनका नाम एकादशी रखा और उससे वरदान मांगने की कही। तब एकादशी ने मांगा कि जब भी कोई मेरा उपवास करे तो उसके समस्त पापों का नाश हो। तब भगवान विष्णु ने एकादशी को वरदान दिया कि आज से प्रत्येक मास की एकादशी का जो भी उपवास रखेगा उसके समस्त पापों का नाश होगा और विष्णुलोक में स्थान मिलेगा। मुझे सब उपवासों में एकादशी का उपवास प्रिय होगा। तब से लेकर वर्तमान तक एकादशी व्रत का माहात्म्य बना हुआ है।
Utpanna Ekadashi 2025:- उत्पन्ना एकादशी Utpanna Ekadashi के लाभ
ऐसी मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन विष्णुजी की पूजा करने और व्रत रखने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन किए गए दान-पुण्य के कार्यों से साधक को कई गुना ज्यादा शुभ फल मिलता है । इस दिन भगवान विष्णुजी के साथ मां लक्ष्मी जी की भी पूजा की जाती है जिससे व्रती पर विशेष कृपा बनी रहती है।
Utpanna Ekadashi 2025:- उत्पन्ना एकादशी व्रत उपाय
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। उत्पन्ना एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन माता एकादशी की उत्पत्ति हुई थी।
इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और दान पुण्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने में व्यक्ति को भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है। साथ ही इस दिन कुछ उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।





