ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को नवग्रह का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। इसके पीछे वजह एक नहीं अनेक है। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और इसी स्रोत के जरिये तीनों लोक संचालित भी होते हैं। सूर्य अन्य ग्रहों को भी विशिष्ट ऊर्जा प्रदान करता है। यही कारण है कि सूर्य को मुखिया माना गया है। सूर्य का रथ सात घोड़े खींचते हैं, जो सात चक्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य देव को गायत्री मंत्र या आदित्य हृदय मंत्र (आदित्यहृदयम) का जप कर प्रसन्न किया जा सकता है। सूर्य को जगत पिता कहा गया है, क्योंकि इसकी शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान है। तो आइए आज आपको सूर्य ग्रह की शक्ति, महत्व और उससे जुड़ी हर बात बताएं। साथ ही यह भी जानें कि सूर्य को कैसे मजबूत किया जा सकता है।
सूर्य ग्रह किन किन चीजों के कारक होते हैं
आत्मा, स्वयं शक्ति, सम्मान, राजा, पिता, राजनीति हडिड्यों, चिक्तित्सा विज्ञान, स्वास्थ्य, ह्रदय, पेट. पित्त, दायीं आँख, रक्त प्रवाह में बाधा गर्मी तथा बिजली इत्यादि का कारक है सूर्य.
- अगर किसी जातक की कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य स्थित है तो यह इस बात का संकेत है कि आपका स्वभाव स्पष्ट और उदार होगा। इतना ही नहीं ऐसे व्यक्ति के भाई बहन भाग्यशाली होते हैं।
- सूर्य के कुंडली में प्रथम भाव में होने से जातक के बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं और उनकी हर बात मानते हैं। ऐसे लोगों का स्वभाव धार्मिक और ईमानदार होगा। साथ ही नैतिकता के दृष्टिकोण से आपका बर्ताव उचित रहेगा।
- कुंडली के बैठा सूर्य व्यक्ति को अधिक क्रोधी और उग्र स्वभाव का बना देता है। कई बार इनका व्यवहार ऐसा होता है की लोग इन्हें अविवेकी मान लेते हैं ।
- सूर्य के पहले भाव में होने पर व्यक्ति में आलस्य का भाव भी देखा जाता है। ये काम को टालने की कोशिश करते हैं लेकिन, एक बार काम शुरू कर दें तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। क्योंकि, इनमें महत्वकाक्षी अधिक होती है। महत्वकांक्षा और प्रभाव दिखाने के व्यक्तित्व के चलते इनके अंदर अंहकार का भाव भी आ जाता है।
- सूर्य के कुंडली के पहले घर में यानी लग्न स्थान में होने पर आपका माथा चमकीला होता है और आप तेजस्वी नजर आते हैं। आपका कद भी लंबा होता है। लेकिन कुछ मामलों में सूर्य का किसी व्यक्ति की कुंडली के पहले घर में होना अच्छा नहीं होता। प्रथम भाव में सूर्य के रहने से व्यक्ति गंजा हो सकता है, इनके बाल कम उम्र में ही गिरने लगते हैं। इन्हें आंखों की समस्या हो सकती है।
- अगर जीवनसाथी की कुंडली में संतान का योग बहुत अच्छा नहीं हो और आपकी कुंडली में सूर्य प्रथम भाव में हो तब बच्चों की संख्या कम होती है। ऐसे लोगों का छोटा परिवार सुखी परिवार वाला मामला होता है।
- सूर्य के कुंडली के पहले घर में होने पर व्यक्ति सरकारी नौकरी में हो सकते हैं। ऐसे लोग जहां भी काम करते हैं अपना दबदबा और प्रभाव बनाए रखते हैं। सामाजिक क्षेत्र में भी इनका प्रभाव बना रहता है।
कुंडली में सूर्य के उच्च प्रभाव
सूर्य ना केवल इस जीव-जगत का आधार है बल्कि ज्योतिष का भी प्रमुख ग्रह है। सूर्य का कुंडली में बलवती होना अथवा हाथ में सूर्य पर्वत का पुष्ट होना दोनों ही जीवन में पद, प्रतिष्टा, सुख-समृद्धि दिलाने का संकेत है। यदि कुंडली में सूर्य अच्छी स्थिति में है तो सरकारी नौकरी का रास्ता खुलता है। कुंडली में दसवां भाग व्यक्ति की आजीविका या कॅरियर को दिखाता है। सूर्य के शुभ होने पर सरकारी नौकरी की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं। जानिए कुंडली में किन स्थितियों में सूर्य अच्छा फल प्रदान करता है। ।
-यदि कुंडली में सूर्य बलि है और दशम भाव में बैठा है अथवा इस भाव पर सूर्य की दृष्टि पड़ रही है तो सरकारी नौकरी मिलने की संभावन प्रबल रहती है।
-यदि कुंडली में सूर्य और शनि एकसाथ शुभ स्थानों में विद्यमान रहें अथवा शनि पर सूर्य की दृष्टि पड़ रही हो तो भी सरकारी नौकरी का योग बनता है।
-सूर्य बलि होकर यदि कुंडली के छठे भाव में रहे तो भी सरकारी नौकरी मिलना पक्का है।
-कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य हो तो भी सरकारी नौकरी की प्रबल संभावनाएं रहती हैं।
-अगर सिंह या मेष राशि में सूर्य हो और किसी पाप ग्रह से पीड़ित ना हो तो यह योग भी सरकारी नौकरी दिलाता है।
-सिंह राशि में शनि हों और सूर्य ठीक स्थिति में हो तो भी सरकारी नौकरी पक्की है।
-सूर्य और बृहस्पति को शुभ भावों में होकर सम सप्तक होना भी सरकारी नौकरी की संभावनाएं बढ़ाता है।
-यदि सूर्य कमजोर है तो आदित्य हृदय स्तोत्र का नित्य पाठ करने से लाभ होता है। ऐसी स्थिति में सूर्य को रोज जल अर्पित करना चाहिए।
कुंडली में सूर्य कमजोर होने पर प्रभाव
सूर्य, सिंह राशि के स्वामी हैं और यह तुला राशि में नीच के होते हैं। सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति का मनोबल या आत्मबल कमजोर होता है और पिता व कार्यक्षेत्र में अधिकारियों के साथ परेशानी रहती है। सरकारी कार्य में भी परेशानी होती है। कुंडली में यदि सूर्य कमजोर हों तो इसका व्यक्ति की सेहत पर भी असर होता है। ऐसे लोगों को आंख या अस्थियों संबंधी समस्या हो सकती है। जब उनकी कुंडली में सूर्य की दशा आती है, तब और परेशानियां बढ़ जाती हैं। व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
साथ ही आलस और थकान बने रहते हैं। सिर दर्द के अलावा शरीर में अकड़न-सी रहती है।
- बारह राशियों में सूर्य मेष, सिंह तथा धनु में विशेष बलवान होता है तथा मेष में उच्च का होता है। सिंह इसकी अपनी राशि होती है। मित्र ग्रह चंद्र, मंगल और गुरु हैं। सूर्य के शत्रु ग्रह शुक्र, शनि, राहु और केतु होते हैं।
- सूर्य पर जब इसके शत्रु ग्रहों की दृष्टि होती है या इनमें से कोई शत्रु ग्रह सूर्य के साथ हो। व्यक्ति के जीवन में अशुभ सूर्य की महादशा चल रही हो तो भारी परेशानियां आती है। कुंडली के अलग-अलग भावों में सूर्य के अशुभ होने के अलग-अलग परिणाम होते हैं।
- प्रथम भाव में अशुभ सूर्य है तो जातक के बचपन में ही उसके पिता की मृत्यु हो जाती है। स्वयं उस व्यक्ति की संतानें भी जल्द ही मृत्यु की शिकार हो जाती है।
रविवार को करें इन चीजों का दान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप लंबे समय से व्यापार में घाटा झेल रहे हैं. या फिर नौकरी आदि में तरक्की पाने के लिए रविवार के दिन गरीबों और जरूरमंदों को सूर्य संबंधित चीजों का दान करना चाहिए. सूर्य संबंधित चीजों में तांबा, गेंहू, मसूर, दाल, गुड़ और लाल चंदन का दान करना उचित रहता है. इन चीजों के दान से व्यक्ति को धन हानि नहीं होती. साथ ही स्वास्थ्य भी सही रहता है.
सूर्य का रत्न
सूर्य का रत्न माणिक्य बेहद ताकतवर रत्न है और नीलम के समान ही इसका भी बहुत जल्दी प्रभाव दिखता है. माणिक्य कुरुन्दम समूह का रत्न है और एल्युमिनियम ऑक्साइड इसका प्रमुख तत्व है. सूर्य प्रमुख रूप से अग्नि प्रधान ग्रह है और सूर्य का रत्न माणिक्य (रूबी) होता है. रूबी पहनने से व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है. माणिक्य धन-दौलत, मान-सम्मान और यश दिलाता है. राजनेता, अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर बनने और बड़े पदों पर पहुंचने के लिए माणिक्य पहनना चाहिए. सूर्य के लिए गुलाबी रंग के माणिक्य का इस्तेमाल सर्वोत्तम होता है.
माणिक्य सूर्य का रत्न है. सूर्य ग्रहों का राजा है इसीलिए उसका रत्न भी राजयोग दिलाता है. पहले राजाओं के मुकुट में भी माणिक्य रत्न जरूर होता था जिसके पास अन्य रत्न जड़े होते थे. हालांकि माणिक्य रत्न का इस्तेमाल कुंडली दिखाने के बाद करें.
किसे पहनना चाहिए माणिक्य रत्न?
मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु मीन लग्न वाले माणिक्य पहन सकते हैं. जो लोग जुलाई के महीने या रविवार को पैदा हुए हैं उन्हें भी यह रत्न सूट करता है.
मूलांक के अनुसार, 1, 10, 19 और 28 तारीख को जन्म लेने वाले व्यक्ति भी माणिक्य रत्न पहन सकते हैं. सूर्य की महादशा हो तो माणिक्य पहन कर देख सकते हैं.
सच्चे माणिक्य रत्न की पहचान कैसे करें?
माणिक्य रत्न अनार के दाने के समान होता है. गाढ़े रंग का रत्न होता है. यह वजनी, भारी और ठंडा होता है. माणिक्य को आंखों पर रखेंगे तो ठंडक महसूस होगी.
अगर अधिकारीगण माणिक्य रत्न पहनते हैं तो उनके ऑफिस में कोई परेशानियां नहीं होती हैं. माणिक्य पहनने वाला बीमार नहीं पड़ता है और घर में खुशहाली बनी रहती है. अगर माणिक्य सूट करता है तो राजा बना देता है.
सूर्य का उपरत्न
– सूर्य का मुख्य रत्न है – माणिक्य.
– माणिक्य के स्थान पर तामड़ी , लालड़ी , लाल तुरमली और गार्नेट भी पहन सकते हैं.
– पर माणिक्य का सबसे अच्छा उपरत्न “स्पाइनल” होता है.
– इसे अनामिका अंगुली में ताम्बे में धारण करना चाहिए.