Simha Sankranti 2023 Details:- जब सूर्यदेव कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करते हैं तो यह सिंह संक्रांति कहलाती है। सूर्यदेव जब राशि बदलते हैं तो उसे संक्रांति कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। संक्रांति पर इच्छा अनुसार दान-पुण्य करने की परंपरा है। सिंह संक्रांति में घी के सेवन का विशेष महत्व है। इस दिन घी का प्रयोग आवश्यक रूप से किया जाता है। इस दिन ऊं नमो सूर्याय नम: का जाप करते रहें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। दक्षिणी भारत में इस संक्रांति को सिंह संक्रमण भी कहा जाता है।
सिंह संक्रांति के दिन भगवान विष्णु, सूर्यदेव और भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है। सिंह संक्रांति के दिन विधिवत पूजा-पाठ करें। सूर्य संक्रांति के दिन घी का सेवन करने से ऊर्जा, तेज और यादाश्त और बुद्धि में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि सूर्य संक्रांति के दिन घी का सेवन न करने वाले अगले जन्म में घोंघे के रूप में जन्म लेते हैं। यहां पर घोंघा आलस्य का प्रतीक है, जिसकी गति बेहद धीमी होती है। यही कारण है कि इस दिन घी का सेवन फायदेमंद बताया गया है। घी के सेवन से राहु और केतु के बुरे प्रभाव से भी बचा जा सकता है। यह कृषि और पशुपालन से जुड़ा हुआ पर्व है। बरसात के मौसम में किसान अच्छी फसलों की कामना करते हुए ख़ुशी मनाते हैं। बरसात में पशुओं को खूब हरी घास मिलती है। दूध में बढ़ोतरी होने से दही-मक्खन-घी भी प्रचुर मात्रा में मिलता है। अतः इस दिन घी का प्रयोग अवश्य किया जाता है। इस दिन नवजात बच्चों के सिर और पांव के तलुवों में भी घी लगाया जाता है। उसकी जीभ में थोड़ा सा घी रखा जाता है। इस दिन सूर्य पूजा के साथ सामर्थ्य अनुसार दान करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
Simha Sankranti 2023:- सिंह संक्रांति कैसे मनाई जाती है ?
सूर्य एक माह में अपनी राशि बदलता है। सूर्य जब भी किसी भी राशि में प्रवेश करता है तो उस दिन को राशि की संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति को सूर्य के संक्रमण काल का त्योहार भी माना जाता है। एक जगह से दूसरी जगह जाने अथवा एक-दूसरे का मिलना ही संक्रांति होती है। सूर्य जब धनु राशि से मकर पर पहुंचता है तो मकर संक्रांति मनाते हैं। सूर्य पूर्व दिशा से उदित होकर 6 महीने दक्षिण दिशा की ओर से तथा 6 महीने उत्तर दिशा की ओर से होकर पश्चिम दिशा में अस्त होता है। उत्तरायण का समय देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन का समय देवताओं की रात्रि होती है, वैदिक काल में उत्तरायण को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा गया है।
भाद्रपद महीने की संक्रांति जिसे सिंह संक्रांति भी कहते हैं, उत्तराखंड में घी संक्रांति या ओल्गी संक्रांति के रूप में मनाई जाती है| वस्तुतः यह कृषि और पशुपालन से जुड़ा हुआ एक लोक पर्व है| बरसात के मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में बालियाँ आने लगती हैं| किसान अच्छी फसलों की कामना करते हुए ख़ुशी मनाते हैं| बालियों को घर के मुख्य दरवाज़े के ऊपर या दोनों और गोबर से चिपकाया जाता है| बरसात में पशुओं को खूब हरी घास मिलती है| दूध में बढ़ोतरी होने से दही-मक्खन-घी भी प्रचुर मात्रा में मिलता है| अतः इस दिन घी का प्रयोग अवश्य ही किया जाता है|
Simha Sankranti 2023:- सिंह संक्रांति पूजा विधि और मंत्र क्या है ?
- सिंह संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी में स्नान करने का संयोग ना बने तो नहाने वाले पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
- इस दिन सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे में सिंह संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लें और तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल फूल, कुमकुम, रोली-अक्षत मिलाकर उगते हुए सूर्य के जल अर्पित करें।
- इस दिन सूर्य को जल अर्पित करते समय ओम् आदित्याय विद्महे सहस्र किरणाय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् इस मंत्र का जाप करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद धूप-दीप सहित अपने स्थान पर तीन बार परिक्रमा करें। इसके बाद सूर्य देव को प्रणाम करते हुए उनसे अपने दुख दूर करने की प्रर्थना करें। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं।
- सूर्य देव की पूजा के बाद भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की उपसना भी करें। सिंह संक्रांति पर भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी पत्र अर्पित करना बेहद फलदायी माना गया है।
Simha Sankranti 2023:- सिंह संक्रांति का महत्व क्या है ?
संक्रांति का समय सभी के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। लोगों को पवित्र जल में स्नान करना चाहिए और गरीबों और जरूरतमंदों को चीजें दान करनी चाहिए। साथ ही होम का आयोजन कर अपने पूर्वजों का स्मरण अवश्य करें। यह वैदिक त्योहार लोगों द्वारा उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार प्रकृति, मौसम और कृषि से जुड़ा हो सकता है। प्रकृति की दृष्टि से सूर्य की पूजा की जा रही है। हमारे शास्त्रों में सूर्य को सभी भौतिक और अभौतिक तत्वों की आत्मा के रूप में दर्शाया गया है। कहा जाता है कि जब मौसम बदलता है तो धरती अनाज पैदा करती है और इससे समुदाय के जीवन का रखरखाव होता है।
Simha Sankranti 2023:- सिंह संक्रांति के अनुष्ठान क्या है ?
- सिंह संक्रांति के अवसर पर सूर्य देव, भगवान विष्णु और भगवान नरसिंह स्वामी की पूजा की जाती है।
- मैंगलोर शहर के पास कुलई में स्थित विष्णुमूर्ति मंदिर में लोग जाते हैं।
- नरीकेला अभिषेक जिसे पवित्र स्नान माना जाता है, विशेष रूप से सिंह संक्रांति के अवसर पर किया जाता है। नारीकेला अभिषेक के लिए विशेष रूप से शुद्ध नारियल पानी का उपयोग किया जाता है।
- भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए अप्पा पूजा की जाती है और इस अवसर पर भगवान विष्णुमूर्ति को हुविना पूजा के रूप में प्रसाद दिया जाता है और उत्सव सिंह संक्रांति तक जारी रहता है।
Simha Sankranti 2023:- सिंह संक्रांति पर घी के सेवन को शुभ क्यों माना जाता है ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सिंह संक्रांति पर घी का सेवन करने से बुद्धि, आत्मविश्वास, तेज, ऊर्जा और स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी होती है। घी संक्रांति को प्रकृति और पशुधन से संबंधित त्योहार माना गया है। सिंह संक्रांति पर घी खाया जाता है इसलिए इसे घी संक्रांति के नाम से भी जानते हैं। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन घी खाने से कुंडली में राहु-केतु दोषों से मुक्ति मिलती है। वहीं माना जाता है कि जो लोग इस दिन घी का सेवन नहीं करते उन्हें अगले जन्म में घोंघे का रूप मिलता है जिसे आलस्य का प्रतीक माना जाता है।