मंदिर की अनोखी कहानी
इंदौर में शनिदेव का प्राचीन व चमत्कारिक मंदिर जूनी इंदौर में स्थित है। इस मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है कि मंदिर के स्थान पर लगभग 300 वर्ष पूर्व एक 20 फुट ऊंचा टीला था, जहां वर्तमान पुजारी के पूर्वज पंडित गोपालदास तिवारी आकर ठहरे थे। एक रात शनिदेव ने पंडित गोपालदास को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि उनकी एक प्रतिमा उस टीले के अंदर दबी हुई है। शनिदेव ने पंडित गोपालदास को टीला खोदकर प्रतिमा बाहर निकालने का आदेश दिया। जब पंडित गोपालदास ने उनसे कहा कि वे दृष्टिहीन होने से इस कार्य में असमर्थ हैं, तो शनिदेव उनसे बोले, ‘अपनी आंखें खोलो, अब तुम सब कुछ देख सकोगे।’
शनि से मिली दृष्टि
आंखे खोलने पर पंडित गोपालदास ने पाया कि वास्तव में उनका अंधत्व दूर हो गया है और वे सबकुछ साफ-साफ देख सकते हैं। अब पंडितजी ने टीले को खोदना शुरू किया। उनकी आंखें ठीक होने के चमत्कार के चलते स्थानीय लोगों को भी उनके स्वप्न की बात पर यकीन हो गया तथा वे खुदाई में उनकी मदद करने लगे। पूरा टीला खोदने पर वहां वाकई शनिदेव की एक प्रतिमा निकली। इस प्रतिमा को बाहर निकालकर उसकी स्थापना की गई। आज भी इस मंदिर में वही मूर्ति स्थापित है।
इस प्रतिमा से जुड़े एक और चमत्कार की कथा प्रचलित है। बताते हैं कि शनिदेव की प्रतिमा पहले वर्तमान में मंदिर में स्थापित भगवान राम की प्रतिमा के स्थान पर थी। एक शनिचरी अमावस्या पर यह प्रतिमा स्वतः अपना स्थान बदलकर उस स्थान पर आ गई जहां ये अब स्थापित है। तब से शनिदेव की पूजा उसी स्थान पर हो रही है और यह श्रद्धालुओं की प्राचीनतम आस्था का केंद्र बन गया है। हर वर्ष शनि जयंती पर इस मंदिर में उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान भारत के प्रसिद्ध गायक और संगीतकार अपनी प्रस्तुति द्वारा शनिदेव के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं।