शनि ग्रह के लिए किस भगवान की पूजा करें ? शनि ग्रह किस चीज़ का कारक होता है ?
शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित किया जाता है। ये सूर्य और छाया के पुत्र हैं, सूर्यदेव की तरह इन्हें भी देव और ग्रह दोनों का दर्जा प्राप्त है। वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है। तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। शनि का गोचर एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहता है। ज्योतिषीय भाषा में इसे शनि ढैय्या कहते हैं। नौ ग्रहों में शनि की गति सबसे मंद है। शनि की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है।
समाज में शनि ग्रह को लेकर नकारात्मक धारणा बनी हुई है। लोग इसके नाम से भयभीत होने लगते हैं। परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। ज्योतिष में शनि ग्रह को भले एक क्रूर ग्रह माना जाता है परंतु यह पीड़ित होने पर ही जातकों को नकारात्मक फल देता है। यदि किसी व्यक्ति का शनि उच्च हो तो वह उसे रंक से राज बना सकता है। शनि तीनों लोकों का न्यायाधीश है। अतः यह व्यक्तियों को उनके कर्म के आधार पर फल प्रदान करता है। शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है।
कुंडली में शनि ग्रह खराब होने के क्या लक्षण है ?
वैदिक ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह के साथ न्यायाधीश और दंडाधिकारी माना जाता है। अर्थात यह मनुष्यों को उनके अच्छे बुरे कर्मों की सजा देते हैं। शनि की महादशा बहुत ही प्रभावी मानी जाती है और इसका जातक पर शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव पड़ता है। हम सभी का करियर, रुपये-पैसे और यहां तक कि दांपत्य जीवन भी शनि की दशा पर ही निर्भर करता है। इसलिए माना जाता है कि अगर कोई और ग्रह शनि की महादशा के साथ अंतर्दशा में चले तो उसके भी परिणाम बदल जाते हैं। वहीं यदि शनि का प्रभाव नकारात्मक है तो यह अवधि नौकरी और व्यापार में आपके लिए काफी कष्टदायी हो जाती है। परिवार और भाई-बहनों के साथ आपके संबंधों में परेशानी आने लगती है और आप तनाव व अन्य मानसिक रोगों से घिर सकते हैं।
शनि के लिए कौन सा रत्न धारण करें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब भी कोई ग्रह अपनी स्थिति बदलता है तो उसका प्रभाव सीधा मनुष्य पर पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहों के बदलने पर व्यक्ति पर अच्छा और बुरा दोनों ही तरह के प्रभाव होता है। हर एक ग्रह का अपना एक अलग रत्न होता है। जब किसी की कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर हो तो लोगों को नीलम रत्न धारण करना चाहिए।
शनि ग्रह को शांत करने के लिए उपाय
- शनिवार को शनि मंदिर जाया करें और वहां पर सरसों का तेल और काले माह या तिल चढ़ाया करें।
- शनि दोष को अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए शनिवार के दिन लोहे की वस्तुएं, काले वस्त्र, उड़द, सरसों का तेल, जूते-चप्पल आदि का दान करें।
- शनिवार के दिन सुबह के समय पीपल के जड़ में पानी अर्पित करें और शाम के समय तिल या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक में थोड़ी सी काली तिल भी डाल लें।
- शनिवार के दिन ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ और ‘ऊं शं शनिश्चरायै नमः’ मंत्रों का जाप करें।
- कांसे की कटोरी में तिल का तेल भरें। उसमें अपना प्रतिबिंब देखकर तेल का दान करें।
शनि ग्रह को मजबूत करने के लिए उपाय
- शनि ग्रह को मजबूत करने के लिए जातक को लोहे का छल्ला अथवा कड़ा धारण करना चाहिए।
- शनिवार के दिन सातमुखी रुद्राक्ष को गंगाजल में धोकर धारण करें।
- शनि ग्रह के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए नीलम रत्न धारण करें।
- शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें। हनुमान जी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त होते हैं और ज़िंदगी से बाधाएं दूर होती हैं।