Sawan Purnima 2025:- सावन पूर्णिमा के बारे में
हिंदू धर्म में सावन महीने को सबसे पवित्र महीना माना जाता है जोकि भगवान शिव को समर्पित होता है. साथ ही इस महीने कई महत्वपूर्ण पर्व-त्योहार भी पड़ते हैं. वहीं सावन के अंतिम दिन पूर्णिमा होती है, जिसे सावन पूर्णिमा, श्रावण पूर्णिमा, कजरी पूर्णिमा या श्रावणी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.
वैसे तो पूरे साल में कुल 12 पूर्णिमा तिथि होती है. लेकिन सावन महीने की पूर्णिमा बहुत ही खास मानी जाती है. इस दिन रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2025) का त्योहार मनाया जाता है और भगवान शिव की पूजा-आराधना भी होती है. शास्त्रों में इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है. पितरों का तर्पण करने के लिए भी सावन पूर्णिमा का दिन शुभ होता है. आइए जानते हैं 2025 में कब है सावन पूर्णिमा. साथ ही चंद्रोदय का समय, पूजा विधि और मुहूर्त के बारे में.
Sawan Purnima 2025:- सावन पूर्णिमा कब है 2025
9 अगस्त 2025, शनिवार (श्रावण पूर्णिमा व्रत, श्रावण पूर्णिमा)
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 08 अगस्त, दोपहर 02:12 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 09 अगस्त, दोपहर 01:24 बजे तक
Sawan Purnima 2025:- जानिए श्रावण पूर्णिमा व्रत का महत्व
श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु व शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्रदोष से मुक्ति भी मिलती है। कई प्रांतों में इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी आराधना की जाती है। मान्यता है, कि इस तिथि पर लक्ष्मी-नारायण के दर्शन, मनुष्य को सुख, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ये दिन शुद्धिकरण और उपनयन संस्कार के लिए भी विशेष शुभ माना जाता है।
श्रावण पूर्णिमा की इस तिथि को, कुछ क्षेत्रों में कजरी पूनम नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान स्त्रियां नवमी तिथि के दिन पत्तों से बने पात्रों में जौ बोती हैं, जिसे पूर्णिमा के दिन नदी में विसर्जित किया जाता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखकर, अपनी संतान की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं।
Sawan Purnima 2025:- सावन पूर्णिमा का नामकरण
हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्रवर्ष के प्रत्येक माह का नामकरण उस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा की स्थिति के आधार पर हुआ है। ज्योतिषशास्त्र में 27 नक्षत्र माने जाते हैं। सभी नक्षत्र चंद्रमा की पत्नी माने जाते हैं। इन्हीं में एक है श्रवण। मान्यता है कि सावन पूर्णिमा को चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में गोचररत होता है। इसलिये पूर्णिमांत मास का नाम श्रावण रखा गया है और यह पूर्णिमा श्रावण पूर्णिमा कहलाती है।
Sawan Purnima 2025:- श्रावण पूर्णिमा व्रत का महत्व
श्रावण पूर्णिमा को हिंदू संस्कृति में अत्यधिक शुभ दिन माना जाता है। श्रावण पूर्णिमा पर किए जाने वाले विभिन्न अनुष्ठानों का अत्यधिक महत्व है। इस दिन ‘उपनयन’ और ‘यज्ञोपवीत’ की रस्में निभाई जाती हैं। श्रावण पूर्णिमा पर ब्राह्मण ‘शुद्धिकरण’ का अनुष्ठान भी करते हैं क्योंकि धार्मिक कार्य करने के लिए इस दिन को सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इस पवित्र पूर्णिमा के दिन पर भक्त द्वारा भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।
Sawan Purnima 2025:- सुख-समृद्धि के लिए करें ये उपाय
रुद्राभिषेक
इस बार श्रावण पूर्णिमा के दिन सोमवार भी है। इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। रुद्राभिषेक में शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, शक्कर आदि से अभिषेक किया जाता है। इसके साथ ही ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप किया जाता है। रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
उपवास रखने का विशेष महत्व
श्रावण पूर्णिमा के दिन व्रत रखने की भी अत्यधिक मान्यता है। इस दिन भगवान शिव एवं लक्ष्मी-नारायण की उपासना के लिए उपवास रखने से विशेष फल प्राप्त होता है। व्रत के दौरान फलाहार किया जाता है। व्रत रखने से व्यक्ति के सभी दुख-दर्द समाप्त होते हैं, और जीवन में सुख और शांति का आगमन होता है।
दक्षिणावर्ती शंख का पूजन
श्रावण पूर्णिमा पर दक्षिणावर्ती शंख का पूजन करना शुभ माना जाता है। शंख भगवान विष्णु का प्रतीक है, इसकी पूजा करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। इस शंख में गंगाजल भरकर भगवान विष्णु पर चढ़ाने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, दक्षिणावर्ती शंख को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।