Saraswati Avahan 2022:- देशभर में शारदीय नवरात्रि बड़े ही धूमधाम के साथ मनाये जाते हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में देश के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं की रंगारंगी देखने को मिलती है। इस दौरान उत्तर भारत में मां दुर्गा के अलग अलग नौ रूपों का पूजन होता है तो वहीं दक्षिण भारत में नवरात्रि के अंतिम दिन सरस्वती माता की पूजा की जाती है। यहां सरस्वती पूजा तीन दिनों तक चलती है और पहला दिन सरस्वती आह्वान के रूप में मनाया जाता है।
सरस्वती आवाहन का महत्व
1. हिन्दू धर्म के अनुसार माँ सरस्वती संगीत, बुद्धि, कला व् विज्ञानं की देवी मानी जातीं हैं|
2. शारदा, महाविद्या नीला सरस्वती, विद्यादायिनी, शारदाम्बा, वीणापाणि, व् पुस्तक धारिणी आदि नामो से माँ जानी जातीं है|
3. माँ सरस्वती को त्रिदेवी भी कहा जाता है जिनका निवास ब्रह्मपुरा में है|
4. माँ सरस्वती चतुर भुजाओं वालीं हैं, जो हमेशा चमकदार श्वेत वस्त्र धारण किये रहती है|
5. माँ सफ़ेद कमल पर विराजमान रहती हैं व् उनका वाहन हंस है|
6. भगवान् ब्रह्मा ने माँ सरस्वती की सूझ-बूझ व् ज्ञान की सहायता से ही इस ब्राह्माण की रचना की थी|
7. सभी श्रध्दालु व् भक्त माँ का पूजन बहुत ही उत्साह व् निष्ठां से मनाते हैं|
8. माँ की स्तुति कर माँ से कामना करतें है की उनको सद्द बुद्धि व् ज्ञान की प्राप्ति हो, और जीवन के हर लक्ष्य को पा सकें|
सरस्वती आह्वान पूजा विधि
– सरस्वती आह्वान निश्चित मुहूर्त में करना है.
– माता सरस्वती का आह्वान करने के लिए निर्दिष्ट मंत्रों का पाठ करना है.
– माता सरस्वती के चरण धोए जाते हैं.
– भक्तों द्वारा एक संकल्प या व्रत लिया जाता है.
– अलंकारम किया जाता है. मूर्ति को चंदन के लेप और कुमकुम आदि से सजाया जाता है.
– सफेद फूल चढ़ाए जाते हैं.
– कुछ भक्त व्रत भी रखते हैं.
– नैवेद्य अर्पित किया जाता है. अधिकतर सफेद रंग की मिठाइयां तैयार की जाती हैं.
– मंत्रों का पाठ किया जाता है. भजन गाए जाते हैं.
– आरती की जाती है.
– पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है.
सरस्वती आवाहन क्रियापद्धति
सरस्वती आवाहन का मुहूर्त लगभग ५ घंटों का होता है, जिस दौरान माँ का आवाहन करना सबसे शुभ होता है| सरस्वती आवाहन मुला नक्षत्र में किया जाता है| परन्तु एकदम ठीक समय हर साल अलग अलग रहता है| सरस्वती आवाहन के दौरान माँ की कृपा पाने के लिए व् माँ को आमंत्रित करने के लिए कुछ मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है|श्रद्धालु माँ की स्तुति कर माँ से अपने कुशल मंगल होने की कामना करतें हैं|
1. माँ के आवाहन का पूजन शुरू करते समय सबसे पहले माँ के चरण धोये जाते है और माँ के विधिवत पूजा अर्चना करने का संकल्प किया जाता है|
2. संकल्प लेने के पश्चात माँ को कुमकुम व् चन्दन से सजाया जाता है, और इस प्रलरिया को अलंकाराम कहा जाता है|
3. अलंकाराम के बाद माँ के आगे घी या तिल के तेल का दिया, धूप, अगरबत्ती जगाई जाती है| उन्हें पीले व् सफ़ेद फूलों की माला अर्पित करी जाती है|
4. इस शुभ अवसर पर माँ के लिए बहुत से नैवैद्यम बनाये जाते है और उनका भोग लगाया जाता है|
5. माँ का सबसे प्रिय रंग सफ़ेद माना गया है, जिसे ध्यान में रखते हुए माँ को भोग में दिए जाने वाले सारे मिष्ठान सफ़ेद जैसे रसगुल्ले, खीर, बर्फी आदि बनाये जाते है|
6. पूजा पूर्ण होने के पश्चात नैवेद्यम व् मिठाईयां, सभी एकत्रित हुए श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित करी जाती है|
7. प्रसाद वितरण के पश्चात माँ के भजन भी गाये जाते है|
8. कुछ श्रद्धालु सरस्वती आवाहन के दिन व्रत भी करते है|
सरस्वती मां, जो कि विद्या और संगीत दोनो की देवी हैं। इनके आशीर्वाद के बिना पढ़ाई और संगीत में आगे बढ़ पाना असंभव है। चाहे जितने बड़े फिल्म स्टूडियो हों या बड़े से बड़ी यूनिवर्सिटी, वहां मां सरस्वती की मूर्ति होती ही है। मां सरस्वती हंस की सवारी करती हैं। उनके एक हाथ में वीणा तो दूसरे हाथ में पुस्तक होती है। नवरात्रि पूजा के सातंवे दिन यानि महासप्तमी को जब शुक्ल पक्ष होता है तो सरस्वती अावाहन किया जाता है। नवरात्रि के आखिरी तीन दिन मां सरस्वती की पूजा होती है। विजयादशमी के दिन विसर्जन किया जाता है।
मां सरस्वती की रचना
ब्रह्मा जी ने जब पूरी धरती बना दी, लेकिन कुछ कमी थी। हर जगह नीरसता थी। तब उन्होंने जल लेकर धरती को हरा भरा कर मां सरस्वती का उद्गम किया। ब्रह्माजी ने मां को कहा कि वो वीणा और पुस्तक से इस दुनिया को मार्ग दिखाएं।
शक्ति के रूप में भी मां सरस्वती
कई पुराणों और ग्रंथों में मां सरस्वती के बारे में वर्णन किया गया है। धर्मग्रंथों में देवी को सतरूपा, शारदा, वीणापाणि, वाग्देवी, भारती, प्रज्ञापारमिता, वागीश्वरी तथा हंसवाहिनी आदि नामों से संबोधित किया गया है.
सरस्वती पूजा विधि मंत्र सहित विस्तार सेः-
मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गुगुल जलाएं जिससे वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार हो और आस-पास से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाए।
इसके बाद पूजा आरंभ करें। पहले अपने आपको तथा आसन को मंत्र से शुद्ध करें- “ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥” इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पीले फूल से छींटें लगाएं फिर इस मंत्र से आचमन करें – ऊं केशवाय नम:, ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें- ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
शुद्धि और आचमन के बाद अपने माथे पर चंदन लगाना चाहिए। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें ‘चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।’
अब पूजन के लिए संकल्प करें। हाथ में तिल, फूल, अक्षत मिठाई और फल लेकर ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये।’ इस मंत्र को बोलते हुए हाथ में रखी हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने रखें। अब गणपति की पूजा करें।
सरस्वती विद्या मंत्र का जाप करने के लाभ
• नियमित रूप से सरस्वती विद्या मंत्र का पाठ करने से आपका बातचीत करने का तरीका बेहतर होगा, बुद्धि का विकास होगा और अध्ययन के दौरान ध्यान केंद्रित करने में आपको मदद मिलेगी।
• सरस्वती मां के मंत्र में गलत सूचना और गलतफहमी को मिटाने की क्षमता है।
• सरस्वती मंत्र का जाप जानकारी प्राप्त करने, सीखने और बनाए रखने का सरल तरीका है।
• पूर्ण श्रद्धा भाव से सरस्वती विद्या मंत्र का उच्चारण करने से छात्रों की इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प को बढ़ाने में मदद मिलती है।
• कवियों, लेखकों और सार्वजनिक कलाकारों को सरस्वती विद्या मंत्र जप करके सफलता के नए शिखर पर पहुंचने में मदद मिलती है।