Saphala Ekadashi 2024: 7 जनवरी 2024, ,26 दिसंबर, 2024 (saphala ekadashi) को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहा जाता है।
इंग्लिश केलिन्डर में हिंदी केलिन्डर का पौश महीना इस बार दो बार आया है, इसलिए 2024 में दो एकादशी आ रही है . पेहली एकादशी जो कि जनवरी 7,2024 को होगी और दूसरी एकादशी जो की 26 दिसम्बर 2024 में मनायी जायेगी|इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और हर दुख से छुटकारा मिल जाता है। पंचांग गणना के अनुसार, इस एकादशी को सभी एकादशियों में से श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन पूजा पाठ करने से सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।
Saphala Ekadashi 2024: सफला एकादशी शुभ मुहूर्त:
7 जनवरी, 2024 के लिए सफला एकादशी का मुहूर्त
सफला एकादशी पारणा मुहूर्त : 07:15:10 से 09:20:13 तक 8, जनवरी को
अवधि : 2 घंटे 5 मिनट
26 दिसंबर, 2024 के लिए सफला एकादशी का मुहूर्त
सफला एकादशी पारणा मुहूर्त : 07:12:29 से 09:16:29 तक 27, दिसंबर को
अवधि : 2 घंटे 4 मिनट
सफला एकादशी का महत्व (Significance Of Saphala Ekadashi)
शास्त्रों में सफला एकादशी का विशेष महत्व है। पद्म पुराण के अनुसार, युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि उन्हें बड़े से बड़े यज्ञों, अनुष्ठान से मुझे उतना संतोष नहीं मिलता है जितना एकादशी व्रत से मिल जाता है। सफला एकादशी का व्रत रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा, सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि और खुशहाली मिलती है।
सफला एकादशी पूजा विधि
1| सफला एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को इस दिन भगवान अच्युत की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-
2| प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान को धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करना चाहिए।
3| नारियल, सुपारी, आंवला अनार और लौंग आदि से भगवान अच्युत का पूजन करना चाहिए।
4| इस दिन रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करने का बड़ा महत्व है।
5| व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिये।
Saphala Ekadashi 2024: सफला एकादशी पर ना करें ये काम
सफला एकादशी के दिन बिस्तर पर नहीं, जमीन पर सोना अच्छा माना गया है| ऐसे में प्रत्येक व्रती को इस बात का ध्यान रखना चाहिए|
सफला एकादशी के दिन मांस-मदीरा और अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए| इसके साथ ही इस दिन लहसुन और प्याज का सेवन भी निषेध माना गया है|
सफला एकादशी की सुबह ब्रश करना भी वर्जित माना गया है| इस दिन दातून का इस्तेमाल करना अच्छा रहता है|
सफला एकादशी व्रत के दिन किसी पेड़ या पौधे की की फूल-पत्ती तोड़ना भी अशुभ माना जाता है|
Saphala Ekadashi 2024: पौराणिक कथा
प्राचीन काल में चंपावती नगर में राजा महिष्मत राज करते थे| राजा के 4 पुत्र थे, उनमें लुम्पक बड़ा दुष्ट और पापी था| वह पिता के धन को कुकर्मों में नष्ट करता रहता था| एक दिन दुःखी होकर राजा ने उसे देश निकाला दे दिया, लेकिन फिर भी उसकी लूटपाट की आदत नहीं छूटी| एक समय उसे 3 दिन तक भोजन नहीं मिला| इस दौरान वह भटकता हुआ एक साधु की कुटिया पर पहुंच गया| सौभाग्य से उस दिन सफला एकादशी थी|
महात्मा ने उसका सत्कार किया और उसे भोजन दिया| महात्मा के इस व्यवहार से उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई| वह साधु के चरणों में गिर पड़ा| साधु ने उसे अपना शिष्य बना लिया और धीरे-धीरे लुम्पक का चरित्र निर्मल हो गया| वह महात्मा की आज्ञा से एकादशी का व्रत रखने लगा| जब वह बिल्कुल बदल गया तो महात्मा ने उसके सामने अपना असली रूप प्रकट किया| महात्मा के वेश में स्वयं उसके पिता सामने खड़े थे| इसके बाद लुम्पक ने राज-काज संभालकर आदर्श प्रस्तुत किया और वह आजीवन सफला एकादशी का व्रत रखने लगा|
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