पुखराज रत्न पहनते समय बरतें क्या सावधानियां, जानें हर बात !!

Pukhraj Ratan

पुखराज रत्न कब धारण करें? पुखराज रत्न किसे धारण करना चाहिए? पुखराज रत्न क्यों धारण करना चाहिए?

हर किसी की जन्मपत्री में ग्रहों की कमजोर और बलवान दशा के अनुसार ही भाग्य में परिवर्तन आता रहता है। अशुभ ग्रहों को शुभ बनाना या शुभ ग्रहों को और अधिक शुभ बनाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं।

इसके लिए कोई मंत्र जाप, दान, औषधि स्नान, देव दर्शन आदि करता है। ऐसे में रत्न धारण एक महत्वपूर्ण एवं असरदार उपाय है। जिससे आपके जीवन में आ रही समस्त परेशानियों का हल निकल जाता है।

पुखराज रत्न:-

वैदिक ज्योतिष में पुखराज रत्न का बेहद महत्व बताया गया है। पुखराज रत्न बृहस्पति ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए धारण किया जाता है। इसके अलावा जिन जातकों का बृहस्पति कमजोर होता है उन्हें भी पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है।

व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह कर्म, धर्म, दर्शन, संतान सुख इत्यादि का कारक होता है। इसके अलावा यदि व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति बलवान स्थिति में है तो इससे व्यक्ति के परिवार, समाज और हर क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ऐसे में बृहस्पति ग्रह की कृपा पाने के लिए बहुत से लोग पुखराज रत्न धारण करते हैं। हालांकि कोई भी रत्न धारण करने से पहले ज्योतिषियों से परामर्श अवश्य लेनी चाहिए।

पुखराज रत्न किस राशि के लोगों को पहनना चाहिए?

धनु और मीन राशि के जातकों के लिए यह रत्न उत्तम होता है। बृहस्पति की महादशा चलने पर पुखराज पहना जाता है।

पुखराज पहनने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

जिस अंगूठी में आप रत्न को जड़वाना चाहते हैं, उसका नीचे का तला खुला होना चाहिए और आपका रत्न उस खुले तले में से हल्का सा नीचे की तरफ निकला होना चाहिए, जिससे कि वह आपकी उंगली को सही प्रकार से छू सके। अपने से संबंधित ग्रह की ऊर्जा आपकी उंगली के इस सम्पर्क के माध्यम से आपके शरीर में स्थानांतरित कर सकें।

अपने रत्न से जड़ित अंगूठी लेने से पहले यह जांच लें कि आपका रत्न इस अंगूठी में हल्का सा नीचे की तरफ़ निकला हुआ हो। अंगूठी बन जाने के बाद सबसे पहले इसे अपने हाथ की इस रत्न के लिए निर्धारित उंगली में पहन कर देखें ताकि अंगूठी ढीली अथवा तंग होने की स्थिति में आप इसे उसी समय ठीक करवा सकें।

इसके पश्चात रत्न का शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इस चरण में विशेष विधियों के द्वारा रत्न को प्रत्येक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त किया जाता है। शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा के विधिवत पूरा हो जाने से रत्न की सकारात्मक प्रभाव देने की क्षमता बढ़ जाती है। रत्न प्रत्येक प्रकार की संभव अशुद्धियों और नकारात्मक उर्जा से मुक्त हो जाता है।

शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा हो जाने पर अंगूठी को प्राप्त कर लेने के पश्चात् इसे धारण करने से 24 से 48 घंटे पहले किसी कटोरी में गंगाजल अथवा कच्ची लस्सी में डुबो कर रख दें। कच्चे दूध में आधा हिस्सा पानी मिलाने से आप कच्ची लस्सी बना सकते हैं किन्तु ध्यान रहे कि दूध कच्चा होना चाहिए अर्थात इस दूध को उबाला न गया हो।

गंगाजल या कच्चे दूध वाली इस कटोरी को अपने घर के किसी स्वच्छ स्थान पर रखें. घर में पूजा के लिए बनाया गया स्थान इसे रखने के लिए उत्तम स्थान है। किन्तु घर में पूजा का स्थान न होने की स्थिति में आप इसे अपने अतिथि कक्ष अथवा रसोई घर में किसी उंचे तथा स्वच्छ स्थान पर रख सकते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस कटोरी को अपने घर के किसी भी शयन कक्ष में बिल्कुल न रखें।

इसके पश्चात इस रत्न को धारण करने के दिन प्रातः उठ कर स्नान करने के बाद इसे धारण करना चाहिए। वैसे तो प्रात: काल सूर्योदय में रत्न धारण करें।

पुखराज रत्न धारण करने की विधि ? पुखराज किस वार को धारण करें ? पुखराज धारण करने का मंत्र

सबसे पहले तो ये जान लें कि हमेशा अपने शरीर के वजन के अनुसार पुखराज रत्न लेना चाहिए। जैसे अगर किसी व्यक्ति का वजन 70 किलो है तो उसे 7.5 रत्ती का पुखराज धारण करना चाहिए।

साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि ये रत्न सोने या तांबे में ही धारण करना चाहिए।

इस रत्न को धारण करने के लिए शुभ दिन गुरुवार है। इसके साथ ही अगर इस दिन शुभ नक्षत्र और गुरु पुष्य योग भी हो तो पुखराज रत्न धारण करना अत्यंत ही शुभ रहता है।

पुखराज धारण करने से पहले उसे गंगाजल, गाय के दूध, दही, शुद्ध देशी घी, शहद और शक्कर से रत्न को स्नान कराएं। फिर इसे स्वच्छ पानी से साफ कर लें। इसके बाद रत्न को साफ पीले कपड़े पर स्थापित कर लें और उस पर रोली, चावल, वस्त्र और पीले फूल चढ़ाएं। फिर उसे धुपबत्ती और दीपक दिखाएं।

इस तरह से पूजा करने के बाद गुरु ग्रह का ध्यान करें और इस गुरु मंत्र का जप करें- “ॐ ग्रां ग्रीँ ग्रोँ स:गुरवे नमः”।

-अब गुरु की प्राण प्रतिष्ठा करें और विनती करें कि, ‘हे ब्रहस्पति भगवान! आज से हमारे पुखराज मुद्रिका मे विराजमान हों’।

-फिर 108 बार ‘ॐ ब्रँ ब्रस्पतये नमः’ मंत्र कहकर 1-1 चावल छोड़ते रहें।

-इसके बाद गुरु की आरती गायें और फिर इस अंगूठी को तर्जनी ऊँगली मे धारण कर लें।                           

पुखराज रत्न धारण करने के लाभ

पुखराज रत्न शांति प्रदान करता है।

पुखराज रत्न को अपने घर या तिजोरी में रखते हैं तो इससे घर में सुख, समृद्धि और बरकत आती है।

पुखराज रत्न व्यक्ति के मन, शरीर और स्वास्थ्य के विकास और वृद्धि में भी सहायक होता है।

वैवाहिक जीवन में सुख संपत्ति और संतान सुख प्राप्ति के लिए पुखराज रत्न धारण करना चाहिए।

पुखराज रत्न से होने वाले नुकसान

टूटा हुआ पुखराज धारण करने से जीवन में चोरी की संभावनाएं बढ़ जाती है।

पुखराज धारण करने से वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं।

पुखराज व्यक्ति के स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की वजह भी बन सकता है।

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